मामी की चुचियों को चूसकर लाल किया भाग २

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फिर थोड़ी देर के बाद मैंने अपना एक हाथ उनके बूब्स पर रख दिया। उनके बूब्स छोटे-छोटे थे, लेकिन मस्त थे।

मैंने पहली बार किसी औरत के बूब्स को छुआ था। अब में उनके मज़े ले पाता, इससे पहले मामी ज़ी ने मेरा हाथ हटाकर वापस अपनी कमर पर रख दिया, लेकिन पहली बार के लिए इतना ही काफ़ी था।

फिर यह सिलसिला कुछ और दिन चला और फिर मेरे मामा जी ने अपना नया घर ले लिया और वो लोग वहाँ चले गये। फिर कई सालों तक में उन्हें नहीं छू सका। फिर कुछ सालों के बाद मेरी मम्मी ने मुझे अपने मामा जी को डिनर पर इन्वाइट करने उनकी दुकान पर भेजा,

तो मेरे मामा जी ने कहा कि वो देर से आएँगे इसलिए में मामी ज़ी को अपने साथ ले जाऊं। अब उनका घर पास ही था, तो में उनके घर चला गया और मामी ज़ी को मेरे साथ चलने के लिए कहा, तो वो तैयार होने के लिए चली गयी, लेकिन उनके घर में एक ही रूम था, मतलब कपड़े चेंज करने का रूम वही था।

फिर मैंने सोचा कि काश ये मेरे सामने ही अपने कपड़े बदल ले, लेकिन यह संभव नहीं था। तो वो एक दीवार के पीछे चली गयी और अपने कपड़े बदलने लगी। तो मेरा मन हुआ कि में इस जालिम दीवार को तोड़ दूँ,

जो मुझे उन्हें नंगा देखने से रोक रही है। फिर कुछ देर के बाद वो बाहर आई। अब वो क्या लग रही थी? अब वो नीली साड़ी में कयामत लग रही थी और उनकी साड़ी कसकर बँधी थी।

उनका पूरा फिगर कयामत था। अब में अपने मामाजी से जल रहा था। फिर मैंने सोचा कि अगर में मामा जी की जगह होता तो मामी ज़ी को रोज सुबह शाम रात चोदता ही रहता, लेकिन मैंने अपने आपको संभाला और उन्हें लेकर अपने घर आ गया।

फिर डिनर के बाद लेट होने की वजह से मेरी मामा ज़ी हमारे घर ही रुक गये थे, वैसे तो आप लोगों के लिए यह सामान्य ही होगा, लेकिन मेरे लिए तो वो रात स्वर्ग में होने जैसी थी। फिर डिनर के बाद में जल्दी ही सो गया।

फिर जब आधी रात को मेरी नींद टूटी तो मैंने देखा कि मेरे बगल वाले बेड पर जो कि मेरे बेड से सटा हुआ था, उस पर मेरी मामी ज़ी सो रही थी और उनके साथ मेरे भाई बहन सो रहे थे। अब में उन्हें छूने का ये मौका नहीं गँवाना चाहता था, तो मैंने भगवान से प्रार्थना की और अपने काम पर लग गया।

फिर मैंने पहले अपने पैर से उनके पैर को सहलाना शुरू किया, लेकिन काफ़ी देर करने के बाद भी मामी ज़ी ने कोई जवाब नहीं दिया, तो तब मेरी हिम्मत बढ़ी, लेकिन अब में थोड़ा सर्प्राइज़ भी था।

फिर थोड़ी देर के बाद में अपना एक हाथ उनके मखमली पेट पर रखकर सहलाने लगा, यह सब आसान था, क्योंकि उन्होंने साड़ी पहन रखी थी।

अब उनकी पतली कमर के मज़े लेने के बाद में धीरे-धीरे अपना एक हाथ उनके ब्लाउज पर रख दिया था।

अब भी मामी ज़ी ने कोई जवाब नहीं दिया था, मुझे नहीं पता क्यों? अब उनके बूब्स को पकड़ने पर मेरा लंड तन गया था, उूउउफफफ्फ़ क्या अहसास था? अब में धीरे-धीरे उनके बूब्स को दबाने लगा था। अब मेरा मन कर रहा था कि उनका ब्लाउज फाड़ दूँ, लेकिन वो मेरा कोई जवाब ही नहीं दे रही थी।

अब में चाहता था कि वो मेरा साथ दे इसलिए में अपना एक हाथ उनके हाथों पर, उनकी गर्दन पर और उनके चेहरे पर घुमाने लगा, लेकिन फिर भी उन्होंने मेरा कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया।

अब में अपना एक हाथ उनके ब्लाउज में डालने लगा था और उनका ब्लाउज बहुत टाईट था। अब में अपना एक हाथ अंदर उनके ब्लाउज के अंदर डालने की कोशिश कर ही रहा था कि मामी ज़ी ने साथ दिया और मेरा हाथ अपने बूब्स पर से हटाकर करवट बदल ली। अब उनका चेहरा मेरी तरफ था, लेकिन अब में रुकने वाला नहीं था तो मैंने अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर उनके बूब्स को फिर से पकड़ लिया और धीरे-धीरे मसलने लगा।

अब में मामी ज़ी को किस करना चाहता था, लेकिन वो मेरा जवाब ही नहीं दे रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद जब में उनके प्यारे बूब्स को मसल रहा था तो सपने में उनको चोद भी रहा था।

बस तभी मेरा लंड ढीला पड़ गया और मैंने अपना काम बंद कर दिया। फिर उस दिन के बाद से मुझे आज तक उन्हें छूने का मौका नहीं मिला है, क्योंकि इकट्ठे लोगों के परिवार में यह सब करना इतना आसान नहीं होता है ।।

धन्यवाद …

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