दोस्त की मम्मी ने आखिर मुझसे चूत चुदवा ही ली

4.7/5 - (8 votes)

मैं हूँ रोहित और मैं इलाहाबाद से हूँ। मित्रों मेरी उम्र 22 वर्ष है और करीब साढ़े 5 फुट की मेरी हाइट है। मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिये 6 माह पहले दिल्ली आया था, और इस समय मैं लक्ष्मी नगर में एक रूम लेकर रह रहा हूँ।

आज मैं आप को मेरे साथ घटी एक सच्ची सेक्स घटना सुनाने जा रहा हूँ जो कि मेरे करीबी दोस्त की माँ के साथ हुयी।

मेरी कोचिंग क्लासेस मेरे घर से करीब एक किमी की दूरी पर थी। और मेरी कोचिंग स्टडी शुरू हो चुकी थी। मैं अपनी बढ़ाई न करते हुए यह बताना चाहता हूँ कि मैं पढ़ने में काफी अच्छा हूँ और इस कारण अपनी क्लास में फेमस हूँ।

इस तरह मेरे क्लास में कई दोस्त भी बन गये थे, पर उनमें से मेरा सबसे करीबी दोस्त रवि था। और धीरे धीरे हम दोंनो की दोस्ती बढ़ गई और मजबूत होती गई।

फिर जल्द ही मेरा उसके घर आना जाना शुरू हो गया। और हम दोनों ही अक्सर उसकी बाइक पर साथ में कोचिंग आने जाने लगे। रवि के परिवार में उसकी माँ और पापा थे। उसके पापा रांची में किसी विभाग में सीनियर अफसर थे और छुट्टी न मिलने के कारण कम ही घर आ पाते थे। और उसकी माँ करीब 35 वर्ष की हाउस वाइफ थी।

लेकिन पूरी तरह से दिल्ली के परिवेश में ढली होने के कारण उनका यौवन और शरीर की काया किसी भी पच्चीस साल की लड़की को भी मात देने वाली थी। वह बहुत ही मिलनसार और हंसमुख नेचर की थी। जब मैंने उनको पहली बार देखा तो मुझे उन्हें देखकर कतई यह अहसास नहीं हो रहा था कि वह एक जवान लड़के की माँ है।

पहले पहल को मैं उनको निहारता ही रह गया और उनके मस्त ट्रिम्ड शेप वाले शरीर और दूध से भी निखरे चेहरे पर मोहित हो गया, लेकिन फिर अपने आप को यह समझाते हुए रोक लिया कि वह मेरे दोस्त की माँ है।

इस तरह मेरा दिल्ली में ज्यादातर समय रवि के घर पर बीतने लगा और मेरी स्टडी उसके साथ आगे बड़ रही थी। मैं जब कभी भी बोर होता तो रवि के घर पर चला जाया करता था और उसकी मम्मी ने भी मुझे उनके यहाँ आने जाने की परमीशन दे दी थी, क्योंकि वे जानती थी कि मैं दिल्ली से नहीं हूं और यहाँ पर अकेले रहता हूँ।

स्टडी के बाद हम दोनो ही घंटो बाते करते और कभी कभी उसकी माँ भी हमें ज्वाॅइन कर लेती थी। और इस तरह धीरे धीरे मेरी हिचकिचाहट दूर होने लगी और मैंने भी खूब बातें करनी शुरू कर दी।

और हमारे बीच अलग अलग विषयों पर काफी लंबी बातें होने लगी। इसी बीच मैं उन्हें छिपी निगाहों से तड़ने लगा क्योंकि मैं पहले से ही उन पर लट्टू था और छोटी छोटी शरारतें करके उनके पास जाने लगा। अपने उम्र के तजुर्बे के हिसाब से वे यह समझ चुकी थी कि मैं उनकी ओर आकर्षित हूँ और वे कभी मुझे समझाती तो कभी मुस्कुराकर टाल देती थी

पर मुझ पर नाराज नहीं होती थी।। इसलिए मैं भी उनके मना करने के बावजूद उनके करीब जाता क्योंकि मुझे उनके अंदर की गर्मी का अहसास होने लगा था जो उनके पति के न होने से बढ़ती जा रही थी, और जब भी रवि घर पर नहीं होता था,

मैं उस गर्मी को हवा देकर आग बनाने की कोशिश करता रहता था। कुछ दिनों बाद आंटी ने भी अपनी अदायें बिखेरना शुरू कर दिया जो कि मेरी ओर उनकी सहमति भरा इशारा था।

इस तरह से हम दोंनो नजरें मिलाने लगे और खुलकर एक दूसरे से बातें करने लगे। साथ ही चुपके चुपके आगे बढ़ने के लिए उतावले होने लगे क्योंकि मैं आंटी के अंदर के शोलों को पूरी तरह से भड़का चुका था।

अब हम दोनों ही एक होने के लिए सही समय की तलाश कर रहें थे। और शायद ऊपर वाले को भी यही मंजूर था और जल्द ही हमें वह दिन मिल गया, क्योंकि एक दिन रवि के पापा का फोन आया और उन्होंने घर से कुछ जरूरी कागजात मगाएं।

इसलिये अगले दिन दोपहर की ट्रेन से रवि को रांची जाना था। मैं जानता था कि रवि मुझे भी साथ में जाने को कहेगा, इसलिए मैंने बिमारी का बहाना बना लिया, जिसके कारण रवि मुझे छोड़कर अकेले रांची के लिये रवाना हो गया और जाते जाते मुझे उसके घर पर आराम करने लिये छोड़ गया ताकि मैं जल्दी स्वस्थ हो सकूँ।

और आखिर काफी दिनों बाद मुझे वह मौका मिल ही गया जिसका मैं इंतजार कर रहा था। शाम हो चुकी थी और घर में मैं और आंटी अकेले थे। वे रसोई से खाना बनाकर बाहर निकली और नीले रंग की साड़ी में उनका काफी हिस्सा पसीने से भीगा हुआ था जो कि मुझे और भी विचलित कर रहा था। फिर उन्होंने मेरे माथे पर हाथ फेरते हुए मेरा हाल पूछा तो मैंने भी बिना वक्त गवाए उनका हाथ पकड़ते हुए कहा कि वह तो बहाना था,

नहीं तो मैं उनके पास कैसे रूक पाता। अब उन्हें यह समझने में देर न लगी और उन्होंने भी मौके की नजाकत को भांपते हुए मुझसे कहा कि पहले खाना तो खा लो। और फिर हमनें साथ में खाना खाया और इस बीच वे मेरी आखों से झलकती वासनाओं को अपनी अदाओं से और भी बेकाबू कर रही थी।

डिनर के बाद उन्होंने मुझे अपने बेडरूम के बगल वाले कमरे में इंतजार करने को कहा। मैं भी चुपचाप चला गया और उनके आने की बेसब्री से राह देखने लगा। कुछ समय बार अपने काम खत्म करके आंटी धीरे से कमरे में दाखिल हुयी। उन्होंने काले रंग की नाइटी पहन रखी थी।

मैंने पहली बार उनको इस ड्रेस में देखा था, वे गजब की सेक्सी लग रही थी और उनको देखते ही मेरे दिमाग के घोड़े बेकाबू हो गये और मैंने लपक कर उनको अपनी बाहों में भर लिया और उनके होठों को कसकर दबा दबाकर चूसने लगा। मेरी बेसब्री को देखते हुए बीच में रोककर बोली कि आराम से, अभी हमारे पास पूरी रात है।

पर मैं बिना रूके कभी उनके होठ चूमता तो कभी उनके गले पर किस करता। फिर मैं उनकी चूचियों को नाइटी के ऊपर से चूसने लगा और फिर धीरे से नाइटी उठाकर उनकी चूत तक पहुंच गया और उंगली से उनकी चूत को कुरेदने लगा। इस बीच आंटी की सिसकियां निकलने लगी। उनकी चूत बहुत सख्त थी, शायद कई महीनों की प्यासी थी,

और मैं भी उनकी चूत को तेज से खोदने लगा। अब तक हम दोनों के शरीर का तापमान बढ़ चुका था और जल्द ही मैंने उनको पैंटी छोड़कर पूरा नंगा कर दिया और खुद मैं भी सिर्फ अंडरवियर में रह गया था।

मैं उनकी नंगी चूचियों को मुंह में भर भर कर चूस रहा था। फिर धीरे से आंटी ने मेरे लंड को अंडरवियर से बाहर निकालते हुये कहा कि यह तो रवि के पापा से भी बहुत बड़ा है, और उसे जोर जोर से हिलाने लगी और बोली कि आज तुम्हारे इस बड़े से लंड से मेरी प्यास बुझा दो और जल्दी से इसे मेरी चूत में डालो।

मैंने भी उनकी पैंटी धीरे नीचे सरका कर उतार दी। अब उनकी बिना बालों वाली लाल सी चूत मेरी आखों के सामने थी और जिसे देखते ही लौड़ा तन कर और भी मोटा हो गया और साथ ही आंटी पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और चुदने के लिए चिल्ला रही थी। इसके बाद मैंने भी अपने लंड पर थूक लगाया और उनकी गीली हो चुकी चूत में हल्के से डाल दिया और फिर आंटी बोली कि अब इंतजार नहीं होता और इसे पूरा डालकर मुझे खूब चोदों।

आंटी की झटपटाहट को देखते हुये मैंने इस बार दम लगाकर पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया और गीली चूत में रगड़ते हुये आगे पीछे करने लगा। आंटी भी भरपूर मजा लेते हुए उछल उछल कर चुद रही थी और आइइइइइइ आउउउउ की आवाजें में शोर मचा रही थी।

और इसके बाद मैं उनको कई स्टाइलों में कभी ऊपर तो कभी नीचे करके चोदता रहा और वे भी मेरा पूरा साथ देती रहीं। मैं झड़ने के बाद अपना पानी चूत में ही छोड़ देता था। और रात भर मैंने करीब चार बार पूरी दम लगाकर झड़ने तक चोदा। और आंटी की चूत पूरी पानी से भर दी। हम दोनों सुबह तीन बजे तक चुदाई के मजे लेते रहे।

और इस तरह मैंने उनको संतुष्ट किया। तो दोस्तों, यह थी मेरी सच्ची कहानी जिसमें मैंने अपने दोस्त की माँ की चुदाई की। इस कहानी को पढ़ने के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया। अपनी अगली कहानी के साथ मैं जल्द ही आऊँगा। धन्यवाद।

Leave a comment