जिज्ञासा की हॉट सिसकियाँ । hindi sex stories

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भैया की शादी में मैं जिज्ञासा से मिला जिज्ञासा मेरी छोटी बहन दीपिका की दोस्त है वह उसकी काफी अच्छी सहेली है जिस वजह से भैया की शादी के बाद वह हमारे घर पर अक्सर आने लगी थी।

मुझे जिज्ञासा बहुत ही ज्यादा पसंद है लेकिन मेरे शर्मीले स्वभाव की वजह से मैं उसे कुछ भी कभी बोल नहीं पाया था परंतु यह बात मेरी बहन दीपिका को पता चल चुकी थी।

एक दिन उसने मुझसे पूछा कि भैया क्या आप जिज्ञासा को पसंद करने लगे हो तो मैंने दीपिका से कहा कि नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है।

वह मुझे कहने लगी कि भैया मुझे मालूम है कि आप जिज्ञासा को बहुत पसंद करते हो।

अब मैं भी दीपिका से झूठ ना बोल सका और मैंने उससे कह दिया कि हां मैं जिज्ञासा को पसंद करता हूं और उसके साथ मैं अपना जीवन बिताना चाहता हूं।

उस दिन मुझे दीपिका ने जिज्ञासा के बारे में बताया और कहा कि उसके घर की परिस्थितियां कुछ ठीक नहीं है उसके पापा बहुत ज्यादा शराब पीते हैं जिस वजह से उनके घर में काफी ज्यादा झगड़े होते हैं।

जिज्ञासा की मम्मी ने हीं आज तक उसका हमेशा ही साथ दिया है और उसकी पढ़ाई भी उसकी मम्मी की वजह से ही हो पा रही है। मैंने उस दिन दीपिका से कहा कि मैं जिज्ञासा से बहुत ज्यादा प्यार करता हूं तो दीपिका ने भी उसमें मेरी मदद की और जब भी जिज्ञासा हमारे घर पर आती तो वह मेरी बात जिज्ञासा से जरूर करवाती थी।

एक दिन मैंने भी जिज्ञासा को अपने प्यार का इजहार कर दिया उस दिन मैंने जिज्ञासा को अपने प्यार का इजहार किया तो वह भी मेरी बात मान गई और उसे बहुत ही अच्छा लगा जब मैंने उसे अपने दिल की बात कह दी थी।

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अब हम दोनों एक दूसरे के साथ में काफी ज्यादा खुश थे क्योंकि जिज्ञासा को मेरा साथ अच्छा लगने लगा था और मुझे भी उसके साथ बहुत ही अच्छा लगता है। जब भी वह मेरे साथ में होती तो हम दोनों बहुत ही खुश होते।

एक दिन जिज्ञासा और मैं एक दूसरे के साथ में थे उस दिन जब हम दोनों एक दूसरे के साथ में बैठे हुए थे तो उस दिन मुझे जिज्ञासा ने बताया कि वह कुछ दिनों के लिए अपने मामा जी के घर जा रही है।

मैंने जिज्ञासा को कहा कि जिज्ञासा तुम्हारे मामा जी कहां रहते हैं जिज्ञासा ने मुझे बताया कि उसके मामा जी ग्वालियर में रहते हैं। मैंने जिज्ञासा को कहा तुम ग्वालियर कब जा रही हो तो

वह मुझे कहने लगी कि हम लोग कल ही ग्वालियर जा रहे हैं। मैंने जिज्ञासा को कहा मैं भी कुछ दिनों के बाद ग्वालियर जाने वाला हूं मेरा वहां पर कोई ऑफिस का टूर है तो जिज्ञासा कहने लगी यह तो बहुत ही अच्छा है कम से कम इस बहाने हम दोनों वहां पर साथ में समय तो बिता पाएंगे और साथ में घूम भी लेंगे।

मैंने जिज्ञासा को कहा ठीक है और उस दिन मैंने जिज्ञासा को उसके घर छोड़ा फिर मैं अपने घर लौट आया। जब मैं अपने घर लौटा तो उस दिन मुझे मेरे ऑफिस का कोई जरूरी काम था और मैं वह काम करने लगा।

अगले दिन मुझे ऑफिस जल्दी जाना था और मैं ऑफिस जल्दी चला गया। दोपहर के वक्त मुझे जिज्ञासा का फोन आया और वह कहने लगी कि हम लोग ग्वालियर के लिए निकल चुके हैं।

जिज्ञासा और उसकी मां ग्वालियर जा चुके थे उसकी मम्मी से मेरी बात कभी हो नहीं पाई थी लेकिन जब मैं ग्वालियर गया तो ग्वालियर में जिज्ञासा ने मेरी बात अपनी मम्मी से कारवाई। उसकी मम्मी से बात करके मुझे अच्छा लगा और मुझे जिज्ञासा से बात कर के भी बहुत ही अच्छा लग रहा था हम लोगों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया था।

उसकी मां को भी यह बात पता चल चुकी थी कि मेरे और जिज्ञासा के बीच में जरूर कुछ ना कुछ चल रहा है। उसकी मां ने जब जिज्ञासा से इस बारे में पूछा तो जिज्ञासा भी अपनी मां से कुछ छुपा ना सकी और उसने मेरे और अपने रिलेशन के बारे में अपनी मम्मी को सब कुछ बता दिया और अब उसकी मम्मी मुझसे मिलना चाहती थी।

एक दिन जब मैं जिज्ञासा की मम्मी को मिलने के लिए उनके घर पर गया तो उन्होंने मुझे उस दिन पूरी बात बताई और कहने लगी कि देखो राजीव बेटा मुझे तुमसे कोई भी परेशानी नहीं है

लेकिन तुम जिज्ञासा के पापा को जानते नही हो वह बहुत ज्यादा शराब पीते हैं जिस वजह से कई बार मेरे और जिज्ञासा के पापा के बीच में झगड़े भी हो जाते हैं, जब भी हम दोनों के बीच में झगड़े होते हैं

तो मुझे हमेशा ही लगता है कि कहीं इसका जिज्ञासा पर कोई असर ना पड़े, मैंने जिज्ञासा को कभी भी कोई कमी नहीं महसूस होने दी है और उसकी हर एक चीज को हमेशा मैंने पूरा किया है।

मैं जिज्ञासा की मां की भावनाओं को समझ सकता था और उन्होंने जिज्ञासा के लिए काफी कुछ किया था लेकिन अब मैं जिज्ञासा से शादी करना चाहता था और उसकी मां को इस बात से कोई एतराज भी नहीं था

लेकिन वह लोग चाहते थे कि हम दोनों एक दूसरे को थोड़ा और समय दे। हम दोनों एक दूसरे से मिला करते जब भी हम दोनों एक दूसरे से मिलते तो हम लोगों को बहुत ही अच्छा लगता है।

साथ में समय बिता कर हम दोनों बहुत ही खुश थे जब भी जिज्ञासा और मैं साथ में होते तो हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगता। हम दोनों साथ में काफी अच्छा समय बिताया करते हैं जिससे कि मैं और जिज्ञासा काफी खुश रहते थे।

एक दिन जिज्ञासा ने मुझे अपने घर पर बुलाया। जब उस दिन हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो हम दोनों को बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था। हम दोनों बहुत ज्यादा खुश थे।

मैं जिज्ञासा से बातें कर रहा था और वह मुझसे बातें कर रही थी लेकिन उस दिन जिज्ञासा के घर पर कोई भी नहीं था मुझे नहीं मालूम था मैं जिज्ञासा के सामने अपनी फीलिंग को बिल्कुल भी रोक नहीं पाऊंगा और

जब उस दिन हम दोनों के बीच में किस हो गया तो मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था और ना ही जिज्ञासा अपने आपको रोक पा रहा थी।

मैंने जिज्ञासा के स्तनों को दबाना शुरू कर दिया था मै जिज्ञासा के स्तनों को दबाने लगा था मुझे मजा आने लगा और उसे भी बड़ा आनंद आने लगा था। वह उत्तेजित होती जा रही थी वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है। अब हम दोनों बहुत ही ज्यादा गर्म होने लगे थे।

मैंने जिज्ञासा की जांघों को सहलाना शुरु कर दिया था। मै जब उसकी जांघों को सहला रहा था तो हम दोनों को ही मजा आने लगा था और हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे। मैंने उसके कपड़ों को उतार दिया।

मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और जिज्ञासा मेरे लंड के लिए तडप रही थी उसने अपने मुंह में मेरे लंड को ले लिया था वह मेरे लंड को सकिंग करने लगी थी। अब मेरा लंड भी तन कर खडा हो गया था

वह मेरे लंड को अच्छे से चूसने लगी थी मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था। जिज्ञासा ने मेरे लंड से पानी भी निकाल दिया था वह बडे अच्छे से मेरे लंड को चूस रही थी। हम दोनों की गर्मी पूरी तरीके से बढ रही थी। हम दोनों की गर्मी बहुत ही बढ़ने लगी थी मैं बिल्कुल भी नहीं रह पा रहा था और ना ही जिज्ञासा रह पा रही थी।

मैंने जिज्ञासा के कपड़ों को उतारा और उसकी ब्रा को उतारने के बाद मैंने उसके गोरे स्तनों को चूसना शुरु किया। वह अब बहुत ही ज्यादा तडप उठी थी। अब जिज्ञासा बहुत गरम हो चुकी थी उसकी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी। मुझसे भी बिल्कुल रहा नहीं जा रहा था।

मैं अपने आपको रोक नही पा रहा था हमारी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैंने जिज्ञासा की पैंटी को नीचे उतारते हुए उसकी चूत को सहलाना शुरू किया अब वह भी तडपने लगी थी वह कहने लगी मेरी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ती जा रही है। मैंने उसकी योनि पर अपनी जीभ को लगाकर अंदर की तरफ डाला तो वह गर्म होने लगी थी

अब वह अपने पैरो को चौड़ी करने लगी थी। जिज्ञासा की चूत से बहुत ही ज्यादा पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा था। मैंने उसकी योनि में लंड को लगाया वह बहुत ज्यादा गर्म होने लगी थी अब वह मुझे कहने लगी मेरी चूत मे लंड को घुसा दो।

मैंने जिज्ञासा की चूत पर लंड को लगाकर अपने पूरे लंड को जिज्ञासा की योनि की चूत के अंदर तक घुसा दिया था। जिज्ञासा गर्म हो चुकी थी मेरा लंड उसकी चूत मे था मैं उसे तेजी से धक्के दे रहा था।

जिज्ञासा की सिसकारियां बढ़ती जा रही थी वह बहुत ही ज्यादा गर्म होती जा रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। जिज्ञासा की चूत से पानी निकल रहा था और मैं बहुत ज्यादा गरम हो चुका था।

मैं अब अपने आपको रोक नहीं पा रहा था। जिज्ञासा ने अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लिया। मैं उसे बड़ी तेजी से चोदने लगा था। मुझे उसे चोदने में मजा आ रहा था और वह बहुत तडप रही थी मैं उसे तेजी से चोद रहा था। अब मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा था। मैंने जिज्ञासा की योनि के अंदर अपने माल को गिरा दिया था।

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