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आंटी का हैंडसम हंक लौंडा

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कल्पना आंटी से मेरा लगाव कुछ ज्यादा ही था वैसे तो हमारे घर में मेरी मम्मी की और भी सहेलियां आती रहती थी सब मुझे बहुत पसंद है लेकिन कल्पना आंटी की बात ही कुछ अलग थी।

जब भी वह मुझसे मिलती तो मुझे अच्छा लगता उनके अंदर मेरे लिए बहुत प्यार था। मुझे उनमे अपनापन महसूस होता इसलिए मैं कल्पना आंटी को बहुत पसंद किया करती थी।

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अचानक से ही मम्मी पापा ने दिल्ली छोड़ कर मुंबई जाने का फैसला कर लिया मुझे कुछ समझ नहीं आया कि पापा मम्मी ने दिल्ली छोड़ने का क्यों फैसला किया। मेरी उम्र उस वक्त ज्यादा नहीं थी मैं सिर्फ 15 वर्ष की थी।

पापा मम्मी दिल्ली से मुंबई आ चुके थे कल्पना आंटी की यादें अब भी मेरे दिमाग मे ही थी।

मैंने एक दिन अपनी मम्मी से कहा मम्मी क्या कभी हम लोग कल्पना आंटी से भी मिल पाएंगे।

मेरी मम्मी ने मेरी तरफ बड़े प्यार से देखते हुए कहा हां बेटा क्यों नहीं हम लोग जरूर कल्पना से मिलेंगे जब सही मौका आएगा तो हम लोग उनसे जरूर मिलेंगे।

यह कहते हुए उन्होंने मुझे कहा तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने लगी थी मेरी 12वीं की परीक्षा पास हो चुकी थी।

समय की गति बड़ी तेजी से चल रही थी मैं अब अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी कर चुकी थी और मैं वकील बन चुकी थी। समय इतनी तेजी से निकला कुछ पता ही नहीं चला लेकिन एक दिन जब मुझे मम्मी ने बताया कि आज मैं तुम्हें सरप्राइज़ देने वाली हूं तो मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि मम्मी आखिरकार मुझे ऐसा क्या सरप्राइज देने वाली है।

मैं बहुत खुश थी जब रात को मैंने देखा हमारे घर की डोरबेल किसी ने बजाई।

मैंने घर का दरवाजा खोला मैंने दरवाजा खोलो तो सामने देखा सामने कल्पना आंटी खड़ी थी आज भी उनके चेहरे पर वही रौनक थी, उनके लंबे घने बाल देखकर मैंने उन्हें उसी वक्त पहचान लिया और उनसे मैं गले मिली।

आंटी से गले मिलकर ऐसा आभास हो रहा था जैसे कि कितने समय बाद कोई बिछड़ा हुआ अपना मिल रहा हो।

मुझे कल्पना आंटी से मिलकर बहुत खुशी हुई उन्होंने मुझे कहा गुंजन बेटा तुम कितनी लंबी हो चुकी हो और कितनी बड़ी हो गई हो।

मैंने उन्हें कहा आप अंदर आ जाइए ना मैंने आंटी को अंदर आने के लिए कहा मम्मी ने भी कल्पना आंटी का अभिवादन किया और कहा जबसे हम लोग दिल्ली से आए हैं तब से गुंजन तुम्हारी बात हमेशा करती रहती है।

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि उम्र का वही दौर शुरू हो चुका है जो मैं दिल्ली में छोड़ आई थी। कल्पना आंटी और में काफी देर से एक दूसरे से बात करती रही वह मुझसे मेरे काम के बारे में भी पूछने लगी।

मुझे उन्हें बताने में बड़ा अच्छा लग रहा था कल्पना आंटी से बात कर के मुझे ऐसा लगा जैसे वह मुझे बहुत अच्छे से समझती है। मेरी हर एक बातों को वह बड़े ध्यान से सुन रही थी मैंने आंटी से पूछा आंटी यह सब तो ठीक है

लेकिन आज आपने मुझे सरप्राइज कैसा दिया। आंटी कहने लगी अब हम लोग भी मुंबई में ही सेटल हो चुके हैं।

वह मुझे कहने लगी तुम पवन को तो जानती हो ना पवन कल्पना आंटी का लड़का है वह मेरी ही उम्र का है। मैं पवन से बचपन मे मिली थी तो आंटी कहने लगी लेकिन तुम लोग उस वक्त छोटे थे पवन अब डॉक्टर बन चुका है और वह मुंबई में ही सेटल हो चुका है। मैंने आंटी से कहां यह तो बड़ी खुशी की बात है पवन ने एक अच्छा प्रोफेशन चुना है।

पवन डॉक्टर बन चुका था पवन से मेरी मुलाकात बचपन में ही हुई थी कल्पना आंटी ने उस दिन हमारे घर पर ही डिनर किया। जब पवन उन्हें लेने के लिए आया तो उस दिन हमारी मुलाकात हुई पवन से मिलकर मुझे अच्छा लगा। बचपन में पवन दिखने में बड़ा ही बदसूरत सा था लेकिन अब वह बड़ा ही हैंडसम और अच्छा दिखने लगा है।

कल्पना आंटी हमारे घर से जा चुकी थी लेकिन मुझे उस दिन बहुत अच्छा लग रहा था मैंने मम्मी से कहा आज आपने मुझे बड़ा ही अच्छा सरप्राइज दिया मैं बहुत खुश हूं।

मम्मी और पापा कहने लगे बेटा हम लोग तो कब से सोच रहे थे कि तुम्हें कल्पना से मिलना है लेकिन वह अपने घर में बिजी थी इसलिए तुमसे मिलने नहीं आ पाई।

कल्पना आंटी भी अब अपने स्कूल से रिटायर हो चुकी थी वह मुझसे मिलने के लिए आती रहती थी।

एक दिन आंटी ने मुझे कहा बेटा तुम पवन के बर्थडे में घर आना हम लोगों ने घर पर ही छोटा सा फंक्शन रखा है इस बहाने तुम हमारे घर पर आओगी तो हमें अच्छा लगेगा।

मैंने आंटी से कहा आंटी में जरूर आऊंगी मैं आंटी से मिलने के लिए उस रोज चली गई।

मैंने एक पुष्पगुच्छ लिया और मैं कल्पना आंटी के घर पर चली गई मैं जब उनके घर गई तो वहां पर उनके कुछ और रिलेटिव आए थे। आंटी का फ्लैट काफी बड़ा है उस दिन उन्होंने अपने गिने-चुने रिश्तेदारों को ही बुलाया था।

मम्मी पापा नहीं आ पाए थे क्योंकि पापा कहीं भी पार्टियों में जाना पसंद नहीं करते इसलिए वह उस दिन आए नहीं थे। पार्टी मे आंटी ने मुझे अपने कुछ रिलेटिव से भी मिलवाया मुझे उनसे मिलकर अच्छा लगा।

जब पार्टी खत्म हो गई तो आंटी ने मुझे कहा बेटा तुम्हे पवन छोड़ देगा। मैंने आंटी से कहा नहीं आंटी रहने दीजिए मैं चली जाऊंगी क्योंकि उस दिन मै आंटो से ही आई थी तो आंटी मुझे कहने लगी बेटा तुम्हें पवन घर छोड़ देगा तुम चिंता ना करो।

मुझे पवन ने उस दिन घर तक छोड़ा मेरे पवन से काफी बातें हुई मुझे पवन को जानने का मौका मिला हालांकि उसके काफी समय बाद मेरी मुलाकात हुई। एक रोज पवन से मिलने के लिए मैं गई मुझे चेहरे की कुछ प्रॉब्लम हो रही थी इस वजह से मैं पवन के पास गई।

पवन ने मुझे कहा मैं तुम्हें अपने दोस्त के पास ले चलता हूं पवन का दोस्त स्किन स्पेशलिस्ट था उसने मुझे देखा और कुछ दवाइयां दी। मैं अब अपने ट्रीटमेंट के लिए उसी के पास जाया करती थी

जब मैं अपने ट्रीटमेंट के लिए जाती तो मेरी मुलाकात पवन से हो जाया करती थी। पवन से धीरे-धीरे मेरी बात और भी ज्यादा बढ़ने लगी पवन से मेरी बातें अब कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी पवन और मैं अच्छे दोस्त बन चुके थे।

कभी कभार में कल्पना आंटी से मिलने के लिए भी चली जाती थी हम दोनों का परिवार एक दूसरे को पहले से ही जानता था  इसीलिए एक दिन मेरी मम्मी ने कहा कि कहीं घूमने का प्लान बनाते हैं।

हम लोगों ने सोचा कि कुछ दिन लोनावला हो आते हैं हम लोगों ने दो दिन का प्लान बना लिया और कल्पना आंटी और उनका परिवार मैं और मेरी मम्मी पापा हम लोग घूमने के लिए लोनावाला चले गए।

वहां जब हम लोग पहुंचे तो पवन के किसी परिचित का वहां पर होटल था हम लोगों उसी होटल में रुके। हम लोग जिस होटल में रुके वहां पर काफी अच्छा माहौल था।

जब हम लोग स्विमिंग पूल में नहा रहे थे तो मैंने पवन की बॉडी देखी है उसकी बॉडी देखकर मैं उस पर पूरी तरीके से फिदा हो गई। वह भी मुझे बिकनी में देख रहा था शायद उसकी नजर मेरे स्तनों पर ही थी।

हम दोनों एक-दूसरे को देख कर खुश थे। उसे शाम जब पवन और मैं साथ में बैठे हुए थे तो पवन ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और कहने लगा गुंजन तुम तो बहुत सुंदर हो।

मैंने भी पवन की छाती पर हाथ रखा और कहा तुम भी कम हैंडसम नहीं हो। मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश थी कि मेरे और पवन के मन में सिर्फ सेक्स को लेकर ही बात चल रही थी हम दोनों एक दूसरे के बदन को महसूस करना चाहते थे और उसी रात हम दोनों ने एक दूसरे के बदन को महसूस किया।

जब हम दोनों के होंठ एक दूसरे से टकराने लगे तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा।

पवन को भी बहुत अच्छा लग रहा था पवन ने मेरे होठों से खून तक निकाल कर रख दिया था। जब उसने मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा मैं पूरी तरीके से पवन की हो चुकी थी पवन मेरे स्तनों को काफी तेजी से दबा रहा था।

उसने जब मेरी योनि को चाटना शुरू किया तो मुझे मज़ा आने लगा वह मेरी योनि को ऐसे चाटता जैसे कि उसने ना जाने आज तक कितनी लड़कियों की योनि को चाटा हो। मैंने उसके लंड को चूस चूस कर उसका पानी बाहर निकाल दिया था अब हम दोनों पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुके थे और हमारी उत्तेजना बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी।

हम दोनों एक-दूसरे को देखकर रह नहीं पा रहे थे मैंने पवन से कहा मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है।

पवन ने अपने 9 इंच मोटे लंड को मेरी योनि पर सटाया तो मेरी योनि के अंदर उसका लंड प्रवेश हो ही नहीं रहा था। मैंने पवन से कहा तुम दोबारा से ट्राई करो पवन मुझे कहने लगा तुम्हारी योनि कितनी टाइट है।

मैंने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया पवन ने भी बड़ी तेजी से एक झटका मारा जिससे कि मेरी योनि के अंदर लंड प्रवेश हो गया मेरी खून की पिचकारी पवन के लंड पर जा गिरी।

मेरे मुंह से चीख निकली लेकिन मुझे बड़ा आनंद आ रहा था और ऐसा लगा जैसे कि मेरी योनि से कुछ बड़ी तेजी से बाहर की तरफ निकल रहा है मेरी योनि से पानी बाहर निकल रहा था।

पवन मुझे बड़ी तेज गति से झटके दिए जा रहा था।

पवन ने मेरे दोनो पैरो को चौडा कर लिया और बड़ी तेजी से उसने मुझे धक्के दिए। वह काफी देर तक ऐसे ही मुझे धक्का मारता रहा जब उसने मुझे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया तो मेरे चूतड़ों से पवन का लंड टकरता तो बड़ी तेज आवाज आती जिससे कि मुझे भी मज़ा आने लगा था।

पवन ने मेरी चूतडो का रंग लाल कर दिया था लेकिन काफी देर तक वह मेरी चूत का आनंद उठाता रहा। जैसे ही उसने अपने वीर्य को मेरे मुंह के अंदर गिराया तो मैंने वह सब अंदर ही निगल लिया। लोनावला का टूर हम लोगों के लिए बड़ा अच्छा रहा मेरी चूत तो पवन के लिए तडपती रहती थी।

1 thought on “आंटी का हैंडसम हंक लौंडा”

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