मेरे जीवन में एक खालीपन सा था और शायद उस खालीपन की भरपाई सीमा के मेरी जिंदगी में आने से हुई।
मैं स्वभाव से बहुत ही चंचल था और मैं कॉलेज से घर और घर से कॉलेज जाता लेकिन कई बार मैं कॉलेज से बंक भी मार लिया करता जिस वजह से यह बात मेरी बहन को तो पता ही चल जाती थी लेकिन वह
मुझे बहुत ही ज्यादा ब्लैकमेल किया करती और कहती कि यदि तुम मुझे कुछ नहीं खिलाओगे तो मैं तुम्हारी शिकायत घर पर कर दूंगी कि तुम कभी कॉलेज आते ही नहीं हो और अपने दोस्तों के साथ मस्ती करते रहते हो।
जब मैं अपने कॉलेज के प्रथम वर्ष में था तो तब तक सब कुछ ठीक चल रहा था मैं सिर्फ अपने दोस्तों के साथ ही रहता और उनके साथ शरारत किया करता हम लोग कॉलेज में बड़ी ही मस्तियां किया करते लेकिन जैसे-जैसे समय बीतने लगा वैसे ही मेरे जीवन में भी बदलाव आने लगा।
जब हमारे कॉलेज के इलेक्शन चल रहे थे तो उस दौरान एक दिन हमारे कॉलेज में बहुत लड़ाई हो गई और लड़ाई के दौरान कुछ लड़कों को बहुत ज्यादा चोट आई जिससे कि कॉलेज प्रशासन ने हमारे ऊपर भी बहुत सख्त कार्यवाही की और जब यह बात मेरे पिता जी को पता चली
तो वह बहुत ज्यादा दुखी हो गए और कहने लगे बेटा मैंने आज तक कभी भी किसी के साथ ना तो लड़ाई की और ना ही कभी मैंने अपने जीवन में कभी ऐसा कुछ किया कि जिससे मेरे परिवार या मेरे करीबियों को कोई तकलीफ हो लेकिन आज तुमने शर्म से मेरा सिर नीचे कर दिया, मैंने अपने पिताजी से कहा कि पापा ऐसी कोई बात नहीं है
आप इस बात को गलत ले रहे हैं मैं जरूर उस दौरान लड़कों के साथ था लेकिन मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया जिससे कि आपको इस बात के लिए शर्मिंदा होना पड़े लेकिन मेरे पिताजी के दिल में यह बात बैठ चुकी थी
और उस दिन के बाद मेरे पिताजी और मेरे बीच में दूरियां बढ़ती ही चली गई हम दोनों के बीच में इतनी ज्यादा दूरियां बढ़ चुकी थी कि जब भी वह घर पर होते तो मुझसे कुछ भी बात नहीं करते जब कुछ काम होता तो ही वह मुझसे बात किया करते थे, इस बात से मैं बहुत ज्यादा दुखी था और मैं बहुत ज्यादा परेशान भी होने लगा था
मेरे अंदर एक गुस्सा पैदा होने लगा जिससे कि मैं बहुत चिड़चिड़ा भी होने लगा। जब भी मेरी छोटी बहन मुझसे कुछ बात करती तो मुझे उस पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ जाता उसने भी मुझसे बात करना बहुत कम कर दिया था, मैं अपने जीवन में अकेला सा हो गया मुझे ऐसा लगता कि जैसे मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा है।
जब कोई मुझसे अच्छे से बात करता तो मैं उसके साथ ही झगड़ा कर बैठता हूं, मेरे अंदर इस बात का गुस्सा भर चुका था कि मेरी वजह से मेरे पिताजी को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा परंतु उस चीज के लिए मैं भी दोषी नहीं था
और ना ही मेरी वजह से कुछ ऐसा हुआ था जिससे की मेरे पिताजी का शर्म से सिर नीचा होता लेकिन यह तो उनके लिए बहुत बड़ी बात थी। मैं अपने दोस्तों के साथ भी अब बहुत कम रहने लगा था और मैंने अपनी दुनिया अलग ही बना ली थी, मेरे कुछ गिने-चुने दोस्त ही रह गए थे जिनसे मैं बात किया करता या
फिर उनके साथ में समय बिताया करता था लेकिन इस बात का मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि सब लोग मुझसे बहुत दूर होते जा रहे हैं और धीरे-धीरे मुझे इस बात का एहसास तब हुआ जब मेरा कॉलेज पूरा हो गया और
मैं नौकरी करने लगा, मैंने जब अपनी कंपनी में ज्वाइन किया तो सब लोग बड़े ही अच्छे से बात करते हैं और अपने बारे में एक दूसरे को बताते लेकिन मेरे पास ऐसा कुछ भी नहीं होता जिससे कि मुझे लगता कि मुझे भी किसी को कुछ बताना चाहिए मैं अलग ही रहता, ऑफिस में भी मेरी किसी से भी ज्यादा बात नहीं होती थी
जब किसी को कोई काम होता तो ही वह मुझसे बात करता है या फिर मुझे किसी से कोई काम होता तो ही मैं उससे बात किया करता मेरे जीवन में सब कुछ ऐसे ही चल रहा था ना कुछ नया था और ना ही कुछ ऐसा लग रहा था जिससे कि मैं अपने जीवन में और कुछ कर पाता, मेरे जीवन में बहुत ही खालीपन सा था
और इस खालीपन को सीमा ने पूरा किया। मेरी मुलाकात जब सीमा से पहली बार ऑफिस में ही किसी काम के सिलसिले में हुई तो मुझे नहीं पता था कि उसके और मेरे बीच में इतनी समानताएं होगी उसे हमारे ऑफिस में काम करते हुए कुछ समय ही हुआ था और वह कम समय में ही ऑफिस की बहुत चहिती बन चुकी थी
क्योंकि वह काम के प्रति बहुत ही ज्यादा सीरियस रहती है और वह बहुत ज्यादा तेजी से काम किया करती जिससे कि सीमा ऑफिस की चहिती बन चुकी थी।
एक दिन मैं कैंटीन में बैठा हुआ था और सीमा मेरे पास आई, सीमा ने मुझे कहा कि क्या बात है सर आज आप अकेले ही बैठे हुए हैं, मैंने सीमा से कहा कि हम लोग एक ही ऑफिस में हैं तुम मुझे सर मत कहा करो, वह कहने लगी कि लेकिन आप मुझसे पहले से काम कर रहे हैं और आप मुझसे सीनियर भी हैं।
मैंने सीमा से कहा देखो मेरा नाम अंकित है तुम मुझे अंकित कहकर बुला सकती हो, वह कहने लगी चलो ठीक है आज से मैं आपको अंकित ही कहूंगी उसने मुझसे कहा कि अंकित आप बहुत ही गुमसुम रहते हो, ज्यादा किसी के साथ बात नहीं करते, मैंने सीमा से कहा ऐसा कुछ भी नहीं है, वह कहने लगी कि जरूर आपके अंदर कोई बहुत बड़ी बात है जो आप मुझसे छुपा रहे हैं। उसने मुझसे इतने प्यार से पूछा कि मुझे उसे बताना ही पड़ा,
मैंने सीमा से कहा एक बार कॉलेज में मेरी वजह से मेरे पिताजी को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा उसके बाद से जैसे मेरी जिंदगी बहुत ज्यादा बदलती चली गई क्योंकि मेरे पिताजी एक बहुत ही शरीफ और नेक इंसान है और मेरी वजह से उन्हें शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा लेकिन
अब भी मेरे दिल और दिमाग में वही बात है, सीमा ने कहा कि आपको यह बात अपने दिल दिमाग से निकालनी पड़ेगी तभी आप आगे बढ़ पाएंगे और अपने जीवन को अच्छे से इंजॉय कर पाएंगे, मैंने सीमा से कहा मैंने कोशिश तो बहुत की लेकिन यह संभव ना हो सका।
उस दिन मेरी और उसकी बहुत देर तक बात हुई वह जब भी मेरे साथ बैठती तो उससे बात कर के मुझे ऐसा लगता कि जैसे मेरे अंदर एक नई ऊर्जा पैदा हो गई हो और उसके साथ बात करना मेरे लिए बड़ा ही अच्छा रहता, मैं सीमा के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगा था उसने भी मुझसे अपने तजुर्बे शेयर किये जिससे कि उसे भी
कई बार शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था लेकिन उसने उन सब को भुला कर अपना एक नया जीवन शुरू किया और उसकी इसी बात से मैं भी बहुत ज्यादा प्रभावित हो गया और मैंने भी अपने जीवन में पूरी तरीके से बदलाव कर लिया, मैं अब पहले से ज्यादा कॉन्फिडेंट हो गया था और अब सबसे अच्छे से बात करने लगा था
इस बदलाव से मेरी बहन ने एक दिन मुझे कहां भैया आजकल आप बहुत ज्यादा खुश नजर आते हो इसके पीछे जरूर कोई बात है, मैंने उसे जब सीमा के बारे में बताया तो वह कहने लगी कि मुझे उनसे मिलना है।
मैंने एक दिन सीमा को अपनी बहन से मिलवाया मेरी बहन ने सीमा से कह दिया कि क्या आप मेरी भाभी बनोगी, मुझे लगा कि कहीं यह बात सीमा को बुरी तो नहीं लगी और मैंने जब सीमा से इस बारे में पूछा तो सीमा कहने लगी कि नहीं यह बात मुझे बिल्कुल बुरी नहीं लगी। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी बहन ने मेरे दिल की बात सीमा से कह दी थी। उस दिन के बाद सीमा और मेरे बीच में नजदकीया और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी।
सीमा मेरे घर भी आने लगी थी और उसने मुझे अपने परिवार से यह कहकर मिलाया था कि मैं उसका एक अच्छा दोस्त हूं। मेरे जीवन में जो खालीपन था वह भी भरने लगा था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कि सीमा ने जिस प्रकार से मेरी मदद कि मैं सीमा का हमेशा शुक्रिया कहता। वह कहती तुम मुझे शुक्रिया कह कर शर्मिंदा ना किया करो
हम दोनों की फोन पर भी बातें होने लगी थी। सीमा अक्सर मुझे अपनी तस्वीरें भेजने लगी थी एक शाम हम दोनों के बीच फोन सेक्स हो गया उस दिन के बाद तो जैसे सीमा ने मुझे अपने बदन को सौंप दिया था।
वह अगले दिन मुझे मिली और कहने लगी अंकित आज कहीं घूमने चलते हैं। मैंने उसे कहा लेकिन आज तो ऑफिस में जरूरी काम है वह कहने लगी कोई बात नहीं हम लोग आज कुछ बहाना बना लेते हैं
हम दोनों ने ऑफिस से छुट्टी ले ली। हम दोनों एक होटल में चले गए मेरे साथ सीमा होटल में आकर अपने आपको बहुत अच्छा महसूस कर रही थी। जब हम दोनों रूम में बैठे हुए थे तो वह कहने लगी मुझसे तो कल से बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा जबसे तुमने मेरे साथ फोन सेक्स किया है मुझे बहुत अच्छा लगा।
मैंने सीमा को पकड़ते हुए उसे नंगा कर दिया मैंने उसके बदन को चुसना शुरू किया तो वह तड़पने लगी और कहने लगी मुझे तुम अपना बना लो। मैंने सीमा की चूत को चाटना शुरू किया और उसकी चूत को चाटते हुए पूरा गीला कर दिया उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी।
जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर प्रवेश करवाया तो वह कहने लगी मुझे तो बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही है लेकिन उसकी टाइट चूत मे मुझे धक्का देने में बड़ा आनंद आ रहा था
मैं लगातार तेजी से उसे धक्के दिए जा रहा था। मैंने उसे इतनी तेजी से धक्के दिए कि उसके मुंह से आह की आवाज निकलने लगी। जब वह अपने मुंह से मादक आवाज म सिसकिया
लेती तो मेरी उत्तेजना और भी ज्यादा अधिक हो जाती लेकिन उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मैं ज्यादा समय तक उसके साथ संभोग न कर सका। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ संभोग किया मुझे बड़ा अच्छा लगा, उस दिन के बाद से तो सीमा और मेरे बीच में अक्सर शारीरिक संबंध बनने लगे।
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