मैं छोटे शहर का रहने वाला हूं और मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं
मैं चाहता था कि किसी भी प्रकार से कोई छोटी-मोटी नौकरी करके मैं अपना जीवन यापन कर लूं। मैं नौकरी करने के लिए कोलकाता चला गया
मैं कोलकाता की एक फैक्ट्री में नौकरी करने लगा वहां पर मैं काफी समय तक काम करता रहा।
मैंने वहां पर करीब 8 वर्षों तक काम किया उसके बाद मैंने वहां से काम छोड़ दिया क्योंकि मेरी तबीयत भी ठीक नहीं रहती थी मेरी तबीयत खराब होने लगी थी जिस वजह से मैंने उस वक्त अपना इलाज करवाना ही ठीक समझा।
मैंने अपना इलाज करवाया उसके बाद मैं अपने घर चला गया कुछ समय के लिए मैं अपने शहर वापस लौट चुका था और कुछ दिनों तक मैं अपने घर में ही रहने वाला था।
जब मेरी तबीयत ठीक हो गई तो मैं वापस कोलकाता चला गया कोलकाता में मैं अब नौकरी की तलाश में था कोलकाता में मुझे एक गारमेंट शॉप में नौकरी मिल गई और वहां पर मैं काम करने लगा।
हालांकि मेरे लिए यह बिल्कुल नया काम था लेकिन वहां पर मुझे अच्छी तनख्वाह मिलने लगी थी और मैं इस बात से काफी खुश था कि कम से कम मैं अब उस फैक्ट्री की नौकरी से आजाद हो चुका हूं।
फैक्ट्री में नौकरी करने के दौरान मेरी तबीयत खराब होने लगी थी
इसलिए मैंने वह काम छोड़ना ही ठीक समझा मैं अब गारमेंट शॉप में काम करने लगा था वहां पर काफी भीड़ रहती थी और अक्सर वहां पर नए-नए कस्टमर आते रहते थे। हमारे दुकान के मालिक बहुत ही अच्छे हैं वह मुझे समय पर पगार दे दिया करते थे और जब भी मुझे छुट्टी चाहिए होती तो वह मुझे छुट्टी भी दे दिया करते थे।
नौकरी पर लगने के बाद ही कुछ समय के लिए मैंने उनसे छुट्टी मांगी थी तो उन्होंने मुझे छुट्टी दे दी थी मैंने एक दिन अपने पिताजी को फोन किया तो वह मुझे कहने लगे कि बेटा हम लोग तुम्हारे पास कुछ दिनों के लिए रहने के लिए आने वाले हैं। पिताजी गांव में अपनी दुकान चलाते हैं
उनकी छोटी सी दुकान है और उसी से उनका गुजर-बसर चलता है वह लोग मेरे पास कुछ दिनों के लिए कोलकाता आने वाले थे मैंने उन्हें कोलकाता आने के लिए कह दिया था।
वह लोग भी कोलकाता आ चुके थे और जब वह लोग कोलकाता आये तो मुझे काफी अच्छा लगा और मैं बहुत खुश था कि मेरे पिताजी और मां के साथ मैं अच्छा समय बिता पाऊंगा।
जब मां कोलकाता आ गई तो मैंने उन्हें कहा कि आप मेरे लिए आज खीर बनाना मैं उस दिन रेलवे स्टेशन से उन्हें सुबह के वक्त ले आया था उसके बाद मैं तैयार होकर अपने काम पर चला गया।
मैं जब अपने काम पर गया तो उस दिन मैंने रमेश भैया से कह दिया था कि आज मैं घर जल्दी चला जाऊंगा तो उन्होंने मुझे कहा कि ठीक है आज तुम घर जल्दी चले जाना उन्हें यह बात पता थी कि मेरे मां और पिताजी मेरे पास रहने के लिए आए हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं कल जल्दी काम पर आ जाऊंगा तो वह कहने लगे कि ठीक है
सुधीर तुम कल जल्दी काम पर आ जाना और मैं अब घर पर चला आया था उसके बाद मैंने अपने मां और पिताजी को अपने साथ कहीं ले जाने की सोची।
मैं उन्हें अपने साथ घुमाने के लिए लेकर गया मां और पिताजी के साथ काफी समय बाद अच्छा लग रहा था और जब देर रात हम लोग घर लौटे तो मैंने उस दिन बाहर से ही खाना मंगवा लिया था क्योंकि काफी देर हो चुकी थी इसलिए मैंने बाहर से खाना मंगाना ही उचित समझा।
थोड़ी देर के बाद ही खाना आ चुका था हम लोगों ने खाना खाया और उसके बाद मैं सिगरेट पीने के लिए छत पर चला गया मुझे सिगरेट पीने की आदत कुछ समय पहले ही लगी थी।
माओ सिगरेट पीने के लिए छत पर गया मैंने अपने लाइटर को जलाया और मैं सिगरेट पीने लगा तभी मेरे पिताजी छत पर आ गये और मैंने जल्दी से सिगरेट को बुझा दिया उन्होंने मुझे कहा कि सुधीर बेटा तुम सो जाओ कल तुम्हें सुबह काम पर जल्दी भी जाना है। मैंने उन्हें कहा कि हां पिताजी मैं थोड़ी देर में सो जाऊंगा आप आराम कर लीजिए वह छत से नीचे चले गए और मैं सिगरेट पीने लगा मैं छत पर सिगरेट पी रहा था और काफी देर तक मैं छत पर ही रहा।
मैं जब नीचे गया तो मैंने देखा मां और पिताजी सो चुके थे क्योंकि वह लोग बहुत थक गए थे इसलिए उन्हें नींद आ गई थी फिर मैं भी सो गया। अगले दिन मैं सुबह जल्दी दुकान में चला गया था
मैं जब सुबह दुकान में गया तो मैंने ही दुकान खोली और सुबह के वक्त कोई भी नहीं आया था सबसे जल्दी मैं ही आ गया था करीब एक घंटे बाद सब लोग आने वाले थे।
मैं अब दुकान में कपड़ों को सही से रख रहा था मुझे काफी ज्यादा प्यास लगी थी इसलिए मैं पास के रेस्टोरेंट में चला गया और वहां से मैं पानी की बोतल ले आया। मैंने पानी पिया और मैं कुछ देर तक बैठा रहा लेकिन अभी तक तो कोई भी नजर नहीं आ रहा था आसपास की कुछ दुकानें भी खुलने लगी थी।
जिस गारमेंट शॉप में मैं काम करता हूं वह काफी ज्यादा बड़ी है। मैं जब दुकान में बैठा हुआ था तो दुकान मे साफ सफाई करने वाली महिला आ गई। वह जब आई तो उस दिन उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी उसमे वह बड़ी ही माल लग रही थी और मैं उसे देखकर अपने लंड को बार बार दबा रहा था।
उसने मेरी तरफ देखा तो वह कहने लगी तुम क्या कर रहे हो? मैंने उसे अपने पास बुलाया और कहा तुम बहुत ही अच्छी हो। जब मैंने उसको अपने लंड को दिखाया तो वह मुस्कुराने लगी और कहने लगी अभी मुझे सफाई करने दो नहीं तो साहब आ जाएंगे और वह मुझे डांट देंगे।
मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो वह मेरे पास आई और उसने मेरे लंड को अपने हाथों मे लिया। जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे अच्छा लगा।
वह काफी देर तक मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती रही उसे बहुत ही अच्छा लगने लगा था वह पूरी तरीके से गर्म होने लगी थी और मैं भी पूरी तरीके से गर्म हो चुका था। मैंने अपने लंड को उसकी चूत मे डालने के बात कहीं तो वह कहने लगी हम लोग कल सुबह यह सब करेंगे क्योंकि अभी सब लोग आने लगे हैं।
मुझे भी लगा कि वह ठीक कह रही है मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को चूसती रहो और उसने मेरे मोटे लंड को बहुत देर तक चूसा जिसके बाद उसने मेरे वीर्य को अपने अंदर ही ले लिया था।
मेरे अंदर की गर्मी तो शांत हो चुकी थी अगले दिन मै कविता की चूत मारने के लिए बहुत ज्यादा उत्सुकता था अगले दिन मैं सुबह जल्दी आ चुका था मैं उसका इंतजार कर रहा था। जब कविता आई तो मैंने उसे कहा तुम कहां रह गई थी तो उसने मुझे बताया कि वह घर में नाश्ता बना रही थी इसलिए उसे देर हो गई।
मैंने उससे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे बहुत ही अच्छे से वह सकिंग करने लगी।
उसे बहुत ही मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था वह लंड को मुंह के अंदर बाहर कर रही थी।
मैंने उसे कहा तुम अपनी चूत को मुझे दिखाओ तो उसने साड़ी को ऊपर करते हुए अपनी पैंटी को नीचे किया तो मैंने उसकी चूत को देखा। मै उसकी चूत के अंदर लंड डालने को तैयार हो चुका था मैंने उसकी चूत के अंदर लंड घुसाया तो उसकी योनि के अंदर मेरा मोटा लंड घुस चुका था।
मेरा मोटा लंड उसकी चूत के अंदर जा चुका था मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के दे रहा था। वह मेरे लंड के ऊपर बैठी हुई थी वह अपनी चूतडो को ऊपर नीचे कर रही थी मुझे बहुत ही मजा आ रहा था
और उसे भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी अपने आपको नहीं रोक पा रहा था मैंने उसे कहा चलो हम लोग अंदर चलते हैं और हम लोगों अंदर स्टोर रूम में चले गए।
स्टोर रूम में जब हम लोग गए तो वहां पर मैंने उसे घोड़ी बना दिया और उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करने लगा। उसकी चूत की चिकनाई मे बढ़ोतरी हो चुकी थी वह बहुत ही ज्यादा तेजी से चिल्ला रही थी उसने मुझे कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने उसे कहा मुझे भी तो बड़ा मजा आ रहा है
वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी। वह अपनी चूतडो को मुझसे बहुत देर तक मिलाती मैं बिल्कुल भी अपने आपको रोक ना सका मैंने उसकी चूत के अंदर ही अपने माल को गिरा दिया।
उसने मुझे कहा तुमने तो मेरी चूत के अंदर ही अपने माल को गिरा दिया है मैंने उसे कहा तुम क्यों घबरा रही हो तुम्हें कुछ नहीं होगा। मेरा मन अभी तक नहीं भरा था मैंने उसे कहा कि तुम मेरे लंड को चूसो।
वह कहने लगी मै तुम्हारे लंड को नहीं चूस सकती लेकिन मैंने उसे अपने लंड को चूसने के लिए कुछ पैसे दे दिए तो उसने भी अब बड़े अच्छे से लंड को चूसना शुरु किया और मेरे अंदर की गर्मी को बढ़ा दिया।
मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को लगाया तो उसकी चूत से अभी भी वीर्य बाहर की तरफ आ रहा था। मैंने उसकी योनि के अंदर लंड डाल दिया मेरा लंड उसकी चूत के अंदर घुस चुका था और वह बड़ी तेजी से चिल्ला रही थी।
मुझे उसे धक्के मारने में बहुत मजा आ रहा था उसे मैंने बहुत देर तक चोदा वह बहुत तेज आवाज मे सिसकिया ले रही थी मैं उसे लगातार तेजी से धक्के मार रहा था।
मैंने उसकी चूत पूरी तरीके से गर्म कर के रख दी थी वह गरम हो चुकी थी उसकी चूत से लावा बाहर निकल रहा था उसे मै झेल ना सका और मेरा वीर्य बाहर की तरफ को गिर गया।
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