मां मेरे कमरे में आई और मुझे कहने लगी कि संजना बेटा मुझे तुमसे कोई जरूरी बात करनी थी तो मैंने मां से कहा हां मां कहिये ना आपको क्या बात करनी थी। मां ने मुझसे कहा बेटा मैंने तुम्हारे लिए एक लड़का देखा है
तुम्हे शादी कर लेनी चाहिए। मैंने मां को कहा देखो मां तुम कभी भी मुझसे इस बारे में बात मत किया करो मैं शादी करना ही नहीं चाहती हूं तुम्हें तो पता ही है कि मेरी जिंदगी पहले कैसे बर्बाद हुई थी और तुम जानती हो कि
मैं अब शादी नही करना चाहती हूं। जब मेरी शादी हुई थी तो उस वक्त मेरी उम्र 22 वर्ष थी और मेरी शादी रोहन के साथ हुई थी कुछ समय तक हम लोगों के बीच सब कुछ ठीक चलता रहा क्योंकि
मेरे मां बाप ने रोहन को काफी दहेज दिया था जितना मेरे पिताजी से बन सकता था उतना उन्होंने किया था लेकिन शादी हो जाने के कुछ समय बाद रोहन ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया।
जब दहेज के पैसे खत्म होने लगे तो मुझे पता चला कि रोहन ने इससे पहले भी एक लड़की से शादी की थी मुझे यह बात पहले पता ही नहीं थी और उनके परिवार वालों ने हमसे यह बात छुपाई थी और मैं इस बात से बहुत गुस्से में थी।
मैंने जब यह बात अपनी मां को बताई तो मेरी मां कहने लगी कि बेटा हमें भी इस बारे में पता नहीं था और उनका परिवार एक अच्छा परिवार है लेकिन मुझे जब रोहन की असलियत पता चलने लगी तो मैं रोहन से अब दूर जाना चाहती थी। रोहन कोई भी काम नहीं करता था
वह सिर्फ घर पर ही रहता था और मझसे रोहन के झगड़े होते ही रहते थे क्योंकि रोहन के पास दहेज के पैसे भी अब खत्म हो चुके थे इसलिए वह मुझे कहने लगा कि संजना तुम कुछ काम क्यों नहीं करती।
मैंने भी एक नौकरी ढूंढ ली थी मैं नौकरी करने लगी थी लेकिन रोहन घर पर ही रहते थे और वह कुछ भी नहीं करते थे मुझे भी इस बात से बहुत बुरा लगने लगा था इसलिए मैं कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली आई और उसके बाद रोहन और मेरे बीच डिवोर्स हो गया।
हम दोनों के अलग हो जाने के बाद मैंने अपने मन से शादी का ख्याल ही निकाल दिया था क्योंकि मेरी शादीशुदा जीवन बिल्कुल भी अच्छे से नहीं चल पाया था इसलिए मैंने अपने दिमाग से शादी का ख्याल निकाल दिया था।
मैंने अपनी मां को कहा देखो मां तुम अब इस बारे में ना हीं बात करो तो ज्यादा ठीक रहेगा मां ने भी कहा ठीक है संजना बेटा मैं तुमसे इस बारे में अब कभी बात नहीं करूंगी और वह मेरे रूम से चली गई।
मैं रूम में ही बैठी हुई थी मैं अपनी कुछ पुरानी यादों को ताजा कर रही थी कि रोहन के साथ किस प्रकार से मैं अपना जीवन बिता रही थी और उसके साथ मैं बिल्कुल भी खुश नहीं थी लेकिन उसके बावजूद भी मैं अपनी जिंदगी रोहन के साथ बिता रही थी अब मैं अपनी नौकरी से खुश थी और हर रोज की तरह मैं सुबह अपनी जॉब पर चली जाती।
मेरे जीवन में कुछ भी नया नहीं था मैं सुबह ऑफिस जाती और शाम के वक्त ऑफिस से लौट आती मेरी कुछ चुनिंदा सहेली ही थी जिनसे मैं बात किया करती थी और उसके अलावा मैं किसी से भी बात नहीं करती थी।
जब भी कोई मुझसे मेरी शादी के बारे में बात करता तो मुझे बहुत ही बुरा लगता मैं अपने शादीशुदा जीवन के बारे में बात करना ही नहीं चाहती थी मैं वह जीवन भूल कर अब आगे बढ़ चुकी थी और मैं कभी नही चाहती थी
कि दोबारा मैं उस बारे में बात करूं। हालांकि उसके बाद रोहन से भी मेरी बात हुई और रोहन ने मुझे कहा कि संजना तुम घर लौट आओ लेकिन मैंने उसे मना कर दिया था और कहां देखो रोहन मैं तुम्हारे साथ रह ही नहीं सकती हूं
लेकिन वह भी कहां अपनी आदतों से बाज आने वाला था उसने एक और लड़की से शादी कर ली और उसके बाद उससे मेरा कोई संपर्क नहीं था मैं अपनी जिंदगी से खुश थी। एक दिन पापा और मैं साथ में बैठे हुए थे मां कहने लगी
कि बेटा हम लोगों को कुछ दिनों के लिए दिल्ली जाना है मैंने मां से कहा मां लेकिन दिल्ली में क्या काम है तो मां कहने लगी कि बेटा दिल्ली में तुम्हारे चाचा जी की तबीयत कुछ ठीक नहीं है तो उन्हें देखने के लिए हमें वहां जाना पड़ेगा।
मैंने मां से कहा मां क्या मैं भी अपने ऑफिस से कुछ दिनों की छुट्टी ले लूं तो मां कहने लगी कि बेटा जैसा तुम्हें ठीक लगता है तुम्हें हमारे साथ चलना है तो तुम भी हमारे साथ चलो। मैंने भी सोचा की क्यों ना मैं पापा और अपनी मम्मी के साथ चली जाऊं और मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली।
कुछ दिनों की छुट्टी लेने के बाद मैं भी दिल्ली चली गई मैं दिल्ली गई तो दिल्ली में मेरे लिए सब कुछ नया था क्योंकि दिल्ली में मैं किसी को भी नहीं जानती थी। मेरे चाचा जी की लड़की जिसकी उम्र मुझसे 2 वर्ष छोटी थी
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लेकिन वह बड़ी बिंदास है और चाचा जी की तबीयत भी ठीक नहीं थी इसलिए मां और पापा तो चाचा जी के साथ ही घर पर रहते चाची जी का देहांत भी अभी कुछ समय पहले ही हुआ था।
मैं अपनी चचेरी बहन मेघा के साथ एक दिन घूमने के लिए चली गई और जब
मैं मेघा के साथ घूमने के लिए गई तो उस दिन उसने मुझे अपने दोस्तों से मिलवाया मुझे मेघा के साथ अच्छा लगा और काफी समय बाद मैं किसी के साथ इतना खुश थी।
मैंने मेघा से कहा कि तुम अपनी जिंदगी को बड़े अच्छे से जी रही हो तो मेघा कहने लगी कि दीदी अब आपको तो पता ही है कि कुछ समय बाद मेरी भी शादी हो जाएगी। मैंने मेघा से कहा मेघा लेकिन
तुम जिस भी लड़के से शादी करो उससे तुम सोच समझ कर शादी करना मेघा ने मुझे अनिल के बारे में बताया मेघा ने मुझे कहा कि अनिल और उसके बीच काफी समय से रिलेशन है।
मेघा ने मुझे कहा कि क्या आप अनिल से मिलना चाहती है मैंने मेघा से कहा नहीं मैं अनिल से नहीं मिलना चाहती मैं तो यही चाहती हूं कि तुम्हारी जब भी शादी हो तो अनिल तुम्हारा अच्छे से ध्यान रखे।
मेघा मुझे कहने लगी दीदी अनिल मेरा बहुत ध्यान रखता है। मेघा को मेरी शादी शुदा जिंदगी के बारे में पता था इसलिए उसने मुझसे इस बारे में बात नहीं की कुछ दिनों तक हम लोग दिल्ली में ही रुके और उसके बाद हम लोग अपने घर वापस लखनऊ लौट आए। लखनऊ से लौट आने के बाद मै अपने ऑफिस जाने लगी
मैं अपने ऑफिस हर रोज सुबह के वक्त घर से निकल जाती थी लेकिन मुझे 9:00 बजे एक लड़का बस स्टॉप पर हमेशा दिखाई देता मैं उसे हर रोज देखा करती थी। एक दिन उसने मुझसे बात कर ली
जब उसने मुझसे बात की तो उसने मुझे अपना नाम बताया और कहने लगा मेरा नाम निखिल है। मैंने निखिल से कहा मैं तुम्हें हर रोज यहां खड़े देखती हूं? वह मुझे कहने लगा मै हमेशा ही 9:00 बजे यहां आ जाता हूं।
निखिल के साथ मे बात करने लगी थी। हम लोग हर रोज बस मे जाया करते। निखिल के बारे मे मुझे पता चल चुका था उससे मेरी अच्छी दोस्ती होने लगी थी। निखिल को मैंने अपने बारे में सब कुछ बता दिया था निखिल ने मुझे कहा तुम्हारे पति ने तुम्हारे साथ बहुत ही गलत किया उसे तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था।
निखिल ने मुझे कहा यदि मैं तुम्हारे पति की जगह होता तो शायद तुम जैसी लड़की को कभी नहीं छोड़ता और ना ही तुम्हें कभी किसी भी प्रकार की कोई परेशानी होने देता। मुझे नहीं पता था कि निखिल और मैं एक दूसरे के इतने नजदीक आ जाएंगे कि एक दिन निखिल और मै पार्क में बैठे हुए थे उस दिन जब
निखिल और मै पार्क में बैठे हुए थे तो निखिल ने मेरे होठों को चूम लिया। उसने मुझे पार्क मे किस कर लिया मुझे भी ऐसा लगा जैसे कितने समय बाद किसी ने मेरे अंदर की गर्मी को जगा दिया हो।
वह मेरे होठों को बहुत देर तक चसता रहा उसने मेरे होठों से खून भी निकाल दिया था। यह पहली बार ही था जब हम दोनों के बीच किस हुआ था उसके बाद तो ना जाने कितने ही बार हम दोनों के बीच किस हुआ।
मैं इस बात से बड़ी खुश थी कि निखिल के साथ मैं अब अच्छा समय बिता पा रही हूं निखिल के साथ मुझे समय बिताना अच्छा लगता। जब भी निखिल और मैं साथ मे होते तो एक दूसरे को किस कर लिया करते थे।
एक दिन निखिल को मैंने अपने घर पर बुलाया उस दिन घर पर कोई नहीं था मेरा उस दिन सेक्स करने का बहुत ज्यादा मन था। निखिल भी सेक्स करने के लिए तैयार हो चुका था। मैंने निखिल की पैंट की चैन को खोलते हुए
उसके लोड को अपने मुंह के डाल दिया। मैंने निखिल के लंड को अपने मुंह मे लिया तो मुझे बहुत ही अच्छा महसूस होने लगा मैं उसके मोटे लंड को ऐसे ही सकिंग करने लगी। मैंने काफी देर तक उसके लंड को सकिंग किया उसके लंड से पानी बाहर निकलने लगा था। वह मुझे कहने लगा तुम अपने कपड़े उतार दो।
मैंने अपने बदन से कपड़े उतार दिए मै निखिल के सामने नंगी थी निखिल ने मेरी चूत को सहलाना शुरू किया और उसने जब मेरी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया तो मैंने निखिल को कहा तुम ऐसे ही मुझे धक्के देती रहो।
निखिल मुझे ऐसे ही तेज गति से धक्के मार रहा था निखिल का लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। निखिल मुझे कहने लगा मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा है
मैं निखिल का साथ बड़े अच्छे से दे रही थी। निखिल मुझे कहने लगा तुम मुझे ऐसे ही चोदते रहो मैंने उसका साथ काफी अच्छे से दिया मेरी सिसकियां बढने लगी थी। मेरी गर्मी अब पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी
जिस वजह से हम दोनों ही एक दूसरे के बदन की गर्मी को ना झेल सके और निखिल का वीर्य मेरी चूत के अंदर गिर चुका था। उसका वीर्य मेरी योनि में गिरते ही मैं खुश हो गई और मैंने उसे कहा आज तो मजा ही आ गया। वह कहने लगा मै तुमसे मिलने आता ही रहूंगा।