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कॉलेज में अपने फेवरेट टीचर से सील तुडवाई

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मेरा नाम अंजली है और मैं कॉलेज की स्टूडेंट हूं

मेरी उम्र 20 वर्ष है और मैं सेकंड ईयर में हूं। हमारे कॉलेज में बहुत ज्यादा अनुशासन रखा जाता है

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क्योंकि हमारे कॉलेज में जितने भी प्रोफेसर हमें पढ़ाते हैं वह सब अनुशासन में रहना पसंद करते हैं और उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं है कि कोई भी अनुशासनहीनता हमारे कॉलेज में हो।

या किसी भी तरीके से हमारे कॉलेज का नाम बदनाम हो। क्योंकि हमारे कॉलेज का परसेंटेज भी हर साल अच्छा ही रहता है। जिसकी वजह से हमारे कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए बहुत ही मुश्किल होती है और बड़ी मुश्किलों से हमारे कॉलेज में एडमिशन मिलता है। कॉलेज में मेरे जितने भी दोस्त हैं वह सब पढ़ने में अच्छे हैं और सब पढ़ाई में ही लगे रहते हैं। मैं भी पढ़ने में ठीक-ठाक हूं लेकिन मैं अपनी पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं देती हूं।

मुझे चीजें प्रेक्टिकली करने में ज्यादा अच्छा लगता है। हमारे कॉलेज में कई तरह के प्रोग्राम और सेमिनार होते रहते हैं। जिसमें सब लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। मेरा भी बहुत अच्छा अनुभव है इन सब चीजों का। 

इसलिए कॉलेज के जितने भी प्रोफेसर हैं वह सब मुझे बहुत ही प्रोत्साहित करते रहते हैं, कि मैं इस कॉलेज में जितने भी सेमिनार होते हैं उन सब में हिस्सा लूं।

हमारे कॉलेज में एक प्रोफेसर हैं, उनका नाम सुनील है। वह काफी अच्छा पढ़ाते हैं और बहुत ही खुशमिजाज व्यक्ति हैं। वह जब भी हमारे क्लास में आते हैं तो सब लोग बड़े ही खुश हो जाते हैं और उनकी क्लास में बहुत अच्छे से पढ़ते हैं। क्योंकि उनके पढ़ाने का तरीका बहुत ही अच्छा लगता है और सब लोगों को आसानी से समझ में आ जाता है।

वह मुझे भी काफी अच्छा मानते हैं और हर बार कहते रहते हैं तुम बहुत अच्छे से पढ़ाई करते हो। मैं भी उनकी बात से बहुत खुश होती हूं। जब भी वह हमारे क्लास में आते हैं तो हमेशा मुस्कुराते रहते हैं। उनकी मुस्कुराहट से सब लोग बहुत प्रभावित होते हैं और वह हमारे पूरे कॉलेज में फेमस है।

उनकी क्लास कोई भी नहीं छोड़ता और सब बच्चे उनके बड़ी तारीफ करते हैं। वह सब की मदद भी करते हैं। उनकी पत्नी भी हमारे स्कूल में ही प्रोफेसर हैं लेकिन उनका स्वभाव थोड़ा गुस्सैल किस्म का है। वह लोगों से बहुत कम बात करती हैं और अपनी क्लास में ही ज्यादातर ध्यान देती हैं।

जब भी वह पढ़ाने जाते हैं तो सब बच्चे उनसे बहुत परेशान रहते हैं लेकिन वह भी कॉलेज में प्रोफेसर है। इस वजह से सारे बच्चों को उनकी क्लास पढ़नी पड़ती है और मजबूरी में उनकी क्लास सब लोग पढ़ते हैं।

कोई भी सर से इस बारे में बात नहीं कर सकता था लेकिन मैंने उनसे एक बार पूछ लिया की सर आपकी पत्नी का व्यवहार इतना गुस्से वाला क्यों है? वह मुस्कुराते हुए जवाब देने लगे की उनका व्यवहार वैसा ही है। तो मैं भी उसमें क्या कर सकता हूं।

मैं उनसे ज्यादा इस बारे में बात नहीं करता। वह भी मुझसे पूछने लगे क्या वह अच्छे से नहीं पढ़ाते हैं?  मैंने उन्हें बोला पढ़ाते तो अच्छे से हैं लेकिन काफी गुस्से में रहते हैं। जिस प्रकार से आप हमारी क्लास में आते हैं तो हमेशा खुश रहते हैं और आप काफी अच्छे से हमें पढ़ाते हैं। हम लोग आपसे बहुत ही ज्यादा प्रभावित हैं।

अब वह मुझसे कहने लगे कि यह तो सबका अपना-अपना नेचर है। कोई अच्छे से पढ़ाता है, तो कोई सिर्फ पढ़ाने के लिए पढ़ाता है। मुझे उनकी हर बात अच्छी लगती थी और मैं उनसे बहुत ज्यादा प्रभावित थी। इसीलिए मुझे जब भी कोई भी परेशानी होती तो मैं उनके पास चली जाती और वह मेरी समस्या का हल कर देते थे। 

ऐसी ही एक बार हमारे कॉलेज में बहुत बड़ा सेमिनार होने वाला था। जिसमें कि कई सारे कॉलेजों के बच्चे आने वाले थे और वहां पर एक डिबेट कंपटीशन होने वाला था।

इस बार हमें बहुत ही अच्छे से मेहनत करनी थी और उस समय हमारा कालेज कंपटीशन को जीतना ही चाहता था। तो सब लोगों ने मुझे ही कहा कि तुम भी उसके डिवेट में हिस्सा लोगे और उस कॉम्पिटिशन को जीतना  होगा। उस समय मैंने मेरे कई सारे प्रोफेसरों से हेल्प लेनी थी।

उसमें से एक हमारे प्रोफेसर सुनील भी थे। जिन्होंने मेरी बहुत हेल्प की और मुझे इस सिलसिले में उनके घर पर भी जाना पड़ता था और वह मेरी बहुत मदद किया करते थे।

मैं जब उनके घर पर एक दो बार गई तो मैंने दिखडा की उनकी पत्नी के साथ उनके बहुत झगड़े होते हैं। मुझे पहले यह बात पता नहीं थी लेकिन अब मुझे यह बात भी पता चल गई कि उनकी आपस में बिल्कुल भी बनती नहीं है। वह सिर्फ मुस्कुराते हैं लेकिन उनकी पत्नी उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं करती।

अब हमारे कॉलेज का डिबेट कंपटीशन नजदीक आने वाला था। जिसके लिए मैंने बहुत ज्यादा मेहनत की और वह कंपटीशन जब हुआ तो उसमें कई सारे बच्चे आए हुए थे। जो कि काफी अच्छे थे और मैने भी अच्छे से परफॉर्म किया।  उस साल डिबेट कंपटीशन में हमारा कॉलेज ही जीता।  सब लोगों ने मुझे बहुत बधाइयां दी।

सुनील सर भी मेरे पास आये और मुझे कहने लगे, तुमने बहुत अच्छा काम किया है। मैंने उन्हें भी थैंक्यू बोला और अगले दिन जब मैं कॉलेज आई थी तो मैंने उनसे पूछा, क्या आपकी अपनी पत्नी के साथ बनती नहीं है? वह कहने लगे कि तुम एक काम करना मुझ से अकेले में बात करना। अभी यहां पर उचित नहीं है।

जब मैं उनके ऑफिस में गई तो उन्होंने मुझे सारी बात बताई कि मेरी पत्नी से मेरी बनती नहीं है। बस जबरदस्ती शादी हो गई थी। यह शादी मेरे घर वालों ने करवा दी थी लेकिन अब मुझे भी अपने जीवन जीने के लिए अपनी पत्नी के साथ रहना पड़ता है। इस बात से वह काफी दुखी भी थे।

मुझे भी उनकी बात से बहुत ही बुरा लगा। मैं उनके लिए कुछ करना चाहती थी मैंने उनसे पूछा क्या आप अपनी पत्नी के साथ सेक्स संबंध भी नहीं बनाते हैं। वह कहने लगे नहीं संबंध तो मैं बना लेता हूं लेकिन वह मेरा साथ नहीं देती है बस ऐसे ही अपने वीर्य को उसके चूतड़ों पर गिराकर अपनी भड़ास को मिटाता हूं।

यह सुनते ही मैंने तुरंत उनके लंड को पकड़ लिया और उनकी पैंट से बाहर निकाल लिया मैं उसे अपने मुंह में लेकर बड़े अच्छे से सकिंग करने लगी। जिससे कि उनका मन बहुत ज्यादा उत्तेजित हो उठता और वह भी मेरा पूरा साथ देने लगे क्योंकि उनके अंदर की भड़ास भी मीटी नहीं थी।

उन्होंने अब मुझे उठाते हुए अपने सोफे पर पटक दिया और मेरे सारे कपड़ों को खोल दिया। जैसे ही उन्होंने मेरे कपड़ों को उतार तो वह मुझे कहने लगे तुम्हारा बदन तो एकदम मुलायम और बहुत ही गोरा है। यह कहते ही उन्होंने मेरे स्तनों को दबाना शुरु किया और अपने मुंह में लेकर अच्छे से चूसने लगे।

वह काफी देर तक मेरे स्तनों का रसपान करते रहे जिससे कि मेरे स्तन और ज्यादा सख्त और सुडौल हो गए। अब वह मेरे पूरे शरीर को अपनी जीभ से चाटने लगे। जैसे ही उन्होंने अपनी जीभ को मेरी चूत में लगाया तो मेरा पूरा शरीर अंदर से कांप उठा। वह इतने अच्छे से अपनी जीभ को मेरी चूत मे लगा रहे थे कि मेरा चूत एकदम से गीली हो गई।

अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था उन्होंने मेरे दोनों पैरों को खोलते हुए मेरी सील पैक चूत मे अपना मोटा लंड डाल दिया। उन्होंने एक ही झटके में मेरी चूत के अंदर डाल दिया जैसे ही उन्होंने मेरे चूत में डाला तो मैं बहुत तेज चिल्लाने लगी। वह मुझे बड़ी तीव्र गति से झटके मार रहे थे।

जिससे कि मेरा पूरा शरीर हिलता जा रहा था और ऐसे ही वह मुझे बड़ी तेज गति से चोदने लगे। यह मेरा पहला ही अनुभव था इसलिए मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

अब वह मेरे होठों को भी अपने होठों में लेकर चूसने लगे और अपने हाथों से मेरे स्तनों को दबाते जाते।

मैंने अपने दोनों पैरों को बहुत ज्यादा चौड़ा कर लिया जिससे कि उन्हें आसानी होती मुझे धक्के मारने में और वह ऐसे ही बड़ी तीव्र गति से झटके मारे जा रहे थे। मेरी चूत से इतनी ज्यादा गर्मी निकलने लगी कि मेरा शरीर पूरा तड़पने लगा और मुझे सर कहने लगे कि तुम्हारा शरीर पूरा लाल हो चुका है।

सर के लंड की गर्मी और मेरे चूत की गर्मी से यह सब हो रहा था। अब उनसे भी मेरे चूत की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने अपना माल मेरी योनि के अंदर ही डाल दिया। जैसे ही उन्होंने अपने माल को मेरी योनि के अंदर डाला तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा। उन्होंने अपने लंड को मेरी योनि से बाहर निकाला।

मैं उनके लंड को अपने मुंह में लेकर थोड़ी देर ऐसे ही चूसती रही। अब मैंने अपने कपड़े पहन लिए और हम दोनों काफी देर तक बैठकर बातें करते रहे। अब वो मुझे हमेशा ही चोदते रहते हैं।

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