मेरा नाम राजेश है मैं 27 वर्ष का दिल्ली का रहने वाला लड़का हूं।
मेरे पिताजी दिल्ली में जल विभाग में काम करते हैं और वह हमेशा ही मुझे समझाते हैं कि बेटा अपने जीवन में कुछ अच्छा कर लो, जिससे कि हमें भी अपने आप पर गर्व हो, तुमने हर जगह हमारी बदनामी करवा रखी है। मैंने अपने पिताजी से पूछा कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं
तो वह कहने लगे बेटा मैं इतने सालों से तुम्हें खर्चा दे रहा हूं लेकिन तुम कुछ भी करने को तैयार नहीं हो और ना ही तुम्हें देख कर लगता है कि तुम अपने जीवन में कुछ कर भी पाओगे, जब तक मेरी नौकरी है
तब तक तो मैं तुम्हें पाल लूंगा परंतु उसके बाद तुम अपना खर्चा कैसे उठाओगे, मुझे इस बात की बहुत ज्यादा चिंता रहती है। मैं अपने पिताजी को हमेशा ही समझाता कि आप मेरी चिंता मत कीजिए, मैं अपने जीवन में कुछ ना कुछ तो कर ही लूंगा, मेरे पिताजी और मेरी मां मेरे लिए बहुत ही चिंतित रहते हैं।
मेरे जितने भी दोस्त हैं उन सब के पिताजी बिजनेसमैन है और उन्हें किसी भी प्रकार की पैसों को लेकर तंगी नहीं है, मैं भी उनकी तरह ही बनना चाहता हूं इसीलिए मेरे दिल में भी ऐसे ही सपने हैं लेकिन वह मेरे पिताजी पूरा नहीं कर सकते इसलिए मैं उनसे ज्यादा उम्मीदें नहीं रखता, वह हमेशा ही मुझे ताना मारते हैं।
मैं एक बार उनके तानो से परेशान होकर सोचने लगा की मैं कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर चले जाऊँ। मैंने अपने दोस्त दीपक को फोन किया, दीपक से मैंने कहा कि मैं अपने घर पर परेशान हो चुका हूं क्या तुम मेरे साथ कुछ दिनों के लिए घूमने के लिए चल सकते हो, वह कहने लगा ठीक है मैं तुम्हारे साथ चल लेता हूं।
दीपक के पिताजी का ज्वेलरी का बहुत बड़ा कारोबार है और वह एक जाने माने व्यक्ति हैं, फिर भी दीपक मेरी हमेशा ही मदद करता है, उसे यह बात भी पता है कि मेरे पास ज्यादा पैसे नही है,
वह कहने लगा तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारे साथ चलता हूं। जब अगले दिन दीपक का फोन आया तो वह कहने लगा हम लोग लखनऊ चलते हैं, लखनऊ में हमारा एक घर है और वह काफी समय से बंद भी पड़ा है।
मैंने इस बारे में अपने पिताजी से बात कर ली, उन्होंने मुझे कहा तुम कुछ दिनों के लिए लखनऊ चले जाओ और उस घर की सफाई करवा देना क्योंकि काफी वक्त से वह बंद पड़ा है।
जब दीपक ने मुझसे यह बात कही तो मैं बहुत खुश हो गया और मैंने उसे कहा कि हम लोग कब चल रहे हैं, मैं बहुत ज्यादा एक्साइटेड था क्योंकि कुछ दिनों के लिए मुझे घर से बाहर रहने का मौका मिल रहा था।
दीपक ने ही दिल्ली से ट्रेन की टिकट करवा ली, हम लोग थर्ड एसी में ही बैठे हुए थे। हम दोनों जब ट्रेन में बैठे तो हम दोनों आपस में बात कर रहे थे और हमारे सामने ही एक परिवार बैठा था, हम दोनों इतनी तेज तेज आवाज में बात कर रहे थे कि उन्हें बहुत डिस्टर्ब हो रहा था।
पहले तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा लेकिन कुछ देर बाद उन व्यक्ति ने मुझसे कहा बेटा आप लोग थोड़ा धीरे से बात कर लीजिए। उनकी उम्र लगभग 45 वर्ष की रही होगी, जब उन्होंने मुझसे यह बात कही तो मुझे भी यह बात थोड़ा बुरी लगी, मैंने उन्हें कहा कि क्या आपको डिस्टर्ब हो रहा है, वह कहने लगे हमें डिस्टर्ब हो रहा है।
उनके साथ में ही उनकी पत्नी और उनके दो बच्चे थे, उनकी लड़की की उम्र 20 22 वर्ष की रही होगी। उसके बाद दीपक और मैं कुछ देर तक चुप रहे, थोड़ी देर बाद हम दोनों अपनी सीट से उठकर बाहर की तरफ को आ गए, हम दोनों ने ट्रेन का दरवाजा खोल लिया और कुछ देर तक हम ट्रेन के दरवाजे के पास ही खड़े होकर बात कर रहे थे,
गेट से बहुत तेज हवा आ रही थी। कुछ देर तक तो हम उस हवा को बर्दाश्त करते रहे लेकिन थोड़ी देर बाद वह हवा बहुत तेज हो गई, मैंने दीपक से कहा कि हम वह दरवाजा बंद कर देते हैं, कुछ सुनाई भी नहीं दे रहा है।
जब दीपक ने दरवाजा बंद किया तो मैं दीपक से कहने लगा कि वह व्यक्ति तो बहुत ज्यादा ही हमें घूर घूर कर देख रहे थे। दीपक के कहने लगा कोई बात नहीं हम लोग उनके पास में चलते हैं और वहीं बैठ जाते हैं।
कुछ देर बाद वैसे भी अंधेरा होने वाला है और वह सो जाएंगे। मैं और दीपक सीट में चले गए तो उन व्यक्ति ने हमसे कहा कि क्या तुम्हें मेरी बात का बुरा लगा, वह दिखने में बहुत सज्जन व्यक्ति है लेकिन ना जाने मुझे और दीपक को उनकी बात क्यों बुरी लगी, शायद हो सकता है कि हम दोनों ही एक दूसरे से काफी समय बाद मिल रहे थे
इसीलिए हम दोनों एक दूसरे से इतनी तेज बात कर रहे थे। जब थोड़ा अंधेरा होने लगा तो हम सब लोग लेट गए और मैंने देखा कि उनकी लड़की हमें बार-बार घूर रही है।
मैंने यह बात जब मैंने दीपक से कही तो वह कहने लगा कोई बात नहीं तुम सो जाओ। जब मैंने उस लड़की को इशारों में कहा कि तुम हमें इतनी देर से क्यों घूर रही हो तो उसने भी इशारों में मुझसे कहा कि तुम मुझे बहुत अच्छे लग रहे हो इसलिए मैं तुम्हें देख रही हूं
लेकिन मैंने तो उसके बारे में ऐसा कुछ भी नहीं सोचा था। मैंने यह बात दीपक को अपने फोन से मैसेज कर के बताई क्योंकि मैं सबसे ऊपर लेटा हुआ था और दीपक मुझसे नीचे वाली सीट में लेटा हुआ था।
दीपक मझे कहने लगा तुम उस लड़की को इशारे कर के बाथरूम में ले चलो आज हम दोनों ही उसकी चिकनी चूत का आनंद लेते हैं। मैंने भी उस लड़की को इशारे किए तो वह भी बड़ी ठरकी किस्म की थी।
उसे भी लगता है हम दोनों के लंड की जरूरत थी, वह खुद ही बाथरूम की तरफ चली गई। मैं भी उसके पीछे गया तो वह बाथरूम के बाहर ही खड़ी थी मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और बाथरूम के अंदर ले गया।
वह इतनी ज्यादा गर्म थी कि उसने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और अपने गले तक लेकर चूसने लगी। मैं भी बहुत ज्यादा मूड में आ गया, मैंने उसके गले के अंदर तक अपने लंड को डाल दिया वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा है तुम्हें इसी तरह मेरी गले के अंदर अपने लंड को डालते रहो,
काफी देर तक मैंने उसे अपने लंड को सकिंग करवाया। मैंने उसके कपड़े खोले तो उसकी गीली हो चुकी योनि के अंदर मैंने भी अपने लंड को डाल दिया और बड़ी तेज गति से उसे धक्के देने शुरू कर दिए। मैंने झटके देते देते उसका नाम पूछा उसका नाम सुषमा था।
सुषमा मुझे कहने लगी तुम मुझे बड़े अच्छे से चोदते रहो मुझे तुम और तेज झटके मारो जिससे कि मुझे आनंद आ जाए। मैंने भी उसकी चूतडो को कसकर पकड़ लिया और बड़ी तेज गति से उसे झटके देना शुरू हो गया।
वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा है तुम ऐसे ही मुझे चोदते रहो जिससे कि मेरी गीली हो चुकी योनि से तरल पदार्थ बाहर की तरफ को निकलने लगे। मैंने उसे कहा तुम चिंता मत करो मैं तुम्हें बड़ी तेज झटके मारूगा।
सुषमा अपनी चूतडो को तेजी से मेरे लंड से टकराती तो उसे भी बहुत अच्छा महसूस होता और वह तेजी से अपनी चूतडो को मुझसे मिलाने लगी थी।
वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है जब कोई मुझे घोड़ी बनाकर चोदता है तुम ऐसे ही मुझे चोदते रहो लेकिन जब वह झडने वाली थी तो उसने अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लिया और जैसे ही मेरा माल सुषमा की योनि के अंदर गिरा तो वह बहुत आनंदीत हो गई थी।
मैंने उसे कहा मेरा दोस्त दीपक भी लाइन में खड़ा है तुम उसे भी अपने यौवन का जाम पिलवा दो। जब मैं बाहर निकला तो मैं बाहर खड़ा होकर सुन रहा था सुषमा की आवाज मुझे साफ साफ सुनाई दे रही थी और जब उन दोनों का कार्यक्रम खत्म हो गया तो उसके बाद हम तीनो ही जाकर लेट गए।
जब हम लखनऊ पहुंच गए तो इस बारे में बात कर रहे थे कि सुषमा ने अपने यौवन का प्याला हमें बड़े अच्छे से पिलाया। दीपक मुझे कहने लगा उसकी योनि बहुत ज्यादा टाइट थी, मेरा लंड बुरी तरीके से छिल चुका है।
मैंने भी दीपक से कहा मेरे लंड भी बुरी तरीके से छिला हुआ है। लेकिन उसके बाद ना कभी सुषमा मुझे मिली और ना ही दीपक को कभी सुषमा से मिला।
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