मेरी मुलाकात जब पहली बार रेखा से हुई तो उसे देख कर मुझे ऐसा लगा जैसे कि उसके दिल में कोई डर है मैंने यह जानने की कोशिश की लेकिन उसने मुझे कभी नहीं बताया। रेखा मेरे मकान मालिक की लड़की है
मैं काफी समय से उनके घर पर रह रहा हूं लेकिन रेखा के साथ उतना संपर्क मेरा कभी हो नहीं पाया, मैंने जब उसे पहली बार देखा था तो उसका सावला सारंग और उकी लंबी कद काठी देख कर मुझे अच्छा लगा,
वह जिस प्रकार से लोगों से बात करती है मुझे बहुत ही अच्छा लगता, मेरे दिल में रेखा के लिए बहुत ही सम्मान था, उसके परिवार के सब लोग मुझसे बड़े ही अच्छे से पेश आते थे,
उनके घर में और भी किराएदार थे परंतु वह लोग सबसे ज्यादा मेरे नजदीक थे और मुझे जब भी कोई ऐसी दिक्कत होती तो मुझे अंकल और आंटी पूछ लिया करते।
अंकल का नाम दिनेश कुमार सिन्हा है, वह एक बड़े पद पर हैं और बड़े ही अच्छे और व्यवहारिक व्यक्ति हैं उनका स्वभाव मुझे बहुत अच्छा लगा। जब मैं पहली बार उनसे मिला था तो उन्होंने मुझे कहा था
देखो बेटा तुम हमारे घर को अपना घर ही समझ कर रहना और कभी भी यहां पर हमें तुम्हारी कोई शिकायत नहीं सुनाई देनी चाहिए,
मैंने उन्हें कहा अंकल आप बिल्कुल ही निश्चिंत रहिए आपको कभी भी मेरी तरफ से कोई शिकायत नहीं मिलेगी और वैसे भी मेरे पास इतना समय नहीं होता है, मैं सुबह अपने ऑफिस चला जाता हूं और शाम को ही मैं अपने काम से लौटता हूं। जब मैं शुरुआत में उन अंकल के घर पर रहने आया था
तो उस वक्त मेरी जिस कंपनी में नौकरी थी वह कंपनी मैं अब छोड़ चुका था, मुझे अंकल के घर रहते हुए काफी वर्ष भी हो चुके हैं, मैं जब अंकल के घर आने जाने लगा तो मेरी मुलाकात रेखा से भी होने लगी,
रेखा उस वक्त अपने कॉलेज के प्रथम वर्ष में थी, अब तो रेखा का कॉलेज भी पूरा हो चुका है अब वह वह घर पर ही रहती है, मैंने एक दो बार रेखा से पूछा भी था कि तुम कहीं नौकरी क्यों नहीं कर लेती? वह कहने लगी मैं नौकरी नहीं करना चाहती मैं घर पर ही रहना चाहती हूं।
रेखा घर का पूरा काम संभालती और वह अपनी मम्मी के साथ पूरा हाथ बढ़ाती, रेखा की मम्मी तो कुछ भी काम नहीं करती थी ज्यादातर समय वह आस पड़ोस में ही रहती थी,
मैं जब भी उन्हें देखता तो वह पड़ोस की एक ऑन्टी के घर पर ही पहुंची रहती।
कई बार मैं यह सोचता कि क्या इनकी बातें कभी खत्म नहीं होती इनके पास कितनी बात करने के लिए होती है लेकिन मुझे भी इन सब चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता था मैं तो सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान देता।
एक दिन जब मैंने रेखा को देखा तो वह छत पर टहल रही थी उसका चेहरा उतरा हुआ था मैं उसके पास गया और उससे पूछा और रेखा कैसी हो? वह कहने लगी मैं तो ठीक हूं।
आप सुनाइए आपका काम कैसा चल रहा है? मैंने उसे कहा मेरा काम भी अच्छा चल रहा है।
मैंने उससे पूछा आज तुम्हारा चेहरा कुछ उदास सा दिखाई दे रहा है, वह कहने लगी ऐसी तो कोई बात नहीं है
मैं तो बहुत खुश हूं, उसके आवाज से भी मुझे ऐसा ही लगा कि जैसे उसका चेहरा काफी उदास है और वह बहुत ही दुखी हो परंतु वह मुझे बताना नहीं चाहती थी,
मैंने भी उसे उस दिन ज्यादा इस बारे में नहीं पूछा और वह कुछ देर बाद अपने घर पर चली गई, मैं छत में ही टहल रहा था और सोचने लगा रेखा तो बड़े ही खुश होकर मुझसे बात करती है
परंतु आज ना जाने उसके चेहरे पर इतनी उदासी क्यों है,
वह मुझे करीब एक महीने बाद दिखी और एक महीने बाद भी उसके चेहरे पर वही उदासी थी मैंने उसे पूछ लिया और उसे कहा तुम मुझे एक बार बताओ तो सही कि तुम्हारे दिल में क्या चल रहा है और तुम इतनी परेशान क्यों हो? उसने मुझे बताया और कहने लगी मेरे लिए अब लड़कों के रिश्ते आने लगे हैं
लेकिन मेरे सांवले रंग के कारण वह लोग मुझे मना कर देते हैं, अब यह बात मेरे दिल पर भी लगने लगी है मुझे बहुत ही बुरा लगता है कि जब वह लोग मेरे सामने ही इस प्रकार की बातें करते हैं,
मैंने रेखा से कहा तुम इतनी उदास क्यों हो तुम एक बहुत ही अच्छी लड़की हो और सब लोग तुम्हारी बड़ी साजिश करते हैं, उन लोगों ने सिर्फ तुम्हारे बाहर के रूप को देखा है, उन्होंने तुम्हारे अंदर की सुंदरता को नहीं देखा इसीलिए शायद वह ऐसा सोच रहे हैं।
मैंने उससे कहा कि यह तो लोगों के देखने का नजरिया है कि लोग किस प्रकार से देखते हैं परंतु मुझे तो तुममें कभी कोई कमी नहीं लगी और तुम एक बहुत ही अच्छी लड़की हो तुम्हारे जैसी लड़की जिसके साथ रहेगी
उसका जीवन तो सफल हो जाएगा और उसे कभी भी कोई परेशानी नहीं होगी, मैंने रेखा कि इतनी ज्यादा तारीफ कर दी कि वह मुझे देख कर मुस्कुराने लगी और वह कहने लगी आप मुझे इतना भी हवा में मत उड़ा दीजिए
मुझे जमीन पर ही रहना है, मेरे चेहरे पर भी उसकी बात सुनकर मुस्कुराहट आ गई मैं अंदर से इस बात को लेकर खुश था कि मेरी वजह से रेखा के चेहरे पर मुस्कान तो आई और उस दिन के बाद हम दोनों के बीच में एक दोस्ताना संबंध बन चुका था और हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे थे,
मैं जब भी ऑफिस से आता तो रेखा मुझसे हमेशा पूछती कि आप अपने ऑफिस से आ गए। एक दिन रेखा छत पर टहल रही थी और उस वक्त शाम भी हो चुकी थी छत में कोई भी नहीं दिखाई दे रहा मैं भी छत में चला गया। रे
खा और मै आपस मे बातें करने लगे मैंने रेखा से पूछा आज कल अंकल दिखाई नहीं दे रहे हैं।
वह कहने लगी पापा कहीं बाहर गए हुए हैं दो तीन दिन में लौटेंगे।
रेखा की मम्मी तो हमेशा ही पड़ोस की आंटी के पास पहुंची रहती थी। रेखा और मेरी बातें हो रही थी वह मेरी बातों से बहुत इंप्रेस हो चुकी थी मुझे नहीं पता था उसने अपने तन को मुझे सौंप दिया है। जब हम दोनों बातें कर रहे थे तो उस समय काफी तेज हवा चली।
उस हवा के दौरान रेखा की चुन्नी उसके स्तनों से उड़ गई, मेरी नजर उसके स्तनों पर पड़ी तो मैं जैसे उसकी तरफ पूरा फिदा हो गया। मैंने उसके स्तनों पर हाथ रख दिया, जब मैंने उसके स्तनों पर हाथ रखा तो वह मेरे गले लग गई। हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे हम दोनों के शरीर से इतनी ज्यादा गर्मी निकल रही थी
उस हवा में भी मुझे उस गर्मी का एहसास नहीं हो रहा था।
उसके गुलाबी होंठ जब मेरे होठों से टकराते तो मुझे बहुत ही अलग एहसास होने लगा। मैंने जब उसके स्तनों को उसके सूट से बाहर निकल कर चूसना शुरू किया तो उसे बहुत अच्छा लग रहा था वह मुझे कहने लगी आज पहली बार किसी ने मेरे स्तनों का रस पिया है,
तुम ऐसे ही मेरे स्तनों को चूसते रहो। जब मैं उसके निप्पल पर अपनी जीभ को लगाकर टच करता तो उसे बड़ा अच्छा लगता। उसने अपने सलवार के नाड़े को खोलते हुए अपनी सलवार को नीचे कर दिया, उसने लाल रंग की धारीदार पैंटी पहनी हुई थी। मैंने उसकी पैंटी को नीचे किया और उसकी चूत को सहलाने लगा।
उसकी चूत इतनी गिली हो चुकी थी वह मुझसे चुदने के लिए बिल्कुल तैयार बैठी थी।
मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाल दिया वह उस वक्त घोड़ी बनी हुई थी। उसकी योनि से खून इतना ज्यादा टपकने लगा वह उसकी पैंटी और सलवार पर गिर रहा था क्योंकि मैंने उसकी पैंटी को थोड़ा सा नीचे किया था।
जब मैं उसे धक्के मारता तो उसकी योनि से लगातार खून तेजी से बह रहा था मुझे उसे चोदने में बड़ा आनंद आता।
जब वह पूर्ण रूप से गरम होने लगी तो वह अपनी चूतडो को मुझसे मिलाती वह जिस प्रकार से अपनी चूतडो को टकराती तो मुझे बहुत अच्छा प्रतीत हो रहा था। मैंने जब उसकी गांड देखी तो वह सांवली था
लेकिन उसकी गांड का साइज बडा था। वह अपनी गांड को मुझसे बड़ी तेजी से मिलाती उसने मेरे लंड का बुरा हाल कर दिया। जब मेरा वीर्य उसकी योनि के अंदर गिरा तो हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए,
कुछ दिनों तक तो रेखा की योनि में दर्द रहा लेकिन उसके बाद उसकी योनि का दर्द ठीक हो चुका था।
मैं अब उसे हमेशा चोदता हूं उसका रंग सांवला है लेकिन जबसे उसने मेरे लंड को अपनी चूत में लिया तो उसके चेहर पर एक अलग ही निखार आ चुका है और उसका फिगर भी टाइट हो चुका है।