मेरा नाम आशा है। मेरी उम्र 23 वर्ष है।
मेरे घर में मेरे पिताजी मेरी माता और मेरे बड़े भैया रहते हैं जिनकी की शादी हो चुकी है।
लेकिन ना जाने क्यों मेरे पिताजी मुझे बचपन से ही अपने ऊपर बोझ समझते थे और हमेशा ही मुझे डांटते रहते थे।
मैं जब छोटी थी तो स्कूल में मुझसे कुछ भी गलती हो जाती तो मेरे पिताजी स्कूल में ही आकर मुझे थप्पड़ मार देते थे और मेरे टीचरों के सामने ही मेरी कई बार बेइज्जती हो जाती थी
लेकिन तब मुझे ऐसा लगता था कि चलो कुछ नहीं होता वह मेरे पिताजी हैं। इस वजह से मैं इन बातों को भूल जाती थी
लेकिन उन्होंने मुझे कभी भी एक पिता का प्यार नहीं दिया। हमेशा ही लोगों के सामने मुझे बेइज्जत करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते थे। मुझे पहले तो यह बात पता नहीं चलती थी क्योंकि तब मैं छोटी थी लेकिन जब मैं कॉलेज में गई तो तब मुझे यह एहसास होने लगा कि मेरे पिताजी कहीं ना कहीं मुझसे मेरी लड़की होने का भेदभाव करते हैं।
उन्होंने कभी भी मेरे भैया को किसी भी चीज के लिए मना नहीं किया और हमेशा ही उनकी बातों को मान लिया करते थे। लेकिन मुझे कभी भी कुछ चीज चाहिए होती थी तो वह हमेशा उसे टालने लग जाते थे।
वह कहते कि बाद में देख लेंगे लेकिन वह चीज मुझे आज तक नहीं मिली। मैं कॉलेज में भी ऐसे ही जाया करती थी। मुझे अंदर ही अंदर से अब लगने लगा था कि मुझे अपनी जिंदगी में कुछ करना पड़ेगा लेकिन मैं सिर्फ अपने पिताजी पर ही निर्भर थी। कई बार मैंने अपनी मम्मी से भी इस बारे में बात की लेकिन वह भी क्या करती।
वह भी मेरे पिताजी से बहुत ज्यादा डरती थी और मुझे भी कहती थी कि तू अपने पिताजी से फालतू में जवान मत लड़ाया कर। यदि कभी मेरी मम्मी कुछ बोल देती तो वह मेरे पिताजी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता था।
वह उन्हें भी नही छोड़ते थे। जिस वजह से मैं अपने आप को बहुत अकेला महसूस करने लगी थी और सोचती थी कि कब मैं इस जेल से छूटूंगी और अपनी जिंदगी को जी पाऊंगी।
धीरे-धीरे समय के साथ मेरा कॉलेज भी कंप्लीट हो गया और मुझे पता भी नहीं चला की कब मेरा कॉलेज कंप्लीट हो गया। अब मेरे पास एक डिग्री थी जिससे मैं नौकरी कर सकती थी।
एक दिन मैं घर पर गई और ना जाने किस बात पर मेरे पिताजी को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने मुझ पर हाथ उठा दिया और छोटी सी बात का उन्होंने बतंगड़ बना दिया।
मुझे यह बात बहुत बुरी लगी और मैंने फैसला कर लिया कि अब मैं घर छोड़ कर चली जाऊंगी। मैंने भी थोड़े बहुत पैसे अपने पास जमा किए हुए थे।
मैंने उन पैसों को निकाला और ट्रेन की टिकट बुक करवा ली। मैंने सोच लिया था की मैं बहुत दूर चली जाऊंगी। तब मैंने चेन्नई जाने का फैसला किया और मैं 1 दिन चेन्नई चली गई।
मुझे पता था कि मेरे पिताजी ना तो मुझे कभी ढूंढने वाले हैं और ना ही वह मेरी खबर करेंगे। तो हुआ भी ऐसा ही। उन्होंने ना तो कभी मेरे बारे में जानने की कोशिश की और ना ही उसके बाद मैंने उनके बारे में कभी जानने की कोशिश की।
क्योंकि मुझे यह बात पहले से ही पता थी कि वो मुझे अपने ऊपर सिर्फ एक बोझ समझते हैं और इस से ज्यादा कुछ भी नहीं। वह तो बहुत खुश हो गए होंगे। जब मैं घर से चली गई। जब मैं चेन्नई पहुंची तो चेन्नई मेरे लिए एक अनजान शहर था। मुझे इस शहर के बारे में कुछ भी नहीं पता था और ना ही मैं किसी को जानती थी।
मैंने ऐसे ही एक छोटे से कॉल सेंटर में जॉब कर ली। उसी दौरान मैंने अपने रहने के लिए भी व्यवस्था कर ली थी। अब मेरा डेली का रूटीन सिर्फ कॉल सेंटर से घर आना होता था। धीरे-धीरे मेरी कुछ दोस्तों से भी मुलाकात होती गई।
जैसे-जैसे समय बीतता गया तो मेरे काफी सारे दोस्त भी बन गए थे जिन्हें मैंने अपने बारे में बताया कि मैं किस तरीके से अपने घर से आई हूं और अब अपनी जिंदगी अकेले ही जीना चाहती हूं।
तो वह भी मेरा बहुत ज्यादा प्रोत्साहन करते थे और मुझे कहते थे कि तुम्हारे अंदर बहुत हिम्मत है। तुम अपनी लाइफ खुद ही लड़ सकती हो। मैं जब भी अपने बारे में सोचती थी तो मुझे अपने आप पर बहुत गर्व महसूस होता था। लेकिन एक दिन मेरी जॉब छूट गई और अब मुझे कहीं जॉब नहीं मिल रही थी।
तभी मेरी मुलाकात एक लड़की से हुई। उसका नाम सायरा था। वह दिखने में बहुत ही सुंदर थी और बिल्कुल अंग्रेज के जैसी लगती थी। उसके बाल भी वैसे ही थे और वह पूरे फॉरनर स्टाइल में ही रहना पसंद करती थी।
मैं उसे देख कर बहुत प्रभावित हुई और मैंने उससे पूछा कि तुम क्या करती हो? फिर उसने मुझे बताया कि मेरा एक छोटा सा काम है मैं वही करती हूं।
मैंने उसे पूछा कि तुम्हारा छोटा काम तो नहीं हो सकता। जिस तरीके से तुम काम कर रही हो और जैसा तुम्हारा रहन-सहन है उससे तो मुझे बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगता है कि तुम बहुत ही छोटा काम करती हो।
उसने भी मुझे बता दिया कि मैं एक एस्कॉर्ट सर्विस चलाती हूं लेकिन तुम वह काम नहीं कर सकती। मैंने उससे कहा मैं क्यों नहीं कर सकती। उसने मुझे कहा कि पहले तुम्हें थोड़ा मॉडन बनना पड़ेगा।
उसने मुझ पर पूरे पैसे खर्च किया और मुझे एक मॉडर्न लड़की बना दिया। मैं अपने आप को शीशे में देखकर पहचान भी नहीं पा रही थी।
जब मेरी पहली बुकिंग थी तो मैं थोड़ा घबरा रही थी यह सोच रही थी पता नहीं क्या होगा। जब मैंने देखा तो एक नौजवान लडका था। वह मुझे अपने साथ ले गया और एक बहुत बड़े होटल में हम लोग चले गए।
उसने मुझसे मेरा नाम पूछा मैंने उसे अपना नाम बताया है। वह कहने लगा तुम्हें मेरी इच्छा पूरी करनी है। मैंने उसे बोला आप चिंता मत कीजिए आपकी सारी इच्छा मैं पूरी कर दूंगी। उसने तुरंत ही अपनी पैंट से अपने लंड को बाहर निकाला। मैंने जैसे ही उसके लंड को देखा तो मैं हैरान रह गई वह बहुत ज्यादा मोटा था।
मैंने तुरंत उसे अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया। पहले तो मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था क्योंकि वह बहुत बदबूदार था लेकिन अब धीरे-धीरे मुझे उसकी खुशबू आने लगी थी और मैं ऐसे ही उसे अपने मुंह में लेकर सकिंग करती जाती। वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और मुझे कह रहा था कि तुम बहुत अच्छे से कर रही हो।
मैंने उसे बताया कि मेरा आज पहला ही मौका है वह यह सुनकर बहुत ज्यादा खुश हो गया। अब उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेने लगा और बडे प्यार से सहलाने और दबाने लगा।
उसने मेरे पूरे शरीर में अपने हाथों के नाखून मार दिए थे और उसने मेरे पूरे शरीर को गीला कर दिया। वह मेरी चूत को चाटने लगा जैसे जैसे वह मेरी चूत को चाटता गया तो मेरी सेक्स के प्रति रुचि और बढ़ जाती।
मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी। अब मेरी चूत से भी पानी गिरने लगा तो उसने मेरी चूत मे एक झटके में अपना लंड अंदर डाल दिया।
जैसे ही उसने मेरी योनि में अंदर डाला तो मेरे मुंह से बड़ी तेज आवाज निकल पड़ी और मैं ऐसे ही चिल्लाती रही लेकिन उसने भी मुझे छोड़ा नहीं और ऐसे ही बड़ी तीव्र गति से चोदता जा रहा था। उसने बहुत देर तक मुझे चोदा जिससे कि मेरा शरीर पूरा हिल चुका था और वह भी ऐसे ही अपने कार्यक्रम पर लगा हुआ था।
मैं उसे ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसके सामने अपने आप को समर्पित कर दिया मैंने अपने दोनों पैरों को बहुत चौड़ा कर लिया। वह अब भी ऐसे ही मुझे चोद रहा था।
उसने अपने लंड को बाहर निकालते हुए मेरे मुंह में डाल दिया और मै उसके लंड को चूसने लगी।
मैं जैसे ही उसके लंड को चूसती तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन थोड़ी देर बाद उसका वीर्य मेरे मुंह के अंदर ही गिर गया और मुझे बहुत ही स्वादिष्ट लगा।
मैंने उसे पूरा अंदर तक निगल लिया मुझे ऐसा लग रहा था मानो जैसे मैं कोई चीज खा रही हूं। जब मैंने माल को अंदर लिया तो मुझे ऐसा लगा मेरे अंदर कुछ ज्यादा ही ताकत आ गई है।
उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी चूत के अंदर अपने लंड को दोबारा से घुसा दिया और इतनी तेजी से झटका मार रहा था। मेरी चूत के अंदर बाहर लंड हो रहा था ऐसे ही मुझे झटके दिए जा रहा था और मुझे पेल रहा था।
मुझे भी काफी आनंद आता जब वह मेरे साथ इस तरीके से संभोग करता। एक समय बाद उसका दोबारा से गिर गया और उसने मेरी चूत मे बड़ी तेजी से पिचकारी मारते हुए अंदर ही अपना माल डाल दिया।
उसने मुझे पैसे दिए और मैं वहां से चली गई। उसके बाद से मुझे यह काम बहुत अच्छा लगने लगा और मैं एक कॉल गर्ल बन गई।
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