मेरी शादी को 4 वर्ष हो चुके हैं जब से मेरी शादी हुई है
तब से हमारे घर में हर दिन नई नई समस्या पैदा हो जाती हैं।
मेरे पिताजी एक मिडल क्लास फैमिली से थे इसलिए उन्होंने मेरी शादी रौनक से करवा दी, रौनक के पिताजी और मेरे पिताजी पुराने दोस्त थे, रौनक भी मुझे अच्छा लगा वह बड़ा ही संस्कारी किस्म का लड़का है
इसीलिए मैंने उससे शादी करने की ठानी,
जब हम दोनों की शादी हो गई तो उसके कुछ समय बाद मेरे ससुर जी का देहांत हो गया और सारी जिम्मेदारी जैसे रोनक के कंधों पर आ गई और रौनक उन जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा था।
कविता की उम्र भी शादी की होने लगी थी, कविता के लिए भी रिश्ते आने लगे थे
लेकिन रौनक इस बात का फैसला नहीं कर पा रहे थे कि उसके लिए कौन लड़का ठीक है
क्योंकि उनका तजुर्बा इतना ज्यादा नहीं था। जब कविता के लिए एक रिश्ता आया तो वह रौनक को बहुत अच्छा लगा और रौनक ने शादी करवाने के बारे में सोच लिया, जब कविता की सगाई उस लड़के से हो गई तो वह लड़का अक्सर हमारे घर आया जाया करता था उसका नाम सुमित है।
सुमित बहुत ही अच्छा लड़का था लेकिन जब उसकी शादी कविता के साथ हुई तो वह पूरी तरीके से बदल गया, कुछ महीनों तक तो कविता बहुत खुश थी लेकिन उसके बाद सुमित ने अपना असली रंग दिखाया वह कविता को बहुत मारने पीटने लगा था, कविता हमेशा ही रौनक को फोन कर दिया करती थी
जिससे की रौनक भी बहुत तनाव में आने लगे, मै रोनक से पूछती तो रौनक मुझे कुछ भी नहीं बताते लेकिन मैंने इस बात को जानने के लिए अपनी सास से पूछा तो उन्होंने मुझे सारी बात बता दी, वह कहने लगी
हम तो सुमित को कितना अच्छा लड़का समझते थे लेकिन उसने तो हमारे विश्वास को पूरी तरीके से तोड़ दिया और वह कविता को बहुत ज्यादा परेशान करता रहता है।
मैंने इस बारे में रौनक से बात की रौनक मुझे कहने लगे देखो सुमन मैं इस बारे में तुमसे कोई भी बात नहीं करना चाहता, मैंने रौनक से कहा यदि तुम मुझसे बात नहीं करोगे तो तुम इस बारे में किस से बात करोगे मैं भी तो इस घर की सदस्य हूं तुम्हें मुझसे इस बारे में तो बात करनी ही चाहिए।
रौनक ने मुझे कहा सुमित कविता को दहेज के लिए बहुत परेशान करता है मेरी तो समझ में नहीं आ रहा है कि मुझे क्या करना चाहिए, मुझसे जितना बन सकता था मैंने उतना कविता की शादी में किया,
मैंने रोनक से कहा क्यों ना हम इस बारे में सुमित के माता-पिता से बात करनी चाहिए। हम दोनों सुमित के माता-पिता से बात करने गए तो उन दोनों का रवैया भी बिल्कुल सुमित की तरह ही था वह लोग दहेज के बड़े ही लालची थे।
रौनक मुझसे कहने लगे मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे कि मैंने कविता की जिंदगी बर्बाद कर दी, मैंने रौनक से कहा आप चिंता मत कीजिए जरूर हम लोग कोई रास्ता निकाल लेंगे,
रौनक ने अपने दोस्तों से कुछ पैसे उधार लिए और सुमित को दे दिए कुछ दिनों तक तो सुमित अच्छे से रहा लेकिन जब वह पैसे खत्म होने लगे तो उसका व्यवहार दोबारा से बदलने लगा, रौनक के पास भी बिल्कुल पैसे नहीं थे
लेकिन वह घर में किसी को भी इस बारे में नहीं बताना चाहते थे, मैं रौनक से बहुत ज्यादा प्यार करती हूं इसलिए मैं उनकी मदद करना चाहती थी लेकिन मुझे समझ नही आ रहा था कि
मैं उनकी मदद कैसे करूं, मैंने इस बारे में अपने पिता जी से भी बात की तो पिताजी कहने लगे कि बेटा यदि तुम्हें पैसों की आवश्यकता हो तो तुम मुझे बता दो, मैंने उस वक्त अपने पिताजी से कुछ पैसे उधार भी लिए लेकिन रौनक ने वह पैसे नहीं लिए
वह मुझे कहने लगे मैं यह पैसे नहीं ले सकता उसके बाद मैंने वह पैसे अपने पिताजी को लौटा दिए। मैंने उस दिन रौनक से पूछा क्या तुम मुझे प्यार नहीं करते, रौनक कहने लगे मैं तो तुम्हें प्यार करता हूं,
मैंने उनसे कहा कि तो फिर तुमने वह पैसे क्यों नहीं लिए? वह कहने लगे वह पैसे तुम्हारे माता-पिता के हैं और मैं वह पैसे तुमसे नहीं ले सकता। मैंने रौनक से कहा यदि मैं कोई काम करूं तो क्या तुम मुझसे पैसे लोगे, वह चुप हो गए।
मैंने कुछ दिनों बाद ही एक स्कूल जॉइन कर लिया मैं उस स्कूल में पढ़ाने लगी थी, मुझे जितनी भी सैलरी मिलती मैं वह रौनक के अकाउंट में डाल देती।
रौनक ने मुझसे पूछा कि तुम अपनी सैलरी मुझे क्यों देती हो, वह तुम अपने पास ही रख लिया करो, परन्तु मैं वह पैसे रौनक को देती थी, रौनक मुझसे कहने लगे तुम बहुत ही अच्छी हो
इसीलिए तो मैंने तुम्हें पहली नजर में देखते हुए पसंद कर लिया था। हम दोनों अपने बीते दिनों को याद करने लगे, कविता के जीवन में अभी भी पहले जैसी ही कठिनाइयां थी, सुमित उसे अब भी बहुत परेशान करता था,
रौनक का उसके ऊपर दिन प्रति दिन खर्चा होता जा रहा था और मेरी तनख्वा से भी इतना कुछ हो नहीं सकता था इसीलिए मैंने सोचा मुझे कुछ और करना चाहिए लेकिन उस वक्त मुझे कुछ ऐसा नहीं मिल रहा था जिससे कि मुझे ज्यादा पैसे मिल सकते थे, मैं सिर्फ रौनक के चेहरे पर खुशी देखना चाहती थी।
दिन ऐसे ही बीतते गए रौनक और भी ज्यादा उदास होने लग गए थे। रौनक इतने ज्यादा उदास हो गए मैं उनके चेहरे पर किसी भी हालत में खुशी देखना चाहती थी उसी दौरान मेरे कॉलेज के प्रिंसिपल मुझ पर डोरे डालने लगे।
वह मेरी फिगर पर पूरी तरीके से फिदा थे लेकिन मेरे दिमाग में यह बात चल रही थी क्यों ना उनसे पैसे लिए जाएं। मैंने उस दिन उन्हें अपने बदन के आगोश में ले लिया जब उन्होंने मेरी चूत पहली बार मारी तो वह बहुत खुश हो गए लेकिन उस दिन यह सब बड़ी ही जल्दी बाजी में हुआ उन्होंने मुझे पैसे दे दिए थे।
मैंने वह पैसे रौनक को दे दिए लेकिन मुझे अपने स्कूल के प्रिंसिपल के लंड लेने की आदत हो चुकी थी उनका लंड बहुत मोटा है, रौनक भी अब मेरे साथ सेक्स नहीं करते थे।
एक दिन प्रिंसिपल ने मुझे कहा आज तुम मेरे घर पर आ जाना मैं जब उनके घर पर गई तो वह अपने घर पर बैठे हुए थे उस दिन उनके घर में कोई भी नहीं था।
उन्होंने मुझे अपनी गोद में बैठा लिया वह कहने लगे सुमन तुम तो बड़ी ही लाजवाब हो जब से मैंने तुम्हारी चूत मारी है तब से मैं तुम्हारे पीछे पागल हो चुका हूं।
उन्होंने मेरी साड़ी को उतार दिया जब उन्होंने मेरे पेटीकोट को ऊपर किया तो वह मेरी चूत को चाटने लगे वह मेरी चूत को ऐसे चाट रहे थे जैसे कि मेरी चूत से कोई मीठा पदार्थ निकल रहा हो।
जब उन्होंने मुझे अपने लंड के ऊपर बैठाया तो उनका लंड मेरी चूत के अंदर जा चुका था मुझे बहुत दर्द होने लगा। वह मुझे कहने लगे तुम अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करते रहो मैं अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करती जा रही थी।
जब मैं अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करती तो मुझे बहुत अच्छा लगता उन्होंने जिस प्रकार से मेरी चूत मारी मुझे बहुत अच्छा लगा। जब उन्होंने मेरा गांड पर हाथ लगाया तो वह कहने लगे आज तो मेरी हिम्मत नहीं है
लेकिन कुछ दिनों बाद में तुम्हारी गांड का भी रसपान करूंगा उन्होने मुझे पैसे दिए और कहने लगे अगले रविवार को तुम मेरे घर आ जाना। मै रविवार को उनके घर पर चली गई वह अपने लंड पर पहले से ही तेल लगा कर बैठे हुए थे।
उन्होंने मुझे कहा अब तुम अपनी साड़ी को उतार दो। मैंने अपनी साड़ी को उतार दिया जब उन्होंने मेरे पेटीकोट को ऊपर किया तो उन्होंने मेरी पिंक कलर की पैंटी को नीचे करते हुए मेरी गांड के अंदर बड़ी
तेजी से अपना लंड घुसा दिया। जब उनका लंड मेरी गांड में घुसा तो मुझे ऐसा लगा जैसे कि कोई डंडा मेरी गांड के अंदर चला गया हो वह बड़े ही अच्छे से मेरी गांड मार रहे थे। मेरी गांड बहुत ज्यादा दुख रही थी
लेकिन मुझे उस दिन के बाद गांड मरवाने का शौक भी हो गया, मैं प्रिंसिपल की जुगाड़ बन चुकी थी
वह हमेशा ही मेरे हुस्न का रसपान किया करते। रौनक भी समय के साथ ठीक होने लगे थे लेकिन अब मुझे प्रिंसिपल का लंड लेने की आदत हो चुकी थी इसलिए मुझे रौनक का लंड बहुत ही छोटा सा लगता था
मैं फिर भी रौनक को भी सेक्स के पूरे मजे देती थी मैंने कभी भी उन्हें इस बात का इल्म नहीं होने दिया कि
मैं किसी और के साथ भी सेक्स करती हूं वह बहुत ही खुश थे और हमेशा कहते सुमन तुम बहुत अच्छी पत्नी हो। रौनक के चेहरे की खुशी देखकर मैं खुश हो जाया
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