मेरा नाम दीपक है मैं आगरा का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 36 वर्ष है।
मैं एक शादीशुदा पुरुष हूं और मैं स्कूल में मार्शल आर्ट का टीचर हूं। मैं जिस स्कूल में टीचर हूं उस स्कूल में बच्चे मुझे बहुत अच्छा मानते हैं और सब बच्चे मुझे कहते हैं कि सर आप बहुत ही अच्छे हैं।
मैं सब के साथ बहुत ही अच्छी तरीके से रहता हूं और जब भी किसी को मेरी मदद की जरूरत होती है तो मैं हमेशा उसके साथ खड़ा रहता हूं।
मैं अपनी कॉलोनी में भी सब लोगों के साथ बहुत अच्छे से रहता हूं। मेरे रिश्तेदार भी मुझे कहते हैं कि तुम्हारा स्वभाव कितना अच्छा है। एक बार मुझे किसी काम के सिलसिले में पटना जाना पड़ा।
मैं जब पटना गया तो वहां पर मैं कुछ दिनों तक रुका हुआ था क्योंकि वहां मैं मार्शल आर्ट की क्लास देने वाला था और मुझे कुछ दिनों तक वहीं रुकना था। मेरा दो हफ्ते का वहां प्रोग्राम था। उस बीच मेरी काफी लोगों से अच्छी बातचीत भी हो गई थी। मेरा स्वभाव ऐसा है कि मैं जिससे भी बात करता हूं वह हमेशा मेरी बातों से खुश हो जाता है।
एक दिन मैं बच्चों को ट्रेनिंग देकर वहां से बाहर की तरफ निकल रहा था। मैं जिस जगह रुका था तो मैंने सोचा आज पैदल ही वहां तक चल लेता हूं। मैं जब पैदल जा रहा था तो गली में कुछ लड़के खड़े थे।
जो भी महिलाएं वहां से जाती वह लोग उनके साथ बड़ी बदतमीजी करते। मैं काफी देर तक कोने में खड़ा होकर यह सब देखता रहा लेकिन हद तो तब हो गई जब उन्होंने एक लड़की के साथ बहुत ज्यादा बदतमीजी करनी शुरू कर दी। उन्होंने उस लड़की के जेब से मोबाइल निकाला और उसके मोबाइल को नीचे पटक दिया।
मुझसे भी यह सब नहीं देखा गया और मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया। मैं जब उनके पास गया तो मैंने उनसे कहा कि तुम इतनी बदतमीजी क्यों कर रहे हो लेकिन वह लोग बात को बिल्कुल सुनना ही नहीं चाहते थे।
मैंने भी सोचा कि आज काफी समय बाद मुझे अच्छा मौका मिला है मैं भी उनके साथ दो-दो हाथ करने को तैयार हो गया। वह काफी लड़के थे लेकिन मैंने उनकी ऐसी धुनाई की शायद उस दिन के बाद वह कभी किसी लड़की को नहीं छेड़ेंगे।
जिस लड़की का उन्होंने मोबाइल तोड़ा था उस लड़की ने मुझे धन्यवाद कहा और कहने लगी सर आपने आज इन लड़कों को बहुत अच्छा सबक सिखाया। मैंने उसका नाम पूछा उसका नाम प्रियंका है और वह किसी कंपनी में नौकरी करती है। वह मुझे कहने लगी कि सर आप मुझे भी मार्शल आर्ट सिखा दीजिए।
मैंने प्रियंका से कहा क्या तुमने इससे पहले कभी मार्शल आर्ट सीखी है। वह कहने लगी हां कुछ दिनों तक तो मैं गई थी लेकिन उसके बाद मैं समय नहीं दे पाई इसीलिए मैं आपसे सीखना चाहती हूं।
आप कितने दिनों तक यहां पर हैं। मैंने उसे कहा मैं ज्यादा दिनों तक तो यहां पर नहीं हूं लेकिन जितने दिन भी हूं तुम उतने दिन मेरे पास मार्शल आर्ट सीखने आ सकती हो। वह मुझे कहने लगी कि लेकिन मुझे आना कहां होगा। मैंने उसे एड्रेस दिया और कहा कि यहां पर मैं बच्चों को सिखा रहा हूं तुम यहां पर आ सकती हो।
वह कहने लगी ठीक है मैं कल से आपके पास आ जाऊंगी। वह मुझे कहने लगी लेकिन मैं शाम के वक्त ही आ पाऊंगी। मैंने कहा ठीक है तुम शाम के वक्त आ जाना। मैं जिस जगह पर मार्शल आर्ट सिखा रहा था वहां पर सब बच्चे दोपहर के वक्त ही आते थे। अब मैं वहां से चला गया। मैंने प्रियंका से कहा कि तुम कल से आ जाना।
जाते जाते प्रियंका मुझे धन्यवाद कहने लगी। वह बहुत ही अच्छी लड़की थी। मैं भी वहां से चला गया और जब अगले दिन मैं बच्चों को सिखा रहा था तो प्रियंका भी शाम के वक्त आ गई। शाम के वक्त थोड़ा कम बच्चे रहते थे और कभी कबार तो कोई होता भी नहीं था। मैंने उसे भी ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी।
वह पहले से ही काफी कुछ सीखी हुई थी मुझे लगा कि शायद उसे नहीं आता होगा लेकिन वह काफी अच्छे से मेरे साथ प्रैक्टिस कर रही थी और मैंने उसे बहुत सारे मूव सिखा दिए।
एक दिन प्रियंका मुझे कहने लगी सर आज आप मेरे साथ घर पर डिनर पर चलिए। मैंने उसे कहा नहीं प्रियंका मैं तुम्हारे साथ नहीं आ सकता तुम्हारे घर वाले मेरे बारे में क्या सोचेंगे। वह कहने लगी नहीं सर आप चलिए। उसने मुझसे बहुत जिद कि। मैंने उसे कहा ठीक है कल मैं तुम्हारे साथ चलता हूं।
मैं जब अगले दिन प्रियंका के घर पर गया तो उसने मुझे अपने घर वालों से मिलवाया। उसके घर वाले मुझे कहने लगे कि आपने उस दिन हमारी बेटी की उन गुंडों से जान बचाई इसके लिए हम आपका शुक्रिया कहना चाहते हैं। मैंने उन्हें कहा नहीं यह तो मेरा फर्ज था। उसके घर वाले मुझसे बहुत ज्यादा प्रभावित थे।
जब मैंने उनके घर पर डिनर कर लिया तो मैं वहां से आने के लिए निकल रहा था लेकिन उन लोगों ने मुझे जिद कर के अपने घर पर ही रोक लिया उन्होंने उस दिन मुझे अपने घर पर ही रोक लिया था।
प्रियंका और मैं बैठ कर बातें कर रहे थे। मैंने प्रियंका से कहा तुम्हारे घर वाले बहुत अच्छे हैं और वह लोग बहुत ही समझदार हैं और तुम्हे बहुत प्यार भी करते हैं। प्रियंका मुझे कहने लगी हां वह तो मुझे बहुत प्यार करते हैं। प्रियंका मेरे बगल में बैठी हुई थी उसके होंठ बड़े ही लाल थे। उसके होंठ बाहर की तरफ को निकले हुए थे।
मैंने प्रियंका से कहा तुम्हारे होंठ बड़े ही अच्छे हैं। वह कहने लगी हां सर मेरे होठों की सब लोग बहुत तारीफ करते हैं। मैंने उसे कहा क्या मैं तुम्हारे होठों को अपनी उंगलियों से छू सकता हूं।
वह कहने लगी हां क्यों नहीं मैंने जैसे ही अपनी उंगलियों को उसके होठों पर लगाया तो वह जैसे उत्तेजित हो गई और उसने मुझे किस कर दिया। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए लेकिन यह मेरे लिए बिल्कुल नया ऐहसास था। मुझे ऐसा लगा जैसे कोई चीज मेरी झोली में आ कर गिर गई हो।
मैंने भी सोचा अब जो होगा देखा जाएगा। मैंने उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया। जब मैं उसके होठों को चूम रहा था तो मुझे उसे देखकर इतना सेक्स चढ रहा था। मैंने उसके होठों से खून भी निकाल दिया। जब उसके होठों से खून निकल आया तो वह मुझे कहने लगी आपने तो मेरे होठों से खून निकाल दिया है।
मैंने उसे कहा कोई बात नहीं ठीक हो जाएगा। मैं उसके होंठ को देखता तो मेरे अंदर और भी ज्यादा सेक्स की भूख बढ़ जाती। मैंने प्रियंका को कहा तुम मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ लो उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ा तो वह मेरे लंड को हिलाने लगी। वह मेरे लंड को इतनी तेजी से हिला रही थी कि मेरा लंड दर्द होने लगा था।
जैसे ही उसने अपने मुलायम होठों से मेरे लंड को चूसा तो मैं खुश हो गया। वह मेरे लंड को गपा गप अपने मुंह के अंदर ले रही थी और अच्छे से सकिंग कर रही थी। मैंने जैसे ही उसके सलवार के नाड़े को खोला तो उसकी पैंटी देख कर मैं बहुत ज्यादा मूड में आ गया। मैंने उसकी पैंटी के अंदर अपनी उंगली को डाल दिया।
उसकी चूत बड़ी मुलायम थी। मैंने उसकी सलवार को नीचे उतार दिया और उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। मैंने जब उसे घोड़ी बनाया तो मैंने कुछ देर तक उसकी योनि को चाटा। उसकी चूत से पानी का रिसाव बहुत तेजी से हो रहा था। मैंने अपने लंड को उसकी योनि पर लगाया तो प्रियंका मचलने लगी।
मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाया तो उसकी खून की धार मेरे लंड पर आकर टकराई। जब उसकी योनि से खून बाहर की तरफ निकल रहा था तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने उसे बड़ी तज गति मे चोदा। मुझे उसकी चूत में लंड डालकर बहुत मजा आ रहा था।
मैंने उसे उतने ही तेज गति से चोदना जारी रखा। जब मेरा लंड उसकी योनि के अंदर बाहर होता तो उसे बहुत अच्छा लगता और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। लेकिन मैं ज्यादा समय तक उसकी टाइट चूत को नहीं झेल पाया।
जैसे ही मेरा वीर्य पतन होने वाला था। मैंने प्रियंका से कहा तुम मेरे वीर्य को अपने मुंह में ले लो। मेरा लंड बहुत गंदा हो रखा था उसमें प्रियंका का योनि का खून भी लगा हुआ था इसलिए मैंने अपने वीर्य की धार प्रियंका के मुंह पर गिरा दी ज्यादा वीर्य मेरा उसके मुंह मे गया वह उसको पूरा चाट गई और कुछ बूंदे उसके मुंह पर भी गिर चुकी थी।
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