मेरा नाम सुमित है मैं फरीदाबाद का रहने वाला हूं,
मैं कंस्ट्रक्शन का काम करता हूं लेकिन इससे पहले मैं एक कंपनी में जॉब करता था और वहां पर मैंने दो वर्ष तक नौकरी की, उसके बाद मैंने कंस्ट्रक्शन लाइन में हाथ आजमा लिया और अब मेरा काम भी अच्छा चल रहा है।
मैं अपने लिए भी थोड़ा बहुत समय निकाल लेता हूं, पहले नौकरी के दौरान तो मैं अपने लिए बिल्कुल भी वक्त नहीं निकाल पा रहा था क्योंकि मेरी नौकरी की टाइमिंग बहुत ही खराब होती थी।
मुझे बिल्कुल भी पता नहीं चल पाता था कि मैं कर क्या रहा हूं
क्योंकि मैं सुबह के वक्त अपने ऑफिस के लिए निकल जाता था और शाम को ही मैं घर लौटता था लेकिन उसके बाद मैंने कंस्ट्रक्शन लाइन में काम सीखना शुरू किया और अब मैं अच्छा काम कर रहा हूं।
दिल्ली में मेरा एक दोस्त रहता है
वह मेरा बचपन का बड़ा अच्छा दोस्त है, मैं जब भी दिल्ली जाता हूं तो उसके पास ही रुकता हूं क्योंकि उसकी फैमिली फरीदाबाद में ही रहती है और वह दिल्ली में अकेला रहता है।
मैं उसके फ्लैट में ही रुकता हूं और हम लोग वहां जमकर पार्टी और मस्तियां करते हैं।
विमल बहुत ही अच्छा लड़का है, वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त भी है। एक बार मैं और विमल घूमने के लिए जयपुर गए हुए थे, जयपुर में जब हम लोग घूम रहे थे तो उस दौरान विमल के साथ कुछ लड़के उलझ गए, उन लोगों के बीच में मार पिटाई भी हो गई, मैं थोड़ा आगे निकल चुका था
इसलिए मुझे पता नही चला लेकिन जब विमल मुझे मिला तो मैंने उसके फटे हुए कपड़े और उसकी आंखों को दिखा तो मुझे उसे देख कर बड़ी हंसी आने लगी और वह मुझे गालियां देने लगा वह कहने लगा तुम उस वक्त पता नहीं कहां चले गए, उन लोगों ने मेरा मार मार के भरता बना दिया और तुम मुझ पर हंस रहे हो।
मुझे उस पर वाकई में बहुत हंसी आ रही थी क्योंकि उसकी स्थिति ही कुछ ऐसी थी। विमल मुझे कहने लगा तुम मुझे किसी अस्पताल में लेकर चलो, मेरी आंख बहुत ज्यादा दर्द हो रही है।
उसके बाद मैं उसे अस्पताल में लेकर गया और हम लोगों का जयपुर का टूर पूरा खराब हो गया क्योंकि विमल का मुंह सूज कर पूरा गोल हो चुका था और वह बहुत ज्यादा दर्द से परेशान था इसीलिए हम लोग उस टूर को ज्यादा इंजॉय नहीं कर पाए।
मुझे जब वह बात ध्यान में आती है तो मैं अकेले ही हंसने लगता हूं और मुझे बहुत हंसी भी आती है क्योंकि विमल का जिस प्रकार का नेचर है वह बहुत ही सभ्य तरीके से बात करता है और उसके बात करने का अंदाज भी बहुत प्यारा है इसलिए उसे देखकर कभी भी नहीं लगता कि वह किसी के साथ झगड़ा सकता है।
जब उसका झगड़ा हुआ तो उस दिन उसकी स्थिति देखकर वाकई में मुझे बहुत हंसी आ रही थी और जब भी मैं उसे फोन करता हूं तो यह बात अवश्य निकल आती है कि जयपुर का हमारा टूर किस प्रकार का रहा था।
एक दिन मैं और मेरा एक कॉलेज का ही दोस्त मेरे साथ बैठा हुआ था, मैंने उससे उसकी लाइफ के बारे में पूछा तो वह कहने लगा मेरी लाइफ तो ठीक ही चल रही है, फिर बातों बातों में विमल का जिक्र आ गया और वह मुझसे पूछने लगा तो मैंने उसे बताया कि विमल दिल्ली में रहता है और वह दिल्ली में ही नौकरी कर रहा है।
उसने मुझसे पूछा कि क्या तुम्हारी मुलाकात विमल से हुई थी, मैंने उसे बताया कि मेरी मुलाकात विमल से होती ही रहती है, मैं जब भी दिल्ली जाता हूं तो मेरा उसके फ्लैट पर ही रुकना होता है।
मैंने उसे कहा बल्कि मैं कुछ दिनों बाद दिल्ली ही जाने वाला हूं, उस वक्त मैं विमल से मुलाकात करूंगा और हो सकता है उसके पास ही मैं रुकू। उस दिन मेरे और मेरे दोस्त की काफी देर तक बात हुई।
मैं भी कुछ दिनों बाद दिल्ली चला गया, जब मैं दिल्ली गया तो मैंने विमल को फोन किया, विमल मेरा फोन उठाते ही मुझसे पूछने लगा कि क्या तुम दिल्ली आए हुए हो, मैंने उसे कहा कि हां मैं दिल्ली आ गया हूं।
उसने कहा तुम तुरंत ही मेरे घर पर आ जाना, मैंने उसे कहा कि मैं अभी कहीं बाहर जा रहा हूं क्योंकि मेरा काम है उसके बाद जब मैं लौटूंगा तो मैं तुम्हें फोन कर दूंगा, वह कहने लगा ठीक है तुम मुझे फोन कर देना क्योंकि वह ऑफिस में था इसलिए मैं भी उसके साथ ज्यादा देर तक बात नहीं कर पाया और मैं अपने काम से चला गया।
जब मैं अपने काम से गया तो मुझे जिन व्यक्ति से मिलना था उनके साथ मेरी अच्छी मीटिंग रही और मैंने सोचा मैं कुछ खा लेता हूं, मुझे बड़ी तेज भूख लग रही थी।
मैं जब रास्ते से लौट रहा था तो मैंने रास्ते में राजमा चावल की ठेली देखी, मुझे राजमा चावल बड़े पसंद है इसलिए मैं सोचने लगा कि यहीं पर कुछ खा लेता हूं, मैंने वहां पर राजमा चावल खा लिए।
मैंने जब विमल को फोन किया तो विमल ने मेरा फोन रिसीव नहीं किया, मुझे लगा शायद वह ऑफिस में ही बिजी होगा। कुछ देर बाद विमल का फोन मुझे आया, वह मुझसे पूछने लगा तुम कहां पर हो मैंने उसे बताया कि मैं तो अपने काम से फ्री हो चुका हूं और तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था,
वह कहने लगा मुझे आने में थोड़ा देर हो जाएगी तुम फ्लैट में चले जाना। मैंने उससे पूछा कि फ्लैट में कौन है, वह कहने लगा मेरी पत्नी आई हुई है। मैंने उसे कहा फिर तो मैं नहीं आ पाऊंगा,
वह कहने लगा तुम जल्दी से फ्लैट में चले जाओ मैं कुछ देर बाद आ जाऊंगा। मैं जब उसके फ्लैट में गया तो उसकी पत्नी ने मुझे पहचान लिया क्योंकि मेरी उससे एक दो बार मुलाकात हो चुकी थी। जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो मुझे उससे बात कर के बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि वह दिखने में बड़ी सुंदर है।
मेरी मुलाकात उससे शादी मे हुई थी लेकिन ना जाने उसे देख कर मेरा मूड क्यों इतना ज्यादा खराब होने लगा, मैं जब उसकी बड़ी बड़ी गांड में को देख रहा था तो मुझे ऐसा लगने लगा जैसे कि मैं उसे चोद दू।
मैंने गीतिका की गांड पर हाथ मारा तो उसने कुछ नहीं कहा और वह हंसने लगे।
मैं समझ गया कि अब वह मुझसे चुदने के लिए तैयार है मैंने गीतिका को कसकर पकड़ लिया, उसे अपनी बाहों में ले लिया। मैंने जब उसके नरम और मुलायम होठों का रसपान किया तो मुझे बड़ा आनंद आ रहा था मै काफी देर तक उसे किस करता रहा।
जब उसकी योनि ने पानी छोड़ दिया तो मैं समझ गया कि अब यह मुझसे चुदने के लिए तैयार है मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया था उसकी बड़ी बड़ी गांड को मैं दबाता रहा।
गीतिका ने जब मेरे लंड को अपने मुंह में लिया तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस हो रहा था वह जिस प्रकार से मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर करती तो मेरा पानी इतना जल्दी निकल गया गतीका ने सब अपने अंदर समा लिया।
गीतिका भी बहुत खुश हो रही थी जब मैंने अपना लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो वह बड़ी खुशी थी वह अपने मुंह से गर्म सांस ले रही थी, वह अपने मुंह से मादक आवाज में सिसकीया ले रही थी।
मैंने उसे 10 मिनट तक बहुत अच्छे से रगड़ा लेकिन 10 मिनट के बाद में मेरा वीर्य पतन हुआ तो वह मुझे कहने लगी तुम्हारे अंदर इतना ही दम है विमल तो मुझे बहुत चोदता है। मैं अपने आप पर बहुत शर्मिंदा था
इसलिए मैंने सरसों का तेल अपने लंड पर लगा दिया मेरा लंड इतना ज्यादा चिकना हो चुका था, मैंने जब उसे घोड़ी बनाया तो घोड़ी बनाते ही मैने अपना लंड उसकी गांड के अंदर प्रवेश करवा दिया।
जैसे ही उसकी बड़ी गांड के अंदर मेरा लंड गया तो वह चिल्लाते हुए कहने लगी तुम्हारा लंड तो बड़ा मोटा है जब मेरी योनि के अंदर यह जा रहा है तो मुझे बिल्कुल भी प्रतीत नहीं हो रहा था लेकिन अब तो मुझे ऐसा लग रहा है
जैसे तुम्हारा लंड बड़ा मोटा और तगड़ा है। मैंने बड़ी तेज गति से गीतिका की गांड मारी जिससे की उसकी गांड तो छिल ही चुकी थी लेकिन मेरे लंड का भी बुरा हाल हो गया।
मैं उसे नॉनस्टॉप धक्के मारता रहा लेकिन जब उसकी गांड से आग बाहर की तरफ निकलने लगी तो मैं समझ गया कि अब मेरे बस की बात नहीं है।
वह भी अपनी बड़ी चूतडो को मुझसे टकरा रही थी जिससे की मेरा वीर्य इतनी तेजी से उसकी गांड के अंदर गिरा की मैंने उसे कसकर पकड़ लिया।
जब हम दोनों ने कपड़े पहने तो हम दोनों बैठकर बात कर रहे थे तभी विमल भी आ गया।
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