चूतडो को लाल कर दिया

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मैं बस स्टॉप पर खड़ा था और मैं बस का इंतजार कर रहा था

क्योंकि मेरा दोस्त राहुल ऑफिस आने वाला नहीं था इसलिए उसने मुझे सुबह ही फोन कर के यह बात बता दी थी कि आज वह ऑफिस नहीं आ पाएगा।

कुछ देर में बस भी आ गई और मैं बस में बैठ गया मैं जब बस में बैठा तो मुझे बैठने के लिए सीट नहीं मिल पाई जिस वजह से मैं खड़ा ही था। मेरे ऑफिस तक का सफर करीब आधे घंटे का था

तो मैं सोच रहा था कि यदि मुझे सीट मिल जाती तो मैं बैठ जाता लेकिन उस दिन बस में काफी भीड़ थी और मुझे बैठने के लिए जगह नहीं मिल पाई मैं खड़े-खड़े ही अपने ऑफिस तक गया।

जब मैं अपने ऑफिस के नजदीक के बस स्टॉप पर उतरा तो वहां से मैं अपने ऑफिस चला गया जब मैं ऑफिस पहुंचा तो मैंने अपनी टेबल पर अपना बैग रखा और उसके कुछ देर बाद ही मैं अपना काम करने लगा।

मैं अपना काम करने लगा था तभी मुझे अंकिता का फोन आया और वह मुझसे कहने लगी कि गगन क्या तुम ऑफिस में ही हो तो मैंने अंकिता को कहा हां मैं ऑफिस में ही हूं अंकिता कहने लगी कि मैं कुछ दिनों के लिए अपने घर कोलकाता जा रही हूं।

अंकिता मेरे पड़ोस में ही रहती है और उससे मेरी दोस्ती कुछ दिनों पहले ही हुई है अंकिता और मेरे बीच इतनी अच्छी दोस्ती हो गई कि हम दोनों एक दूसरे से अपनी हर एक बात शेयर किया करते।

मैंने अंकिता से पूछा लेकिन अचानक से तुमने अपने घर जाने का फैसला क्यों किया सब कुछ ठीक तो है ना, वह मुझे कहने लगी कि हां सब कुछ ठीक है

लेकिन मुझे घर जाना ही था क्योंकि मेरी मां कह रही है कि पिताजी की तबीयत ठीक नहीं है जिस वजह से मुझे घर जाना पड़ रहा है। मैं और अंकिता साथ में ही ज्यादातर समय बिताया करते थे अब अंकिता अपने घर जा चुकी थी और मैं अकेला हो चुका था अंकिता से मेरी मुलाकात एक दिन लिफ्ट में आते वक्त हुई हम लोग लिफ्ट से आ रहे थे

उस वक्त लिफ्ट में कोई भी नहीं था अंकिता ने मुझसे हाथ मिलाते हुए अपना परिचय दिया और मैंने भी अंकिता को अपना परिचय दिया उसके बाद हम दोनों में अच्छी दोस्ती होने लगी।

उसके बाद जब हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों एक दूसरे को देख कर काफी खुश हो जाया करते थे जिससे कि अंकिता और मेरे बीच काफी अच्छी दोस्ती होने लगी थी अब अंकिता तो कोलकाता जा चुकी थी और मैं घर पर अकेला बोर हो रहा था तो मैंने सोचा कि मैं अपने चाचा के घर हो आता हूं।

मैं उस दिन अपने चाचा जी के घर चला गया क्योंकि रविवार का दिन था और मेरे ऑफिस की छुट्टी थी इस वजह से मैं अपने चाचा जी के घर चला गया। मैं किराए के फ्लैट में रहता हूं लेकिन मेरे चाचा जी पुणे में काफी वर्षों से रह रहे हैं और वह पुणे में गारमेंट का काम करते हैं उनकी गारमेंट शॉप है और वह पिछले 20 वर्षों से वह शॉप चला रहे हैं।

जब मैं उस दिन चाचा जी के घर पर गया तो चाचा जी उस दिन मुझसे मिलकर खुश हुए और कहने लगे कि गगन बेटा तुम काफी समय बाद घर आ रहे हो। मैंने चाचा जी से कहा चाचा जी बस अपने ऑफिस के काम के चलते मैं बिजी हो जाता हूं इसलिए आपके घर नहीं आ पाता लेकिन आज मैं फ्री था तो सोचा आज आपसे मिल लेता हूं तभी चाची जी भी रसोई से मेरे लिए चाय बना कर ले आई। उन्होंने मुझसे कहा कि गगन बेटा क्या तुमने नाश्ता कर लिया है

तो मैंने उन्हें कहा हां चाची मैंने नाश्ता कर लिया है लेकिन फिर भी उन्होंने मेरे लिए नाश्ता लगा दिया अब चाय पीने के तुरंत बाद मैंने नाश्ता भी कर लिया था। मैंने अपने चाचा जी से पूछा चाचा जी आज रोहन कहीं नजर नहीं आ रहा तो वह कहने लगे कि आज रोहन अपने दोस्तों के साथ कहीं घूमने के लिए गया हुआ है।

रोहन मेरे चाचा जी का लड़का है और वह कॉलेज में पढ़ाई करता है चाचा जी और चाची जी मुझसे कहने लगे कि गगन बेटा हम लोग तो रोहन की आदतों से काफी परेशान हो चुके हैं वह बिना बताए ही अपने दोस्तों के साथ चले जाया करता है कभी तुम्हें मौका मिले तो तुम उसे जरूर समझाना। मैंने चाचा जी से कहा कि हां मैं जरूर इस बारे में गगन से बात करूंगा मुझे जब भी मौका मिलेगा तो मैं उसे जरूर समझा लूंगा।

मैं और चाचा जी साथ में बैठे हुए थे मैंने चाचा जी को कहा कि अब मैं चलता हूं मैं काफी देर तक चाचा जी और चाची के घर पर रुका, उन्होंने मुझसे कहा कि बेटा तुम थोड़ी देर बाद चले जाना परंतु मैंने उन्हें कहा कि मुझे जाना पड़ेगा इसलिए मैं उस दिन चला गया।

मैं जब उस दिन अपने घर वापस लौटा तो मैंने देखा कि मेरा दोस्त मोहन मेरा इंतजार कर रहा था मैंने मोहन से कहा तुम आज मुझे बिना बताए ही घर पर आ गए तो वह मुझे कहने लगा कि मैं अपने किसी जरूरी काम से इस तरफ आया हुआ था तो सोचा कि तुम से भी मिलता हुआ चलूँ।

मैंने मोहन से कहा कि चलो मैं अभी घर का दरवाजा खोलता हूं हम दोनों लिफ्ट से ऊपर आये और मैंने अपने फ्लैट का दरवाजा खोला फिर हम दोनों साथ में बैठे रहे मैंने काफी देर तक मोहन से बात की फिर मोहन भी चला गया था उसके अगले दिन से मैं अपने ऑफिस जाने लगा। अंकिता से मेरी बात और रोज हुआ करती थी

कुछ दिनों बाद अंकिता भी वापस लौट आई थी जब वह वापस लौट आई तो उस दिन अंकिता ने मुझे फोन कर के अपने घर पर बुलाया। हम दोनों उस दिन साथ में बैठे हुए थे हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मैंने अंकिता से पूछा कि क्या तुम्हारे घर में सब कुछ ठीक तो है? अंकिता ने कहा हां मेरे घर पर सब कुछ ठीक है अंकिता ने मुझे कहा मैं अभी तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूं अंकिता चाय बनाने के लिए चली गई।

जब वह चाय लेकर आई तो हम दोनों बिस्तर पर एक दूसरे के बिल्कुल बगल में बैठे हुए थे मैंने उसकी जांघ पर अपने हाथ को लगाया तो अंकिता ने भी मेरी तरफ देखा और ना जाने उस दिन क्यों हम दोनों के बदन से इतनी ज्यादा गर्मी निकालने लगी कि मैं भी उस दिन अपने आपको ना रोक सका और अंकिता की चूत के अंदर लंड डालने के लिए बेताब था। वह बहुत ज्यादा तड़प रही थी जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो उस उस दिन मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और उसने काफी देर तक लंड को हिलाया।

जब वह मेरे लंड को हिला रही थी तो मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अब मुंह के अंदर ले लो। उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर तक ले लिया था उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लिया उससे मेरे अंदर की गर्मी भी बढने लगी थी।

मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था मैंने अंकिता से कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है मैंने अंकिता के बदन को पूरी तरीके से महसूस करना शुरू कर दिया था। मै उसके स्तनों को दबा रहा था

जब मैं उसके स्तनों को दबाता तो उसके अंदर की गर्मी बढ़ जाती और मैं उसके स्तनों को जब अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करने लगा तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

मैंने उसे कहा तुम बहुत ही अच्छी हो अंकिता की चूत पर जब मैंने अपनी जीभ को लगाया तो वह मचलने लगी। उसकी चूत से लगातार पानी बाहर निकल रहा था मैंने उसकी चूत पर जब लंड को लगाया तो वह मुझे कहने लगी तुम अंदर लंड डालकर मेरी गर्मी को शांत कर दो।

मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया मैंने जब उसकी चूत के अंदर अपने लंड घुसाया तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। मैं उसके दोनों पैरों को खोल रहा था और अंकिता मुझसे अपनी चूत मरवा कर बहुत ज्यादा खुश थी।

अंकिता ने जिस प्रकार से अपनी चूत मरवाई मुझे बहुत ही अच्छा लगा और काफी देर तक हम दोनों ने एक दूसरे का साथ बड़े अच्छे से दिया लेकिन फिर मैंने अपने माल को अंकिता की चूत के अंदर ही गिरा दिया।

वह कहने लगी मैं तो काफी ज्यादा थक चुकी थी मैंने उसे घोड़ी बनाकर उसकी चूत के अंदर डालना शुरू किया धीरे-धीरे मैंने अंकिता की चूत के अंदर लंड घुसा दिया था। मेरा लंड अकिंता की चूत के अंदर तक जा चुका था

अब मैं उसे बड़ी ही तेज गति से धक्के देने लगा था। मेरा लंड उसकी  चूतडो से टकराता तो मुझे बहुत ही मजा आता मैं उसे बहुत देर तक ऐसे ही धक्के मारता रहा। मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ चुकी थी और अंकिता भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी।

वह अपनी चूतडो से मेरे लंड को मिलाए जा रही थी जिस वजह से उसकी चूत पूरी तरीके से गिली हो चुकी थी अब हम दोनों बिस्तर पर लेट चुके थे। उसकी बडी चूतडो को मैने अपने हाथो मै पकडा हुआ था उसको जब

मैं धक्के दे रहा था तो वह बड़ी जोर से चिल्ला रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है तुम ऐसे ही मुझे धक्के देते रहो। मैंने अंकिता को कहा आज तुम्हारी चूत मारने में मुझे जो मजा आ रहा है

वह एक अलग ही फीलिंग पैदा कर रहा है मेरा लंड तो पूरी तरीके से छिल चुका था लेकिन फिर भी मुझे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि मैंने कभी इस बात की कल्पना भी नहीं की थी कि मैं अंकिता की चूत इतने अच्छे से मार पाऊंगा।

अंकिता की चूत मारकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा और काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे का साथ देते रहे। जब अंकिता की चूत से पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा था तो वह मुझे कहने लगी

अब मैं तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊंगी अंकिता झड़ चुकी थी लेकिन मेरा माल अभी बाहर गिरना बाकी था। कुछ देर की चुदाई के बाद मैंने अपने माल को अंकिता की चूत में गिरा दिया और उसकी गर्मी को शांत कर दिया।

1 thought on “चूतडो को लाल कर दिया”

  1. Maharashtra me kisi girl, bhabhi, aunty, badi ourat ya kisi vidhava ko maze karni ho to connect my whatsapp number 7058516117 only ladies

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