चाचा की डॉक्टर बेटी को चोद डाला

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मेरा नाम रोहन है और मैं गाजियाबाद का रहने वाला एक 27 वर्ष का युवा हूं।

मैं गाजियाबाद में ही नौकरी करता हूं और जहां पर मैं नौकरी करता हूं वहां से मेरा घर बहुत ही नजदीक है। यहां नौकरी मुझे मेरे पिताजी के रेफरेंस से मिली थी। क्योंकि मेरे बॉस के पिताजी मेरे पापा के बहुत ही अच्छे दोस्त हैं।

दोनों एक दूसरे से भलीभांति परिचित हैं। इस वजह से उन्होंने मेरी नौकरी की बात की थी और मैंने वहां पर नौकरी कर ली। मैं अपने घर में सबसे छोटा हूं। मेरे बड़े भैया भी एक अच्छे पद पर कार्यरत है और वह पुणे में रहते हैं।

उनका गाजियाबाद आना कम ही होता है। क्योंकि उनके पास समय नहीं हो पाता इस वजह से वह गाजियाबाद बहुत कम ही आया करते हैं और जब भी वह गाजियाबाद आते हैं तो हमेशा ही मेरे साथ बहुत ही अच्छा समय बिताते हैं और हम दोनों भाइयों में बहुत ही ज्यादा प्रेम है।

हम दोनों साथ में बैठकर शराब भी पी लिया करते हैं और हम दोनों में खुलकर बातें होती हैं। वह मुझे भी कभी अपने भाई की तरह नहीं मानते। क्योंकि उनके और मेरे बीच में एक दोस्त की तरह संबंध है और हम दोनों बचपन से ही साथ में ऐसे ही रहते हैं। मुझे ही घर में सारा कुछ काम संभालना पड़ता है।

क्योंकि पिताजी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। इस वजह से मुझे ही घर का सारा काम देखना पड़ता है और मैं ही घर का सारा काम देखता हूं। मेरे पिताजी हमेशा ही मुझे कहते हैं कि तुम बहुत ही ध्यान रखते हो।

क्योंकि मेरी मां का भी स्वास्थ्य पहले से ही खराब रहता था। उनका एक बहुत ही बड़ा ऑपरेशन हुआ था जिस वजह से डॉक्टर ने उन्हें रेस्ट करने के लिए ही कहा है।

इस वजह से वह घर से ज्यादा बाहर भी नहीं जाती और ना ही किसी से मिलती हैं। कभी वह सिर्फ हमारी छत पर ही चली जाए करती हैं। मैं कभी कबार घर की साफ-सफाई भी कर दिया करता हूं।

एक दिन मेरे चाचा का मेरे पिताजी के फोन पर फोन आया और वह कहने लगे कि आरती कुछ दिनों के लिए आपके साथ ही रहेगी। क्योंकि उसका ट्रांसफर हो चुका है और वह गाजियाबाद में ही रहने वाली है। मेरे पिताजी चाचा से बात करने लगे। जब मेरे पिताजी ने चाचा से बात करके फोन रखा तो मैंने उन्हें कहा कि आरती कब आ रही हैं।

क्योंकि आरती मुझसे सिर्फ 4 वर्ष बड़ी है लेकिन हम दोनों में एक दोस्त की तरह संबंध है। हम दोनों बचपन में बहुत ज्यादा खेला करते थे और वह मेरे साथ रहना बहुत ही पसंद करती थी। इसलिए मैंने जब अपने पिताजी से पूछा तो वह कहने लगे कि वह कुछ दिनों में ही यहां गाजियाबाद रहने के लिए आ रही है।

अब वह कुछ दिनों बाद वह गाजियाबाद आ गई और जब मैंने उसे देखा तो मैं उसे देखकर बहुत ही खुश हुआ। मैंने तुरंत ही उसे गले लगा लिया और कहा कि तुम इतने वर्षों बाद मुझे मिल रही हो। अब तो तुम एक डॉक्टर बन चुकी हो। तुम्हारे पास हमारे लिए बिल्कुल भी समय नहीं है। वो कहने लगी कि समय वाली कोई बात नहीं है।

परंतु फिर भी मैं अभी थोड़ा बिजी हूं। इस वजह से मैं किसी से संपर्क नहीं कर पाई। मेरे पिता जी आरती को देखकर बहुत ही खुश थे और वह उसे कहने लगे की यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुम गाजियाबाद में ही आ गई और अब तुम हमारे साथ ही रहोगी। घर में वैसे भी हम तीनो लोग ही रहते हैं।

तुम्हारे आने से घर में थोड़ा और खुशियां बढ़ जाएगी। वह मेरे पिताजी को कहने लगी कि ताऊ जी ऐसी बात नहीं है। आप चिंता मत कीजिए। मैं कुछ समय बाद अपने लिए अलग घर देख लूंगी।

मेरे पिता जी ने उसे डांटते हुए कहा कि तुम्हें अलग घर देखने की जरूरत नहीं है। तुम हमारे साथ ही हमारे घर पर रहोगी। अब वह चुप हो गई। क्योंकि वह मेरे पिताजी का बहुत ही सम्मान करती है और उसके बाद उसने कुछ भी नहीं कहा। अब आरती हमारे साथ रहने लगी तो हम लोग भी बहुत खुश है।

उसके आने से कुछ नयापन सा आ गया था और वह भी मेरी मां का बहुत ज्यादा ध्यान रखती थी। क्योंकि वह डॉक्टर थी इसलिए वह सारी दवाइयां मुझे बता दिया करती थी और मैं जब भी ऑफिस से आता तो वह ले आता था और मेरी मां को भी बहुत ज्यादा आराम होने लगा था। वह बहुत ज्यादा खुश थी।

वह भी अब हम लोगों के साथ बैठकर बात किया करती थी। एक दिन जब मैंने उससे पूछा कि तुम शादी कब करने वाली हो। वो कहने लगी कि मेरा शादी का अभी तो कोई विचार नहीं है। पर कुछ समय बाद देखती हूं यदि कोई अच्छा लड़का मिल जाएगा तो मैं शादी कर लूंगी।

जब उसने यह बात कही तो मैंने उसे कहा कि तुम तो इतनी बड़ी डॉक्टर हो, तो तुम्हे आज तक कोई भी लड़का नहीं मिला। वो कहने लगी कि मेरे पास समय ही नहीं होता है इन सब चीजों के लिए।

मैं अपने आप में ही बहुत बिजी हूं। इस वजह से मैंने आज तक कोई लड़का नही देखा और ना ही कभी मुझे कोई लड़का ऐसा मिला जो मुझे अच्छा लगता हो। हम दोनों के बीच में बहुत खुलकर बातें हुआ करती थी तो उसने भी मुझसे पूछ लिया कि तुमने कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनाई। मैंने उसे कहा कि पहले मेरी एक गर्लफ्रेंड हुआ करती थी।

परंतु अब मेरा उससे ब्रेकअप हो चुका है क्योंकि मैं अब उसे समय नहीं दे पा रहा था। मैं ऑफिस से सीधा घर आता था और घर आने के बाद तो मेरे पास वैसे भी वक्त नहीं हो पाता।

क्योंकि अब मम्मी की तबीयत का ध्यान मुझे ही रखना पड़ता है। इसलिए मैं कहीं ज्यादा बाहर नहीं जाता। इस वजह से हम दोनों के झगड़े बहुत होने लगे थे और मैंने उससे ब्रेकअप कर लिया। क्योंकि वह बिल्कुल भी समझने को तैयार नहीं थी।

मैं अपने माता-पिता का ध्यान रखता हूं तो उसे इन सब चीजों को समझना चाहिए था। परंतु वह बिल्कुल भी नहीं समझ रही थी। अब आरती भी हॉस्पिटल जाया करती है और मैं भी अपने काम पर चला जाया करता।

जब भी हम लोग शाम को मिलते तो बहुत ही खुश नजर आते है। अब उसके आने से हमारे घर में भी बहुत खुशियां आ गई थी। जिस दिन उसे समय मिलता तो वह मुझे कहती थी अब कहीं घूमने चल पड़ते हैं और वही पूरा खर्चा किया करती थी। हम सब लोग घूमने जाया करते थे।

एक दिन मेरे लंड पर खुजली सी होने लगी तो मैंने सोचा कि मैं आरती से बात करता हूं। आरती को जैसे ही मैंने अपना लंड दिखाया तो वह कहने लगी कि तुम्हें तो बहुत एलर्जी हो गई है। जब उसने मेरे लंड पर हाथ लगाया तो मेरा लंड खड़ा हो गया। अब मेरा लंड इतना बड़ा हो चुका था आरती से देखा नहीं जा रहा था और उसने उसे अपने मुंह के अंदर ले लिया। वह मेरे लंड को बहुत अच्छे से चूसने लगी।

मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए उसका बदन बहुत ही ज्यादा मुलायम और गोरा था। मैंने तुरंत ही उसकी योनि को चाटना शुरू किया और उसके स्तनों का रसपान कुछ देर तक किया।

मैंने उसके होठों को भी अच्छे से चूसा। थोड़ी देर बाद मैंने अपने लंड को उसकी योनि में जैसे ही डाला तो वह बहुत चिल्लाने लगी उसकी सील टूट चुकी थी।

मैं बहुत हैरान था उसकी सील किसी ने भी नहीं तोड़ी। मैंने उसके दोनों पैर को इतना चौड़ा कर दिया कि मैं उसकी योनि की जड तक अपने लंड को डाल देता उसके गले से आवाज निकल जाती। वह अब मादक आवाज निकालने लगी और कहने लगे कि तुम मुझे बहुत ही अच्छे से चोद रहे हो। तुम मेरी इच्छाओं को पूरा कर रहे हो जो इतने वर्षों से मेरे अंदर ही दबी हुई थी। मैंने उसे घोडी बनाते हुए उसकी योनि के अंदर अपना लंड डाल दिया।

जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी योनि में डाला त मैंने उसे कसकर पकड़ लिया। मैंने उसकी चूतडो को इतना कस कर पकड़ा कि वह हिल भी नहीं पा रही थी और मैं उसे बड़ी तेज तेज धक्के मार रहा था।

मैंने उसे इतनी तीव्रता से चोदना शुरू किया कि उसके चूतड़ों का रंग पूरा लाल हो चुका था। उसकी चूत भी छिल चुकी थी और मेरा लंड भी बुरी तरीके से छिल चुका था।

लेकिन मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था उसे चोदने में वह अपने चूतडो को मुझसे मिलाए जा रही थी। वह कह रही थी तुम्हारे साथ सेक्स करने मे तो मुझे मजा ही आ गया। मैंने भी उसे इतनी तेज झटका मारा कि मेरा वीर्य एक ही झटके में उसकी योनि के अंदर जा गिरा। उसके बाद से हम दोनों ने बहुत बार सेक्स कर लिया है।

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