बातुनी पडोसन की गांड लाल करने का मजा

4.7/5 - (3 votes)

मेरा नाम प्रजापति है मेरी उम्र 40 वर्ष हो चुकी है। मैंने शादी नहीं की क्योंकि  मेरे घर की स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए मुझे ही घर की सारी जिम्मेदारी उठानी पड़ी और यही सोच कर मैंने शादी नहीं की। मैंने अपने छोटे भाई-बहनों की खुद ही शादी करवाई परन्तु मैंने खुद की शादी के बारे में कभी नहीं सोचा।

मेरे छोटे भाई ने मुझे कहा कि तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए। मैंने उसे कहा कि मुझसे कौन शादी करेगा। मैंने वैसे भी अपने दिमाग से यह सब बातें निकाल दी है। मैं शादी के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं हूं।

तुम ही मेरे बच्चे हो और मैं तुम्हारी ही देखभाल कर के बहुत खुश हूं। वह लोग भी मेरा बहुत सम्मान करते हैं और कहते हैं कि आपके जैसा भाई तो सबके पास होना चाहिए। आपने हमारे लिए कितना कुछ किया है। आपने हमारे लिए अपने बारे में कुछ भी नहीं सोचा।

वह सब लोग मेरी बहुत इज्जत करते हैं। उनके छोटे बच्चे भी अब मेरी इज्जत करते हैं। मेरी जबलपुर में एक दुकान है और अब उस दुकान को मेरा भाई संभालता है। कभी कबार मैं दुकान में चले जाता हूं।

मैं काफी समय से अपनी छोटी बहन के पास नहीं गया था मैंने सोचा कि उसके घर हो जाऊंगा और उसके हाल चाल पूछ लूंगा।।

मैंने जब अपने भाई से कहा कि मैं काफी समय से रोशनी के घर नहीं गया हूं।  मैं सोच रहा हूं की कुछ दिनों के लिए उसके घर हो आऊं। मेरा भाई कहने लगा कि हां क्यों नहीं भैया। आप वहां जाओगे तो कम से कम इस बहाने वह भी आपसे मिलकर खुश हो जाएगी। उसका मुझे काफी समय पहले फोन आया था तो वह मुझे कह रही थी भैया कैसे हैं। मैंने उसे कहा कि भैया तो ठीक लेकिन हम लोग तुम्हे बहुत याद करते है।

जब हम दोनों भाई साथ में बैठे हुए थे तो हम कुछ बचपन की यादें ताजा कर रहे थे। मेरा भाई कहने लगा आपको वह दिन याद है जिस दिन मैंने पैसे चोरी किये थे उस दिन आपने मुझे बहुत मारा था।

उसके बाद कई दिनों तक मैंने आपसे बात नहीं की थी लेकिन जब आपने मुझे समझाया कि चोरी करना अच्छा नहीं है उसके बाद से मुझे लगा कि मैंने उस दिन गलती की लेकिन आपने उस दिन मुझे इतना मारा कि मैं उस दिन बीमार भी पड़ गया था।

जब यह बात मेरे भाई ने मुझसे कहीं तो मेरी आंख में आंसू आ गये। वह कहने लगा की आपने हमारे लिए बहुत कुछ किया है और जितना योगदान आपने हमारे जीवन को आगे बढ़ाने में दिया इतना कोई किसी के लिए नहीं करता।

मैंने उसे कहा अब यह बात तुम ना ही करो तो अच्छा रहेगा। हम दोनों उस दिन अपनी कुछ पुरानी यादें ताजा कर रहे थे।  उस दिन पता ही नहीं चला कब शाम हो गई। जब शाम को हम दोनों भाई घर लौटे तो मेरे छोटे भैया की पत्नी ने हमारे लिए खाना बनाया हुआ था। मैं खाना खाकर अपने कमरे में सोने के लिए चला गया।

अगले दिन मैंने अपना सामान रख लिया और अपने भाई से कहा कि मैं रोशनी के घर जा रहा हूं। तुम काम संभाल लेना।  उसने मुझे कहा भैया मैं आपको बस में बैठा देता हूं।

उसने मुझे बस में बैठा दिया और मैं वहां से अपनी बहन के पास चला गया। जब मैं रोशनी के पास पहुंचा तो वह मुझे देखकर बहुत खुश हुई और मेरे गले लग गई। वह कहने लगी भैया मैं आपको कब से याद कर रही थी लेकिन आप तो आने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

मैंने उससे कहा कि बहन के ससुराल में आना अच्छा नहीं लगता और हमेशा ही तो मैं तुम्हारे पास आ जाता हूं। वह कहने लगे आप तो पता नहीं कितने सालों पहले आए थे और कह रहे हैं हमेशा आते हैं। मैं भी अपनी बहन से बात कर के बहुत खुश हो रहा था और वह भी मुझसे बात करके बहुत खुश थी।

वह मुझे कहने लगी घर में तो सब लोग ठीक है। मैंने उसे कहा हां घर में तो सब लोग कुशल मंगल हैं। तुम बताओ तुम्हारे बच्चे कैसे हैं।

वह कहने लगी बच्चे भी सब सही हैं और आपको बहुत याद करते हैं। मैंने उससे पूछा बच्चे कहां गए हुए हैं। वह कहने लगी कि बच्चे तो अभी स्कूल गए हैं बस कुछ ही देर में आ जाएंगे। मैं उन्हें स्कूल लेने के लिए ही जा रही थी तब तक आप आ गए। मैंने उसे कहा कि जाओ फिर तुम बच्चों को ले आओ।

वह बच्चों को लेने के लिए स्कूल चली गई और मैं घर पर ही बैठा हुआ था। तभी उनके पड़ोस में रहने वाली एक महिला आए। मैं उनसे पहले भी एक दो बार मिल चुका था लेकिन वह महिला मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं थी।

उनका नाम शकुंतला है। वह बिल्कुल ही बेकार की बातें करती हैं और अपने घर की इतनी तरफदारी करते हैं कि दूसरा आदमी उनके सामने कुछ भी नहीं कह पाता। मैं जैसे ही कमरे में जा रहा था

उन्होंने मुझे देख लिया और कहने लगी कि अरे भाई साहब आप कब पहुंचे। जैसे ही उन्होंने यह कहा तो मैंने भी पीछे पलटी मारी और उन्हें कहा कि अरे शकुंतला जी आप कैसी हैं। वह कहने लगी मैं तो सही हूं लेकिन आप कब पहुंचे।

वह मेरे साथ बैठ गई और उन्होंने मेरा पूरा दिमाग खराब कर दिया। वह मुझे कहने लगे कि मेरे पति का प्रमोशन हो चुका है और उनकी जान पहचान भी बहुत ज्यादा हो चुकी है। मैं उनकी बातों में सिर्फ हां में हां मिला पा रहा था और उससे ज्यादा मैं उनसे कुछ भी बात नहीं कर पाया। मेरा उन्हें देखकर मूड खराब हो रहा था।

मुझे बहुत गुस्सा भी आ रहा था हालांकि मेरा स्वभाव बिल्कुल ही शांत किस्म का है लेकिन यदि मेरे सामने कोई ज्यादा बात करता है तो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आता।

मैंने उनकी जांघ पर हाथ रखते हुए कहा मैं अंदर जा रहा हूं। उन्होंने मुझे कहा आप यहीं बैठ जाइए शकुंतला ने भी मेरे पैर पर अपने हाथ को रखा तो मेरे अंदर की गर्मी भी बाहर आ गई। मैं उन्हें चोदने के लिए उतारू हो गया। मैंने उन्हें कहा आ जाओ आज मैं तुम्हें अपने लंड की गर्मी दिखा देता हूं।

मैं शकुंतला को अंदर बेडरूम में ले गया और जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह मुझे कहने लगी आपका लंड तो बहुत मोटा है। मैंने उसे कहा आज मैं तुम्हें अपने लंड से जवाब देता हूं।

तुम बहुत अच्छी बनाती हो और बहुत बात करती हो। मैंने उसके मुंह में लंड घुसा दिया जितना तेज उसका मुंह चलता है उतनी ही तेजी से वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले रही थी और मुझे बहुत मजा आ रहा था।

उसने मेरे लंड को बहुत देर तक अपने मुंह में लेकर चूसा। मेरे अंदर की गर्मी भी बाहर आ गई। मुझे लगता आज मैं उसकी गांड फाड़ कर ही रहूंगा।

जब मेरा लंड उसके मुंह में गया तो मुझे बहुत मजा आ गया। मैंने उसके पूरे बदन को चाटना शुरू किया उसका बदन तो बड़ा सेक्सी था और उसने बहुत मेंटेन भी किया हुआ था। मैंने जब उसकी गांड पर अपनी जीभ को लगाया तो उसकी गांड पूरी चिकनी हो गई। मेरा लंड भी पूरा चिकना हो चुका था।

मैंने जब अपने लंड को उसकी गांड में आधा डाला तो वह चिल्लाने लगी। मैंने धीरे धीरे लंड को डाल दिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी गांड के अंदर प्रवेश हुआ तो उसका खून निकल आया। मरा लंड भी छिल चुका था लेकिन मुझे उसका कोई डर नहीं था।

मैंने उसे बड़ी तेज गति से झटके देने शुरू कर दिए। वह अपने मुंह से आवाज निकालने लगी। वह अपने मुंह से मादक आवाज निकाल रही थी। वह बहुत दर्द से करहा रही थी। मैंने उसे कहा मादरचोद इतना बड बड कर रही हो।

मैंने उसे चुप करा दिया। उसके बाद मैंने उसकी चूतड़ों को कसकर पकड़ लिया। उसकी चूतड़ों पर मेरे नाखून के निशान पड गए। वह झटपटाने लगी मैंने बड़ी तेज गति से उसे धक्के देना शुरू कर दिया।

मेरा वीर्य गिर नहीं रहा था। उसकी चूतड़ों का रंग लाल हो चुका था। वह अपनी चूतडो को मुझसे मिलाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी गांड बहुत ज्यादा दर्द हो रही थी इसलिए वह चुपचाप खड़ी थी।

मैंने उसे और भी तेज गति से चोदना शुरू कर दिया। मेरा लंड जब उसकी गांड के अंदर बाहर होता तो उसकी गांड से मैने खून बाहर की तरफ निकाल दिया था लेकिन मुझे उसे चोदने में बड़ा मजा आया।

जब मेरी इच्छा पूरी हो गई तो वह मुझे कहने लगी प्रजापति जी आपने तो मेरी गांड लाल कर दी। आज के बाद मैं आपके सामने कुछ भी नहीं कहूंगी।

Leave a comment