अंजली भाभी की मस्त गांड और मेरा लंड । hindi sex stories

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मेरा नाम रमन है मैं मथुरा का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 28 वर्ष है और मेरे पिताजी की दुकान है। मैं उनके साथ ही काम करता हूं। मेरे पिताजी की काफी बड़ी दुकान है और वह काफी समय से दुकान का काम कर रहे हैं।

मैं भी अपनी पढ़ाई के बाद उनके साथ ही लग गया क्योंकि मेरे पिताजी का काम बहुत अच्छा चलता है और हमारे पास पुराने कस्टमर आते हैं। हमारी दुकान पर होलसेल रेट पर सामान मिलता है और हम लोग घर के इस्तेमाल का सारा सामान अपने पास रखते हैं इसीलिए हमारे जितने भी मोहल्ले के लोग हैं

वह सब हमासे ही सामान लेकर जाते हैं। काफी समय पहले से ही वह लोग हम से सामान खरीद रहे हैं क्योंकि मेरे पिताजी के साथ उनके बहुत अच्छे रिलेशन है और मेरे पिताजी को हमारे मोहल्ले

में सब लोग अच्छे से जानते हैं। मैं भी अपने पिताजी के साथ पूरे दिन भर रहता हूं। वह शाम को दुकान से घर लौटते हैं तो मैं भी उसी वक्त उनके साथ शाम के वक्त ही घर लौटता हूं।

मेरी मम्मी घर पर ही रहती है और वह घर का सारा काम संभालती हैं। एक बार मैं घर पर हीं था तो मेरी मां मुझे कहने लगी कि तुम अपने मामा के पास कुछ दिनों के लिए चले जाओ, वह काफी समय से बीमार है और

वह यहां नहीं आ सकते और हम लोगों का वहां जाना भी संभव नहीं है इसीलिए तुम कुछ दिनों के लिए अपने मामा के पास चले जाओ। मैंने अपनी मां से कहा कि आप इस बारे में एक बार पिता जी से बात कर लीजिए

यदि वह मुझे कहते हैं कि तुम दिल्ली चले जाओ तो मैं दिल्ली चले जाता हूं क्योंकि दुकान में बहुत ज्यादा काम रहता है। मेरी मां ने जब मेरे पिता जी से इस बारे में बात की तो वह कहने लगे कि ठीक है तुम रमन को कुछ दिनों के लिए दिल्ली भेज दो, दुकान का काम मैं संभाल लूंगा। अब मैं निश्चिंत हो गया था और मैं दिल्ली चला गया।

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जब मैं दिल्ली गया तो मैं अपने मामा के घर पर ही रुकने वाला था और जैसे ही मैं अपने मामा के घर पहुंचा तो मैंने देखा कि उनकी तबीयत वाकई में बहुत ज्यादा खराब है।

वह मुझसे पूछने लगे कि तुम्हारी मां नहीं आई, मैंने उन्हें कहा कि घर में बहुत ज्यादा काम है इसलिए वह नहीं आ पाए और पिताजी दुकान का ही काम संभाल रहे हैं। मेरे मामा को भी यह बात बहुत अच्छे से पता है कि मेरे पिताजी का कारोबार बहुत अच्छा चलता है इसलिए उन्हें दुकान में हमेशा ही किसी ना किसी का साथ चाहिए होता है

क्योंकि मेरे पिताजी की भी उम्र हो चुकी है। मैंने अपने मामा से पूछा आपको क्या तकलीफ हो रही है, वह कहने लगे की मुझे शरीर में बहुत ही ज्यादा कमजोरी महसूस होती है और ऐसा लगता है जैसे मैं चलते चलते ही गिर ना जाऊं इसलिए मुझे डॉक्टर ने आराम करने के लिए कहा है।

जब मैं अपनी  मामी से मिला तो मैं बहुत खुश हुआ और मैं कहने लगा आपकी तबीयत कैसी है, मामी की तबीयत भी ठीक नहीं रहती। वह कहने लगी कि अब तो मेरी तबीयत पहले से ठीक है क्योंकि उनका कुछ समय पहले ही ऑपरेशन हुआ है इसलिए उनका स्वास्थ्य बिल्कुल भी ठीक नहीं रहता और अब मामा को भी तकलीफ होने लगी है। उन लोगों कि कोई भी संतान नहीं है इसलिए हम लोग ही उनसे मिलने के लिए आते जाते रहते हैं

या फिर वह लोग कभी हमारे पास आ जाते हैं परंतु अब मेरे मामा और मामी दोनों की तबीयत ठीक नहीं रहती थी इसीलिए वह लोग काफी समय से नहीं आए। मेरी मम्मी ने भी इसी वजह से कहा कि तुम अपने मामा से मिल आओ। मैं अपने मामा के पास ही रुक गया और उनके घर पर ही काफी दिन तक था।

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उनकी तबीयत में थोड़ा सुधार होने लगा था। मुझे लगा लगा कि अब मुझे घर चले जाना चाहिए इसलिए मैंने अपने मामा और मामी से कहा कि मैं अब घर जा रहा हूं क्योंकि मुझे काफी वक्त हो चुका था

इसलिए मैं अब अपने घर जाने की तैयारी करने लगा। जब मैं घर लौट रहा था तो उस वक्त मुझे मेरे पड़ोस में रहने वाली अंजली भाभी दिख गई लेकिन उन्होंने मुझे नहीं देखा। हम लोगों का इतना परिचय नहीं था। वह हमारी दुकान पर सामान लेने आती थी।

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जब उन्होंने मुझे देखा तो उन्होंने मुझे पहचान लिया और कहने लगी कि तुम यहां पर क्या कुछ काम से आए थे, मैंने उन्हें बताया कि मेरे मामा की तबीयत खराब है इस वजह से मुझे यहां आना पड़ा।

वह भी मथुरा जा रही थी। मैंने उनसे पूछा कि क्या आप मथुरा जा रही है, वह कहने लगी हां मैं मथुरा जा रही हूं, मैं भी अपने ऑफिस के काम के सिलसिले में यहां आई थी। मेरे ऑफिस का काम पूरा हो चुका है इसलिए मैं घर जा रही हूं। हम दोनों ही साथ में ट्रेन में बैठ गए और हम दोनों का रिजर्वेशन एक ही बोगी में था।

वह मेरे साथ ही बैठ गई और एक व्यक्ति कुछ देर बाद आया और वह कहने लगा की यह मेरी सीट है। मैंने उन्हें कहा कि यह सामने वाली मेरी ही सीट है यदि आप वहां बैठ जाए तो आपको कोई दिक्कत तो नहीं है। वह कहने लगे नहीं मुझे कोई दिक्कत नहीं है। अब वह वहीं बैठ गए और मैं अंजलि भाभी के साथ में ही था।

हम दोनों काफी बात कर रहे थे और मुझे उनसे बात कर के अच्छा भी लग रहा था क्योंकि मैं भी सोच रहा था कि मेरा भी सफर कट जाएगा लेकिन अभी तक ट्रेन चलनी शुरू नहीं हुई थी और हम दोनों बात कर रहे थे।

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वह मुझसे पूछ रहे थे कि अब तुम्हारे मामा की तबीयत कैसी है, मैंने उन्हें बताया कि अब उन दोनों की तबीयत पहले से बेहतर है इसीलिए मैं घर वापिस जा रहा हूं।

वह बहुत ही खुले विचारों की महिला हैं और जब भी हमारी दुकान में आती है तो मुझसे भी बात करती हैं। मुझे अंजली भाभी के साथ बात करना अच्छा लग रहा था और वह भी मुझसे काफी बात कर रही थी। मेरी और अंजली भाभी की सेक्स को लेकर बात होने लगी थी। हम दोनों का शरीर बात करते हुए गर्म हो गया।

मैंने उन्हें कहा कि यदि आपको मुझसे अपनी चूत मरवानी है तो आप बाथरूम में चलिए। वह भी अपनी चूत मरवाने के लिए उतावली हो गई थी और हम दोनों बाथरूम में गए तो अंदर कोई व्यक्ति था

जैसे ही वह बाहर आया तो हम दोनों ही अंदर घुस गए। मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए अंजली भाभी के मुंह में डाल दिया और उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर तक समा लिया और बहुत अच्छे से मेरे लंड को चूसने लगी।

उन्होंने मेरे लंड को इतने अच्छे से चूसा की मेरा सारा पानी बाहर आने लगा। मैंने भी उनके स्तनों को काफी देर तक चूसा और मुझे भी बहुत अच्छा लगा। मैंने जब उन्हें घोड़ी बनाया तो मैंने उनकी योनि को बहुत अच्छे से चाटा। उनकी योनि से बहुत ज्यादा पानी बाहर निकल रहा था वह बहुत ज्यादा मचल रही थी।

मैंने जैसे ही उनकी योनि के अंदर उंगली डाली तो अब वह पूरे मूड में थी। मैंने अपने लंड को उनकी योनि के अंदर डाल दिया और जैसे ही मेरा लंड उनकी योनि में गया तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और मैं उन्हें बड़ी तेजी से धक्के दे रहा था। वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी और अपनी चूतडो को मुझसे मिला रही थी

लेकिन वह बिल्कुल भी थक नही रही थी और मैं भी उन्हें अच्छे से चोदे जा रहा था। काफी देर बाद जब मेरा गिरने वाला था तो उन्होंने अपनी योनि को टाइट कर लिया और जैसे ही मैंने झटके मारे तो उसके बीच में मेरा माल गिर गया। मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ और उसके बाद उन्होंने कहा कि तुम मेरी गांड में डाल दो।

मैंने उनकी गांड के अंदर अपने लंड को डाल दिया जैसे ही मैंने अपने लंड को अंजली भाभी की गांड मे डाला तो उनकी गांड से खून निकलने लगा और वह चिल्लाने लगी। उन्हें बहुत अच्छा महसूस होने लगा वह मेरा साथ दे रही थी। वह अपनी गांड को मुझसे मिलाने पर लगी हुई थी मुझे इतना आनंद आ रहा था

कि मैं उनकी टाइट गांड को बड़े अच्छे से धक्के मार रहा था। उनकी गांड से खून भी बाहर आने लगा था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं उन्हें झटके मार रहा था लेकिन कुछ देर बाद उनकी गांड से कुछ ज्यादा ही गर्मी बाहर निकलने लगी और मुझसे वह बिल्कुल भी झेली नही गई।

जैसे ही मेरा माल उनकी गांड मे गिरा तो उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए और अपनी सीट पर आ गए। अंजली भाभी मुझसे कहने लगी कि मेरी गांड बहुत दर्द हो रही है। जब भी उनका मन होता तो वह मुझे अपने पास बुला लेती और मैं उन्हें चोदता।

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