हमारे घर मे एक नौकर की था। जो दिन रात घरवालों की सेवा में रहता है। उसका नाम रामू था। मैं इस घर की बहू हूं। और मेरे पति के दो भाई हैं। जो अपने पिताजी के कामो में मदत करते है।
मेरे पति का डायमंड का बिजनेस है। वह तो अपने काम में ही व्यस्त रहते हैं। उन्हें तो यह भी पता नही होता था कि घर मे क्या हो रहा है। हमारी शादी को 4 साल हो चुके हैं। और हमारा एक छोटा सा बेटा है जो अभी 1 साल का है। हमारा नौकर जब काम करता था तो मेरी सास उस पर नजर लगाए रहती थी।
कि वह कुछ गलत तो नहीं कर रहा। जब मेरे दोनों देवर कुछ सामान लेने कहीं बाहर जाते तो उसे भी साथ लेकर जाते थे। लेकिन उसकी जरा भी इज्जत नहीं करते थे। वह जब उसे अपने साथ लेकर जाते थे तो खुद एक बड़े होटल में बैठकर खाना खाते थे। उसे वहां से भगा देते थे। तब वह होटल के बाहर एक कोने में बैठा रहता था। जब रामू घर आया तो वह दुखी सा था।
मेरे पूछने पर रामू ने बताया कि उन्होंने उसके साथ कैसा व्यवहार किया। मुझे यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। आखिर मे वह भी तो एक इंसान ही है। तो उसके साथ ऐसा क्यों। कई बार तो मेरी सास उस पर ही सारा गुस्सा निकालती। वह बेचारा तो कुछ भी नहीं बोल पाता था। बस सबकी सुनता रहता था और अपने काम पर लगा रहता।
वह हमारे घर पर ही एक छोटे से कमरे में रहता था। जब ठंड बढ़ जाती तो मैं उसे एक चादर देके आती और उसे भूख लगने पर उसे खाना भी देती थी। लेकिन यह बात मेरी सास को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी।
फिर वह मुझ पर भी चिढ़ती थी। वह सब लोग उसे उसकी एक छोटी सी गलती पर ऐसी डांट लगाते जैसे कि उसने पता नहीं क्या कर दिया हो। यह सब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता था और मैं रामू की साइड लेती थी। कुछ दिन तक तो ऐसे ही लड़ाई झगड़े होते रहते थे।
एक दिन मेरे पति घर आए थे। वह ज्यादातर घर से बाहर ही रहते थे। लेकिन उस दिन वह घर पर थे तो उन्होंने देखा कि मैं अपने नौकर की ज्यादा ही तरफदारी कर रही हूं। उन्होंने मुझसे कहा भी था।
कि माँ के सामने रामु से दूर रहा करो। नही तो वह तुम्हारे बारे में गलत सोचेगी। उस दिन तो वह देखते रहे की मैं अपने नौकर से किस तरह बात करती हूं। और किस तरीके से रहती हूं। और फिर मेरी सास भी यह सब देखने लगी।
उन्हें ऐसा लगने लगा था कि मेरा और हमारे घर के नौकर का कुछ तो चल रहा है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। मैं तो एक इंसान होने के नाते उसकी मदद कर रही थी। वह बेचारा तो घर छोड़ कर जा भी नहीं सकता था। क्योंकि उसको पैसों की आवश्यकता थी। उसकी बीवी बहुत बीमार थी।
एक दिन उसने मुझसे आकर कहा कि उसे पैसों की जरूरत है तो मैंने उसे थोड़े पैसे दे दिए। और उसकी बीवी का इलाज करवाया। फिर मेरे घर वालों ने मुझसे पूछा कि पैसे कहां गए। मैंने कहा मैंने रामू को थोड़े पैसे दिए थे उसकी बीवी के इलाज के लिए। लेकिन किसी ने मेरी बात का यकीन नहीं किया।
और मुझ पर शक करने लगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। मैंने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मेरी एक भी बात नहीं सुनी।
उस समय मेरे पति घर पर नही थे। अगर वह होते हो जरूर कुछ करते। और उन्होंने उस नौकर को घर से निकाल दिया। वह नौकर जो उनके हर काम में मदद करता था। मुझे तो वह अपने घर के सदस्य जैसा ही लगता था। लेकिन पता नहीं घरवाले उससे ऐसा बर्ताव क्यों करते थे। सिर्फ इसलिए क्योंकि वह एक नौकर था? वह वहां 10 साल से काम कर रहा था।
एक दिन जब मैं अपनी कार से मार्केट सामान लेने गई। मुझे वहां पर रामू दिखाई दिया। रामू किसी व्यक्ति के यहां पर बर्तन धो रहा था। मुझे वो देखकर बहुत ही बुरा लगा और मैंने उसे कहा कि तुम घर चलो। वह कहने लगा अब कैसे आ सकता हूं मैं मेरी बहुत बेइज्जती हुई है। मैं उसे बहुत ही समझाती रही लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ।
मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हें पैसे दूंगी और तुम मेरे साथ ही रहना। मैंने उसे कुछ पैसे दिए और उसके लिए कहीं बाहर दूसरी जगह पर काम की व्यवस्था करवा दी। अब मैं जब भी बीच-बीच में रामू से मिलने जाती। रामू कहता मालकिन में आपका बहुत ही शुक्रगुजार हूं कि आपने मेरी हर मुसीबत में मेरा साथ दिया है।
मैंने उससे कहा मुझे घर वालों ने बदनाम कर ही दिया है। तो तुम एक काम करो आज मुझे चोदो क्योंकि मेरे पति वैसे भी घर पर तो रहते नहीं हैं। मुझे सेक्स की बहुत जरूरत पड़ती है तो तुम मेरे साथ आज सेक्स करोगे। वह पहले मना करने लगा और कहने लगा। मैं आपके साथ कैसे कर सकता हूं।
मैंने उसे कहा कि सेक्स मेरी आवश्यकता है जो तुम पूरी कर रहे हो। मैंने भी तुम्हारी हर जरूरत को पूरा किया है। अब वह मना ना कर सका और उसने मुझे जमीन पर लेटा दिया। जहां पर मैंने उसके लिए एक कमरे का बंदोबस्त करवाया था। उसने बड़ी प्यार से मेरे कपड़े खोलने शुरू किए और मेरे सारे कपड़े उसने खोल दिए।
अब मुझे बहुत अच्छा लगने लगा उसने जैसे ही मेरे बदन में हाथ लगाया। तो मेरे बदन में करंट सा दौड़ने लगा और मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा। अब उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। जैसे ही उसने मेरे होठों को चुमा तो मुझे ऐसा लगा ना जाने कितने दिनों बाद मुझे किसी ने चुमा है। वह बड़ी अच्छी तरीके से मेरे होठों को चूम रहा था। थोड़े समय बाद उसने मेरे ब्लाउज को उतारते हुए मेरे स्तनों को भी चूसना शुरू किया।
वह बड़े ही अच्छे तरीके से चूस रहा था। अब मैंने उसके लंड को बाहर निकाला उसकी पैंट से तो मैंने देखा वह बड़ा ही कड़क है और काला सा बहुत ही बड़ा है। मैं यह देख कर बहुत खुश हो गई। उसने मेरी योनि को चाटना शुरू किया। वह बड़े ही अच्छे से मेरी योनि को चाटे जा रहा था। मैं अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी। क्योंकि मैं बहुत संतुष्ट भी थी कि रामू मुझे चोदेगा। उसके काले लंड को मैंने अपने मुंह में ले लिया।
मुझे बहुत ही अच्छा लगा जब मैंने उसके काले लंड को अपने मुंह में लिया। वह बहुत ही कड़क था। मैं काफी देर तक उसके लंड को चुसती रही और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने उसके लंड को अपने गले तक ले लिया था। अब वह मेरे ऊपर चढ़ गया और उसने मेरी योनि में अपना काला लंड डाल दिया।
उसने एक ही झटके में बड़ी तेजी से मेरी योनि में अपना लंड घुसा दिया। जैसे ही उसने अपना लंड घुसाया तो मुझे बहुत तेज दर्द हुआ और मेरे मुंह से आवाज निकल पड़ी। क्योंकि मैंने आज तक इतना मोटा और कड़क लंड नहीं लिया था। जैसे ही वह मुझे झटके मारता तो मेरा पूरा बदन कांप उठता। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था।
रामू जब मुझे झटके मारे जा रहा था। उसने मेरी की रेल बना दी। उसने बहुत ही गंदे तरीके से मुझे चोदा। मेरा तो चूत का भोसड़ा बन गया। लेकिन उसका झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। ना जाने उसने क्या खाया था कि उसका झड़ नहीं रहा था।
मेरी तो हालत खराब हो चुकी थी और मेरा झड़ भी गया था। अभी भी वह धक्के मारे जा रहा था और मेरे स्तनों को चूसे से जा रहा था। उसका लंड मेरी चूत से रगड़ता जा रहा था और गर्मी पैदा होती जा रही थी। मेरा बदन पूरा गरम हो चुका था। लेकिन रामू टस से मस नहीं हो रहा था। ऐसे ही मुझे चोदे जा रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था।
जैसे मानो मेरे पति ने साल भर में भी इतना नहीं किया होगा जितना उसने एक ही दिन में कर दिया है। लेकिन मुझे अच्छा भी लग रहा था। वह मुझे ऐसे ही चोदता जा रहा था। काफी समय बाद उसका भी झड़ने वाला था।
तो उसने कहा मालकिन क्या करूं अंदर से गिरा दूं। मैंने उसे कहा तुम अंदर ही गिरा दो उसने अपने माल को मेरे अंदर ही गिरा दिया। अब वह थोड़ा शांत हुआ। अब जब भी मेरा मन होता है। तो रामू के पास में चली जाती हो अपनी भड़ास निकालने के लिए। वह बहुत ही अच्छे से मेरी प्यास को बुझाता है और मुझे बहुत ही अच्छा लगता है।
जब वह मुझे चोदता है। यह सब मेरी सास की वजह से हुआ यदि वह मुझे इस तरीके से नहीं कहती। तो शायद मैं रामू से नहीं चुदती।
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