लौड़ा मेरा प्यारा लौड़ा

5/5 - (1 vote)

मेरा नाम शिखा है और मैं दिल्ली की रहने वाली लड़की हूं। मेरी उम्र 23 वर्ष है और मैं एक बहुत ही खुश रहने वाली लड़की हूं लेकिन मैं ज्यादा किसी से बात नहीं करती और अपने आप में हीं खोए रहती हूं।

मुझे सिर्फ किताबें पढ़ने का शौक है और मैं पढ़ने की बहुत शौकीन हूं इसलिए मैं पढ़ाई में पहले से ही अच्छी थी और मेरे अच्छे नंबर हमेशा से आते रहे हैं। मेरे घर वाले भी मुझसे बहुत ही खुश रहते थे कि मैं पढ़ाई में बहुत ही अच्छी हूं।

मैं हर बार अपनी क्लास में टॉप करती थी। जिस वजह से मेरे घर वाले बहुत ही खुश रहते थे और उन्होंने मुझे एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन दिलवाया। मेरा जब ग्रेजुएशन कंप्लीट हो गया तो उसके बाद मैंने आगे की पढ़ाई दूसरे कॉलेज में करने की सोची और मैंने दूसरे कॉलेज में एडमिशन ले लिया।

वहां पर एडमिशन बहुत ही मुश्किल से मिलता था। वहां की मैरेड बहुत ही हाई जाती थी और जिसका भी उस कॉलेज में एडमिशन हो जाता वह एक अच्छी जगह पर ही नौकरी पाता था। इसलिए मैंने भी वहां पर अपना फॉर्म भर दिया और जब मैंने वहां एंट्रेंस दिया तो मैं उस एंट्रेंस में निकल गई।

मेरे पिताजी इस बात से बहुत खुश है और मेरी मां भी बहुत खुश थी। वो कहने लगे कि हमें तुम पर हमेशा से ही गर्व है हमने तुम्हें कभी भी एक लड़की की तरह नहीं समझा। क्योंकि मैं अपने माता-पिता की इकलौती लड़की हूं।

इस वजह से वह हम दोनों मुझे बहुत प्रेम करते हैं और हमेशा ही कहते रहते हैं कि हमने तुम्हें हमेशा ही बहुत प्रेम किया है। अब मैंने उस कॉलेज में एडमिशन ले लिया। जब मैं अब कॉलेज में पहले दिन गई तो वहां का माहौल बहुत ही अच्छा था। सब लोग बहुत ही शांति से अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रहे थे और क्लास भी रेगुलर चल रही थी। वहां पर कोई भी ऐसा नहीं था कि जो इधर-उधर फालतू घूम रहा हो। सब लोग कुछ ना कुछ काम कर ही रहे थे।

जब मैं अपनी क्लास में गई तो वहां पर हमारा इंट्रोडक्शन हुआ। सब लोग अपना इंट्रोडक्शन दे रहे थे। तो उनमें से एक लड़का मुझे बहुत ही अच्छा लगा उसका नाम राजवीर था। मैं सोच रही थी कि उससे मैं बात करूं लेकिन मेरा नेचर ऐसा नहीं था कि मैं उसे सीधा जाकर बात कर सकती और मैंने अपने दिमाग से यह ख्याल निकाल दिया।

मैं सिर्फ अपनी पढ़ाई में लगी हुई थी। धीरे-धीरे समय बीतता गया और मुझे कॉलेज में कुछ समय हो चुका था। मेरे कुछ दोस्त भी बनने लगे थे। अब मेरे कॉलेज में कुछ दोस्त बन चुके थे तो वह सब लोग बातें किया करते थे कि हमें तो उम्मीद भी नहीं थी कि हमारा एडमिशन इस कॉलेज में हो जाएगा।

यहां पर पढ़ाई बहुत ही अच्छे से होती है और सब लोग कितने अच्छे से पढ़ाई करते हैं। मैंने उन्हें बताया कि हां यहां पर पढ़ाई का माहौल बहुत ही अच्छा है इस वजह से मैंने भी यहीं का एंट्रेंस फॉर्म भरा था। एक दिन मैं अपने क्लास में बैठी हुई थी।

राजवीर मेरे बगल वाली सीट में बैठ गया और वह पढ़ाई करने लगा। जब वह पढ़ाई कर रहा था तो मुझे ना जाने अंदर से कुछ अलग ही तरह की फीलिंग आ रही थी और मैं उससे बात करना चाहते हुए भी नहीं कर पा रही थी

और कुछ देर बाद वह उठ कर वहां से चला गया लेकिन मैं उससे बात नहीं कर पाई। मैं सोच रही थी की उससे मैं बात कैसे शुरू करूं लेकिन मेरी बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थी। ऐसे ही काफी समय हो चुका था

लेकिन मेरी अभी राजवीर से बात नहीं हुई थी। एक दिन मैं लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रही थी तो राजवीर भी वहां अपने एक दोस्त के साथ बैठ कर पढ़ाई कर रहा था। वह मेरे सामने वाली सीट पर बैठा हुआ था। मैं उसे बार-बार देखे जा रही थी और वह मुझे देखने पर लगा हुआ था लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई और ना ही मेरी हिम्मत हुई।

तब मैंने वहां सेल्फ से एक बुक निकाली जो कि राजवीर को भी चाहिए थी। तो मैं वह बुक पढ़ने लगी।

कुछ देर बाद राजवीर मेरे पास आया और कहने लगा कि क्या तुम मुझे ये बुक दे सकती हो। मैंने उसे कहा कि अभी फिलहाल मैं पढ़ाई कर रही हूं जब मेरी कंप्लीट हो जाएगी तो मैं तुम्हें किताब दे दूंगी।

मैंने थोड़ी देर तक पढ़ी और उसके बाद राजवीर को दे दी। अब हम दोनों के बीच में थोड़ी बहुत बात शुरू हो चुकी थी और जब हम लाइब्रेरी से बाहर आए तो वह मुझसे पूछने लगा कि क्या तुम किताबें पढ़ने का शौक रखती हो।

मैंने उसे कहा कि मैं बचपन से ही बहुत शौकीन हूं किताबें पढ़ने की। वह कहने लगा कि मुझे भी बहुत शौक है किताबें पढ़ने का। अब वह मुझसे पूछने लगा कि तुम किस किस्म की किताबें पढ़ना पसंद करती हो।

मैंने उसे बताया कि मैं लिटरेचर की बुक पढ़ने की बहुत शौकीन हूं। अब हम दोनों की बातें काफी बढ़ने लगी और मैंने राजवीर से उसका नंबर भी ले लिया था।

हम लोगों की अब फोन पर भी बातें होने लगी और धीरे-धीरे हमारी नजदीकियां बढ़ती चली गई। राजवीर और मेरी बहुत बातें होती थी और हम लोग कॉलेज में भी जब फ्री होते तो आपस में डिस्कशन करने लग जाते है।

मेरी क्लास ऐसे ही चलती जा रही थी और एक दिन में अपनी क्लास में बैठी हुई थी तभी राजवीर आया और मेरे पास आकर बैठ गया। हम लोग बातें करने लगे तब वह कहने लगा कि चलो पार्क में चलते हैं।

हम दोनों कॉलेज के पार्क में चले गए और वहीं काफी देर तक बैठे रहे। जब राजवीर मुझसे चिपक कर बैठा हुआ था तो मेरे अंदर से गर्मी निकालने लगी और मुझसे वह गर्मी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रही थी और मैं पसीना-पसीना होने लगी।

राजवीर ने जैसे ही मुझ पर अपना हाथ लगाया तो मेरे अंदर से करंट निकल गया। वह भी समझ चुका था और वह मुझे पार्क के कोने में ले गया वहां पर एक पेड़ था उसके पीछे कुछ नहीं दिखाई देता है। उसने मेरे होठों को किस कर लिया और मै और ज्यादा पसीना पसीना होने लगी।

अब मैं इतनी ज्यादा पसीना हो चुकी थी कि मुझसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था और राजवीर ने मुझे वहीं नीचे लिटा दिया। उसने मेरे कपड़े जब खोले तो वह कहने लगा तुम्हारी चूत तो एकदम पिंक कलर की है।

उसने तुरंत ही अपने मोटे लंड को मेरी योनि के अंदर प्रवेश करवा दिया और जैसे ही उसका लंड मेरी योनि में गया तो मेरी बिल्डिंग शुरू हो गई और मेरी चूत से खून निकलने लगा।

मेरा इतना तेज खून निकल रहा था कि वह नीचे ही जमीन पर गिरने लगा और राजवीर ने मेरे दोनो जांघों को कसकर पकड़ रखा था और वह ऐसे ही बड़ी तेज गति से मुझे चोदे जा रहा था।

उसने अपनी गति इतनी तेज कर रखी थी कि मेरा पूरा शरीर हिल रहा था। वह मेरे होठों को अपने होठों में लेकर चूसने लगा और उसने मेरे होठों पर अपने दांत से काट दिया जिससे कि मेरे होठो से खून निकलने लगा। जब उसने मेरे स्तनों को अपने मुंह में लिया तो मै उत्तेजित हो गई।

मैं अपने मुंह से बड़ी तेज आवाज निकालने लगी जो कि उसके कान में जाती और वह मुझे इतनी तेज तेज झटके मारता कि मेरे शरीर का हर हिस्सा हिलने लग जाता।

अब उसका वीर्य पतन हो गया और मुझे बहुत मजा आया लेकिन उसका मन नहीं भरा।

उसने मुझे पेड़ के सहारे खड़ा कर दिया और मेरी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया और वह मुझे ऐसे ही चोदने लगा। उसने मेरे चूतड़ों को अपने हाथ से पकड़ा हुआ था

और बड़ी तेजी से मेरी चूतडो पर अपने लंड से प्रहार कर रहा था। वह इतनी तेजी से मेरी चूतडो पर प्रहार कर रहा था कि मुझे अंदर से बहुत मजा आ रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरी चूतड़ों पर बहुत तेज तेज अपने हाथों से मार रहा हो। वह वैसे ही मेरी चूत मे अपने लंड को डाले हुए था और ऐसे ही आगे पीछे करे जा रहा था।

मेरी बिल्डिंग अब भी हो रही थी और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। वह मेरे यौवन का बहुत ही अच्छे से रसपान कर रहा था। वह मेरे स्तनों को भी दबा रहा था और ऐसे ही मुझे चोदने पर लगा हुआ था।

मेरा शरीर पूरा गरम हो चुका था। मैं और ज्यादा पसीना पसीना होने लगी और राजवीर ने थोड़ी देर बाद अपने वीर्य को मरे चूतडो के ऊपर गिरा दिया। जैसे ही उसने मेरे चूतड़ों पर गिराया तो मुझे उसके वीर्य बहुत गर्म महसूस हुआ।

Leave a comment