मैं अपनी 12वीं की परीक्षा देने के बाद घर पर ही था लेकिन मेरा घर पर बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था क्योंकि मेरे दिमाग में तो सिर्फ रचिता का ही ख्याल आ रहा था, रचिता भी हमारे साथ हमारी क्लास में ही पढ़ती थी, रचिता के पिताजी हमारे स्कूल में अध्यापक हैं।
मैं रचिता से बात करने के लिए बेताब था लेकिन उससे मेरा कोई भी संपर्क नहीं हो पा रहा था क्योंकि रचिता से मेरी इतनी अच्छी बातचीत नहीं थी, मैं घर में जब भी अपनी बहन से इस बारे में बात करता तो वह मुझे कहती की लगता है रितेश तुम्हारा दिमाग सही नहीं है यदि यह बात पापा को पता चली तो पापा तुम्हारा मार मार कर बुरा हाल कर देंगे इसलिए तुम अपने दिमाग से यह सब ख्याल निकाल दो।
मेरे पापा बड़े ही सख्त किस्म के व्यक्ति हैं और वह किसी से भी फालतू की बातें नहीं करते उन्हें घर में जब कोई काम होता है तो उसी वक्त वह मम्मी से बात करते हैं नहीं तो वह अपने काम पर ही पूरा ध्यान देते हैं, मेरे पापा एक प्रॉपर्टी डीलर हैं, मुझे अपने पापा से बहुत ज्यादा डर लगता है, मेरी मम्मी मेरा और मेरी बहन का बहुत ज्यादा सपोर्ट करती है जब भी वह हमें डांटते हैं या हमसे कभी कोई गलती हो जाती है तो मेरी मम्मी ही हमें पापा की डांट से बचाती हैं।
मेरा घर पर बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था फिर एक दिन मैं घर की छत पर बैठा हुआ था तभी मेरे पड़ोस में रहने वाला मेरा दोस्त संदेश मेरे घर पर आ गया संदेश कहने लगा रितेश आजकल तुम खेलने भी नहीं आते हो, मैंने रितेश से कहा संदेश आजकल मेरा मन नहीं लगता मैं घर पर भी परेशान हो गया हूं मेरे दिल मे सिर्फ रचिता का ही ख्याल रहता है।
संदेश मुझे कहने लगा रितेश लगता है तुम्हारा दिल रचिता पर आ चुका है, मैंने संदेश से कहा हां तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो लेकिन मुझे पहले इस बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था पहले मैं इस बात को बड़े ही हल्के में ले रहा था लेकिन जब से हमारे एग्जाम खत्म हुए हैं
उसके बाद तो जैसे मेरे सामने सिर्फ रचिता का चेहरा ही आता है तुम ही मुझे बताओ मुझे क्या करना चाहिए, वह कहने लगा तुम इस बारे में रचिता से बात कर लो मैंने संदेश से कहा लेकिन मेरे पास रचिता का कोई नंबर भी नहीं है और तुम्हें तो मालूम ही है कि मेरी उससे इतनी ज्यादा बातचीत नहीं है
यदि मैं उससे बात करूंगा तो वह कहीं मेरे बारे में गलत ना सोच ले, संदेश कहने लगा देखो रितेश तुम्हें हिम्मत तो करनी ही होगी यदि तुम उससे बात नहीं करोगे तो उसे कैसे पता चलेगा कि तुम उससे प्यार करते हो तुम्हें यह बात तो रचिता को बतानी ही पड़ेगी।
मेरे अंदर जैसे संदेश ने जोश जगा दिया हो पहले मैं हिम्मत नहीं कर पा रहा था लेकिन जब उसने मुझे यह सब बात कही तो मेरे अंदर एक हिम्मत सी पैदा हो गई और फिर मैंने संदेश से रचिता का नंबर ले लिया, संदेश की रचिता के साथ बातचीत हो जाती थी। मैंने जब रचिता को फोन किया तो रचिता ने फोन उठाते हुए कहा कौन बोल रहा है? मैंने रचिता से कहा मैं रितेश बोल रहा हूं।
कुछ सेकंड तक तो सामने से आवाज नहीं आई और मुझे हेलो हेलो बोलना पड़ा, रचिता ने सामने से जवाब दिया और कहा हां रितेश मैं सुन रही हूं तुम बोलो तुम्हें कुछ काम था क्या? मैंने रचिता से कहा नहीं मुझे कुछ काम नहीं था बस ऐसे ही सोचा तुम्हें फोन कर लूं, आजकल घर पर ही अकेले बोर हो रहा था।
रचिता कहने लगी बोर तो मैं भी हो रही हूं और घर में आजकल मेरा भी दिल नहीं लग रहा, जब से स्कूल जाना बंद किया है तब से तो घर पर ऐसा लगता है जैसे कि घर काटने को दौड़ रहा हो।
जब रचिता ने यह बात मुझसे कही तो मैंने रचिता से कहा क्यों ना हम लोग कहीं घूमने का प्लान बना ले, वह कहने लगी मैं घूमने तो नहीं आ पाऊंगी तुम्हें तो पता ही है कि पापा कितनी पाबंदी लगा कर रखते हैं इसलिए मैं घर पर ही रहती हूं, रचिता ने मुझसे पूछा लेकिन आज तुमने मुझे कैसे फोन कर लिया? मैंने रचिता से कहा बस ऐसे ही आज तुमसे बात करने का मन था और अपने क्लासमेट्स को मैं मिस कर रहा था
इसलिए मैंने तुम्हें फोन कर लिया। उसने मुझसे पूछा लेकिन तुम्हारे पास तो मेरा नंबर नहीं था तो तुम्हें मेरा नंबर कहां से मिला? मैंने उसे बताया आज संदेश मुझे मिला था मैंने उससे तुम्हारा नंबर ले लिया था।
रचिता और मेरी बात पहली बार फोन पर इतनी ज्यादा हुई थी इससे पहले मैंने कभी भी उससे इतनी ज्यादा बात नहीं की थी क्लास में भी मैं उससे ज्यादा बात नहीं करता था लेकिन उस दिन जैसे रचिता से मेरी बात होनी शुरू हो गई थी उसके बाद तो लगातार मैं उसे फोन पर बात किया करता हूं।
एक दिन उसने मुझे कहा आज मैं मार्केट आने वाली हूं, मैंने उससे पूछा क्यों तुम आज मार्केट आ रही हो क्या तुम्हें कुछ काम है? वह कहने लगी पापा मम्मी मेरे मामा के घर गए हुए हैं और घर पर मैं ही अकेली हूं इसलिए मुझे घर का काम करना पड़ रहा है। मैंने सोचा आज एक अच्छा मौका है क्यों ना आज रचिता से मिलने जाया जाय, मैं उससे मिलने के लिए अपनी बाइक लेकर चला गया जब वह मुझे मिली तो मुझे उसके साथ बात करने में थोड़ी शर्म आ रही थी लेकिन मैंने उस दिन हिम्मत करते हुए रचिता के साथ काफी देर तक बात की थोड़ी देर बाद मेरी शर्म भी खत्म होने लगी मैं रचिता से खुलकर बातें करने लगा।
रचिता मुझे कहने लगी मुझे बस थोड़ी देर का काम है उसके बाद क्या तुम मुझे मेरे घर छोड़ दोगे। मैंने उसे कहा ठीक है रचिता मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूं हम दोनों ने शॉपिंग की उसके बाद मै रचिता को छोड़ने उसके घर चला गया। जब वह बाइक में मेरे साथ बैठी थी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
जिस प्रकार से उसने मुझे पकड़ा था मुझे बहुत ही मजा आ रहा था उसके बड़े बड़े स्तन मेरे कंधे से टकरा रहे थे मेरा लंड तो एकदम तन कर खड़ा हो चुका था। जब हम रचिता के घर पहुंचे तो अरे रचिता कहने लगी
तुम घर पर आ जाओ। मैं उसके साथ उसके घर पर चला गया मै उसे अकेला देखकर बहुत खुश था मैं उसे अपनी बाहों में लेना चाहता था और उसके मदमस्त बदन को महसूस करना चाहता था। मैंने जब उसके हाथ को पकड़ा तो वह मुझे कहने लगी रितेश तुम यह क्या कर रहे हो।
मैंने उसे कहा रचिता तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो वह मुझे कहने लगी तुम अभी मेरे घर से चले जाओ मुझे अब तुमसे नफरत होने लगी है। मैंने उसे अपनी बांहों में पकड़ते हुए कहा रचिता तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता।
जब मैंने उसे अपनी बाहों में लिया तो मैंने उसे इतना कस कर पकड़ लिया कि वह हिल भी नहीं पा रही थी, मैंने उसे वही जमीन में लेटाते हुए उसके होठों का रसपान करना शुरू कर दिया। उसने अपने दांतो से मेरे होठों को भी काट दिया था लेकिन मुझे तब भी कोई आपत्ति नहीं थी।
जब मैंने उसकी जींस के अंदर उसकी चूत को सहलाना शुरु किया तो उसने जैसे मुझे अपना बदन सौंप दिया था उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी। मैंने उसकी जींस के बटन को तोड़ते हुए उसकी जींस को उतार दिया जब मैंने उसकी चूत देखी तो उस पर एक भी बाल नहीं था उसकी चूत देखकर मेरा लंड एकदम तन कर खड़ा हो गया।
मैंने भी ज्यादा देर नहीं की और अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाल दिया जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के अंदर प्रवेश हुआ तो उसकी चूत से जो खून निकला उसे देखकर मेरे उत्तेजना और भी अधिक होने लगी।
मैं उसे बड़ी तेजी से चोदने लगा मैंने उसे इतनी तेज गति से धक्के दिए उसके मुंह से चिल्लाने की आवाज निकल जाती उसे भी अच्छा लगने लगा था। वह मुझे कहने लगी जब तुमने मेरी सील तोड़ ही दी है तो तुम मुझे और भी मजे दो मेरी इच्छा नहीं भर रही है।
मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखते हुए और भी तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए उसे बड़ा मजा आने लगा था। जब बहुत झड़ गई तो उसने अपने पैरों से मुझे जकडना शुरू कर दिया।
मैं बड़ी तेजी से उसे चोद रहा था जब मेरा वीर्य पतन हो गया तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाला मेरा लंड सूज कर मोटा हो चुका था। हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए उसके बाद शर्म से रचिता की नजरें झुक गई मैं भी उससे नजरे नहीं मिला पाया और मैं अपने घर चला गया।