बिन बोले चूत मिल गई

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ऑफिस के खाली समय में सब लोग इधर-उधर की बातें कर रहे थे

कोई अपनी परेशानियां बताता तो कोई अपनी होने वाली शादी के बारे में बता रहा था। मैं भी बैठा हुआ था लेकिन मैंने कुछ ना कहा क्योंकि मेरे पास कुछ कहने को था ही नहीं मेरे जीवन में कुछ ऐसा नया नहीं हुआ था जो मैं कहूं।

कुछ लोग तो आपस में ही एक दूसरे से डिबेट करने लगे थे लेकिन जब आशा ने मेरे दिल की बात छीन ली तो मुझे लगा कि आज तो मुझे घर पर मिठाई लेकर जानी ही पड़ेगी।

आशा ने कहा कि कुछ दिन पहले हमारे घर पर एक रिश्तेदार आए हुए थे और वह मिठाई लेकर आए थे जब सब ने मिठाई खाई तो पूछा कहां से लेकर आए हो तो उन्होंने बताया कि चौक के पास में एक नई मिठाई की शॉप खुली है

वही से मैं मिठाई लेकर आया था। आशा भी हमारे घर के पास में ही रहती थी तो मैंने आशा से पूछ लिया तुम कौन से चौक की बात कर रही हो।

वह कहने लगी एक ही चौक तो हमारे घर के पास में है वहीं पर जो नई मिठाई की दुकान खुली है उसी की बात कर रही हूं। अब आशा के मुंह से उस मिठाई वाले की तारीफ सुनकर मुझे लगा कि जरूर मिठाई में कोई तो बात होगी।

मैं जब ऑफिस से घर की तरफ लौट रहा था तो मैंने देखा चौक के पास ही एक नई मिठाई की दुकान खुली हुई है मैं जब वहां पर गया तो वहां काफी भीड़ थी मैंने भीड़ को चीरते हुए जब आगे की तरफ पैसे देने के लिए हाथ बढ़ाया तो सामने खड़े दुकानदार ने मुझसे पूछा कौन सी मिठाई दूँ।

मैंने उन्हें कहा भैया जो आपके यहां पर सबसे बढ़िया मिठाई होती है वह आप दे दीजिए वह मुझे कहने लगे आप एक काम कीजिए आप आज काजू कतली ले जाइए। काजू कतली का नाम सुनते ही मेरे मुंह मे पानी आने लगा और मैं उन्हें पैसे देते हुए कहने लगा भैया जरा जल्दी कर दीजिए।

उन्होंने मुझसे 500 का नोट लिया और उसमें से कुछ ही पैसे उन्होंने मुझे लौटाए मैंने वह पैसा अपनी जेब में रखे और उन्होंने मुझे मिठाई का डब्बा दे दिया। मैं बड़े ही ध्यान से मिठाई की तरफ देख रहा था मैं कार में बैठ गया और मैंने वह मिठाई का डब्बा अपने बैग में रख दिया।

मैं इस बात से खुश था कि चलो आज सब लोग घर में बैठकर साथ में मिठाई खाएंगे क्योंकि अकेले मिठाई खाने में कोई मजा नहीं है। जब सब लोग साथ में बैठे हो तो बहुत अच्छा लगता है और वैसे भी मैं मिठाई का बहुत शौकीन हूं।

मैं अब घर पहुंचने वाला था और मैं सोचने लगा कि आज सब लोगों को सरप्राइज़ दूंगा मैं हर रोज अपने बच्चों के लिए पेस्ट्री केक यह सब लेकर जाता हूं लेकिन आज मैंने अपनी मां के हाथ में मिठाई का डब्बा दिया तो मेरी मां कहने लगी नवीन मिठाई का डब्बा आज किस खुशी में तुम मुझे दे रहे हो क्या तुम्हारा कोई प्रमोशन हुआ है।

मैंने अपनी मां से कहा नहीं मां मेरा कोई प्रमोशन नहीं हुआ है बस सोचा ऐसे ही आज घर में मिठाई ले चलूँ तो मैं मिठाई ले आया। मां कहने लगी चलो मैं इसे फ्रीज में रख देती हूं तुम जल्दी से हाथ मुँह धोलो मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूं। मां का दुलार आज भी उतना ही था जितना कि बचपन में था हमेशा से ही वह मुझे बहुत प्यार किया करते हैं और बचपन में जब मुझे पिताजी डांटा करते थे तो मेरी  मां ही मेरे बचाव में आगे आती थी। 

मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया और जब मैं बाथरूम से बाहर निकला तो उस वक्त मैंने अपनी मां से पूछा मां मेरा पजामा नहीं मिल रहा है। मां कहने लगी बेटा अलमारी में ही तो रखा होगा मैं जब दोबारा अलमारी को टटोलने लगा तो तब उसमे मेरा पजामा मिल गया।

मैंने वह पजामा पहना तब तक मेरी मां मेरे लिए चाय बना चुकी थी मैंने मां से कहा आज बच्चे नजर नहीं आ रहे तो मां कहने लगी आज वह लोग अपने मामा जी के घर पर गए हुए हैं बस थोड़ी देर बाद लौटते ही होंगे।

मेरे बड़े भैया रेलवे में नौकरी करते हैं और मेरी भाभी हाउसवाइफ है उनके दोनों बच्चे बड़े शरारती हैं लेकिन मुझे उनसे बड़ा लगाओ है। मैं चाय पी रहा था और अपनी मां से बात कर रहा था

मेरी मां भी इधर उधर की बातें मुझसे कर रही थी लेकिन कुछ ही देर बाद भाभी भी आ गई और बच्चे भी बड़े खुश थे मैंने बच्चों से कहा जाओ बच्चों मैंने तुम्हारे लिए बैग में चॉकलेट रखी हुई है।

बच्चों को हमेशा पता रहता था कि मैं उनके लिए कुछ ना कुछ लेकर आता हूं इसलिए वह भी दौड़ते हुए मेरे रूम में गए और वहां से उन्होंने चॉकलेट निकाल ली। भाभी कहने लगी देवर जी आप इन्हें इतना मत बिगाड़िये यह सब इनकी सेहत के लिए अच्छा थोड़ी है। मैंने भाभी से कहा भाभी यह अभी बच्चे हैं

तो उन्हें क्या समझ आएगा बच्चों को यह सब चीज अच्छी लगती है तो मैं ले आता हूं। भाभी बड़ी ही डिसिप्लेन वाली थी इसीलिए तो वह बच्चों को हमेशा डांटते रहते हैं और कहते हैं कि यह चीज अच्छी नहीं है लेकिन मैं इन सब चीजों में बिल्कुल यकीन नहीं करता था इसीलिए तो मैं बच्चों के लिए हर रोज कुछ ना कुछ ले आता था।

बच्चे मुझसे हमेशा खुश रहते और कहते चाचू आप बहुत अच्छे हो पापा तो अपने कमरे में ही बैठे रहते हैं।

दरअसल उन्हें ज्यादा कहीं बाहर जाना अच्छा नहीं लगता इसलिए वह अपने कमरे की चार दिवारी में ही बैठकर अपने किताबों से ही लगे रहते हैं उन्हें किताबें पढ़ने का बड़ा शौक है

और वह हर रोज नई नई किताबें खरीद कर ले आते हैं उन्होंने अब तक ना जाने अपने दिमाग में कितना ज्ञान का भंडार जमा कर लिया होगा। रात के वक्त हम सब लोग खाने की टेबल पर बैठे हुए थे जब हम लोगों का खाना खत्म हो गया तो मैंने मां से कहा मां अब आप मिठाई का डब्बा ले आओ ना।

सब लोग मेरी तरफ देखने लगे भाभी कहने लगी देवर जी क्या बात है आज आप मिठाई की दावत हमें दे रहे हैं मैंने उन्हें कहा नहीं भाभी ऐसा कुछ नहीं है बस यही पास के चौक में एक नई मिठाई की दुकान खुली है तो सोच वहां से मिठाई ले लूँ। जब मां ने मिठाई का डब्बा खोला तो मेरे मुंह से पानी आने लगा मैंने मां से कहा मां जल्दी से खोलो।

मैंने मिठाई के डब्बे की तरफ हाथ बढाते हुए डब्बे से एक काजू कतली निकाल ली और उसे मैं खाने लगा बच्चे भी जैसे टूट पड़े थे और भाभी ने भी शरमाते हुए ही सही लेकिन एक पीस तो ले ही लिया था।

बाबूजी भी मीठे के बड़े शौकीन थे तो वह कहने लगे अरे नवीन बेटा आज तुमने दिल खुश कर दिया जरा मुझे भी बताना यहां मिठाई की दुकान कहां खुली है। मैंने बाबू जी से कहा यही पास में चौक के पास खुली हुई है

आप वहां जाएंगे तो आपको दिख जाएगी। अब सब लोगों की मिठाई की दावत हो चुकी थी और मैं सोने के लिए अपने कमरे में चला गया।  अगले दिन जब मैं ऑफिस में गया तो मुझे आशा कहने लगी आज तुम मुझे घर छोड़ देना।

मैंने आशा से कहा ठीक है मैं तुम्हें घर छोड़ दूंगा मैं आशा को उस दिन अपनी कार मे साथ घर छोड़ने के लिए गाया। जब वह मेरे साथ बैठी हुई थी तो अचानक से ना जाने मेरा हाथ आशा की जांघ पर पड़ गया जिससे कि वह मेरी तरफ देखने लगी। वह मेरी तरफ देख रही थी मैंने उसे कहा सॉरी आशा गलती से हाथ पड़ गया।

आशा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगी कोई बात नहीं ऐसा हो जाता है ना जाने आशा के मन में भी क्या चल रहा था। मैंने आशा के हाथ को पकड़ लिया मैं भी उत्तेजित होने लगा

मैंने जैसे ही आशा के नरम होठों को चूमना शुरू किया तो वह मेरी बाहों में आने के लिए तैयार हो गई लेकिन उस वक्त उसे घर जाना था इसलिए मैंने उसके घर उसे छोड़ दिया।

जब वह अगले दिन मुझे मिली तो हम दोनों के बीच सेक्स संबंध बन गए हम दोनों ऑफिस में एक दूसरे को देखकर अपने अंदर की उत्तेजना को ना रोक सके। हमने अपनी प्यास बुझाने का फैसला कर लिया था

आशा को मैं बाथरूम में लेकर गया जब हम दोनों बाथरूम में गए तो मैंने आशा के गुलाबी होंठों को बहुत देर से चूसा जिससे कि उसके अंदर गर्मी पैदा होने लगी थी। उसके अंदर गर्मी ज्यादा बढ़ने लगी मैं अपने आपको ना रोक सका मैंने आशा से कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में लेना।

आशा ने मेरी बात सुनते ही मेरे लंड को अपने मुंह में लेने के लिए तैयार हो गई। जब उसने अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को समा लिया तो मैं भी पूरी तरीके से उत्तेजित हो गया।

मै आशा को कहने लगा मुझसे रहा नहीं जा रहा आशा भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार थी। जैसे ही मैंने आशा की जींस को नीचे उतारते हुए उसकी पिंक रंग की पैंटी को उतार दिया।

मैंने देखा आशा की योनि से पानी बाहर निकल रहा है मैंने अपने मोटे से लंड को आशा की चूत के अंदर डालने की कोशिश की लेकिन मेरा लंड अंदर जा ही नहीं रहा था परंतु मैंने धक्का मारते हुए अंदर की तरफ अपने लंड को प्रवेश करवा दिया।

जैसे ही मेरा मोटा लंड योनि में प्रवेश हुआ तो उसके मुंह से बड़ी तेज चीख निकली उसी के साथ वह मुझे कहने लगी आज तो मजा ही आ गया। उसके मुंह से बड़ी तेज चीख निकल रही थी

मैं उसकी चूतडो को पकड़कर अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था जिससे कि हम दोनों के अंदर से उत्तेजना इतने अधिक होने लगी कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। आशा भी अपनी चूतडो को मेरे लंड पर टकरा रही थी।

मैने उसे कहा मेरे लंड से मेरा वीर्य बाहर की तरफ निकलने लगा है। आशा मुझे कहने लगी बस थोड़ी देर की बात है मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है। आशा ने मेरा पूरा साथ दिया जब मैंने अपने वीर्य को आशा की योनि के अंदर गिरा दिया तो वह मुझे कहने लगी मुझे कुछ कपड़ा दे दो जिससे कि मैं साफ कर सकूं।

मैने आशा को कपड़ा दे दिया और उसने अपनी योनि को साफ किया परंतु उसकी चूत से मेरा वीर्य टपक रहा था जिस प्रकार से मेरा वीर्य उसकी योनि से टपक रहा था उससे मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। हम दोनों अपने ऑफिस में आ गए और शाम के वक्त हम दोनों जब घर गए तो हम दोनों के चेहरे पर मुस्कान थी।

2 thoughts on “बिन बोले चूत मिल गई”

  1. Maharashtra me kisi girl, bhabhi, aunty, badi ourat ya kisi vidhava ko maze karni ho to connect my whatsapp number 7058516117 only ladies

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