सहेली के पति के साथ रंगरलिया की कहानी

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मैं काफी दिनों से घर से बाहर नहीं गई थी

मैंने सोचा कि चलो आज अपनी सहेली के घर चली जाऊं, मैं अपनी सहेली के घर चली जाती हूं मेरी सहेली का नाम नीता है। मैं जब अपनी सहेली नीता के घर जाती हूं तो वह खुश हो जाती है

और मुझे कहती है कि तुम काफी समय बाद आज मेरे घर कैसे आ गई, मैंने नीता से कहा कि तुम्हें तो पता ही है

घर में कितने काम होते हैं और बच्चे घर में परेशान कर देते हैं उन्हें छोड़कर कहीं जाया ही नहीं जाता लेकिन आजकल बच्चे भी मेरे मम्मी पापा के घर गए हुए हैं

इसलिए घर में शांति है और इसी वजह से मैं तुमसे मिलने आ पाई, नीता मुझे कहने लगी हां सोनिया बिल्कुल सही कह रही हो बच्चे वाकई में बहुत परेशान कर देते हैं

अभी मेरे बच्चे खेलने गए हुए हैं जब वह घर लौटेंगे तो वह भी पूरे घर को सर पर उठा लेंगे और वह इतना ज्यादा परेशान करते हैं कि उन्हें कई बार तो समझाती हूं

लेकिन जब वह नहीं समझते तो मुझे मजबूरी में उन पर हाथ उठाना पड़ता है तब जाकर वह लोग शांत होते हैं।

मैंने नीता से कहा आजकल के बच्चे बड़े ही बदमाश हैं और वह लोग बिल्कुल भी किसी की बात नहीं सुनते, नीता मुझे कहने लगी जब हम लोग स्कूल में पढ़ा करते थे तब सब कुछ कितना अच्छा होता था

हम लोग घर में बड़ा एंजॉय करते थे लेकिन कभी भी हम इतना ज्यादा मां बाप को परेशान नहीं किया करते थे लेकिन आजकल के बच्चे तो वाकई में बहुत ज्यादा बदमाश और शैतान है।

नीता और मैं अपने पुराने दिन याद करने लगे नीता और मैं स्कूल में साथ पढ़ा करते थे नीता मेरे परिवार को अच्छे से पहचानती है

क्योंकि वह मेरे घर पर हमेशा आती रहती थी वह मेरे स्कूल की सबसे अच्छी सहेली है और अब तक हम दोनों एक दूसरे के संपर्क में हैं हम दोनों की शादी एक ही वर्ष में हुई थी मेरे और नीता के बच्चों की उम्र भी लगभग एक ही है।

मैंने नीता से पूछा तुम्हारे पति कैसे हैं? नीता कहने लगी बस क्या बताऊं उन्हें तो अपने काम से ही फुर्सत नहीं है वह कहां अब मुझे समय देते हैं जब हम लोगों की शादी हुई थी उस वक्त तो वह बड़े ही प्यार से मुझसे बात किया करते थे

लेकिन अब तो वह पूरी तरीके से बदल चुके हैं और अब उनके पास बिल्कुल भी समय नहीं होता वह बहुत ज्यादा बिजी रहते हैं, मैं नीता से कहने लगी सबके घर के यही हाल हैं मेरे पति को भी हमारी परवाह नहीं रहती।

मैं और नीता एक दूसरे से बात कर रहे थे तभी नीता के फोन पर कॉल आया और उसने पहले तो फोन कट कर दिया लेकिन जब बार-बार उसके फोन की घंटी बजती रही तो उसने फोन उठा लिया और जैसे ही नीता ने फोन उठाया तो वह फोन पर किसी से बड़े ही चिल्ला कर बात कर रही थी मैंने नीता से पूछा तुम किस से बात कर रही थी

तो नीता ने मुझे कुछ भी नहीं बताया वह कहने लगी बस ऐसे ही लेकिन मुझे कुछ ठीक नहीं लगा मुझे लगा कि शायद नीता के दिल में कुछ चल रहा है जो कि वह किसी को बताना नहीं चाहती परंतु मैंने नीता को दोबारा से इसी बारे में

पूछा पर उसने मुझे कुछ भी नहीं बताया जब दोबारा से नीता के फोन पर फोन आया तो वह अपने रूम में चली गई और फोन पर बात करने लगी मुझे लगा कि नीता थोड़ी देर में आ जाएगी लेकिन उसे आधा घंटा हो चुका था

और वह आधे घंटे से अपने फोन पर बात कर रही थी मुझे यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और जब मैं नीता के बेडरूम में गई तो वह अपने बिस्तर में लेटी हुई थी और फोन पर बात कर रही थी मैंने नीता को देखा तो वह बड़े ही मुस्कुरा कर बात कर रही थी मुझे लगा कि शायद वह अपने पति से बात कर रही है

लेकिन जब उसने फोन पर कहा कि यार विराज तुम तो कमाल के हो तब मुझे एहसास हुआ कि यह तो किसी और से ही बात कर रही है क्योंकि नीता के पति का नाम तो अखिल है और नीता ना जाने कितनी देर से बात कर रही है

जब नीता ने फोन रखा तो वह मेरे पास आई और कहने लगी कि सॉरी सोनिया मेरा फोन आ गया था इसलिए मैं तुमसे बात नहीं कर सकी, मैंने नीता से पूछा तुम्हारे और तुम्हारे पति के बीच में क्या रिलेशन ठीक नहीं चल रहा है? नीता मुझे कहने लगी नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं है हम दोनों के बीच सब कुछ ठीक है।

मैंने नीता को समझाया और कहा देखो नीता तुम जो कर रही हो वह बिल्कुल गलत है यह बिल्कुल ही मर्यादाओं के खिलाफ है तुम पता नहीं किसी व्यक्ति से बात कर रही थी अगर तुम्हारे और तुम्हारे पति अखिल के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा तो तुम्हें एक दूसरे से बात करनी चाहिए, नीता मुझे कहने लगी लिखो सोनिया

अब तुम्हें सब कुछ पता चल ही चुका है तो मैं तुम्हें बताती हूं नीता मुझे कहने लगी अखिल के पास मेरे लिए बिल्कुल भी समय नहीं होता है और मैं इसलिए विराज से फोन पर बात कर रही हूं, मैंने निता से पूछा यह विराज कौन है

नीता मुझे कहने लगी विराज मेरे भैया का दोस्त है, मैंने नीता से कहा देखो नीता यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है और तुम्हारी शादी को कितने वर्ष हो चुके हैं और यदि उसके बाद तुम ऐसे किसी भी गैरों से बात करोगी तो यह

तुम दोनों के रिश्ते में खटास पैदा कर देगा यह तुम्हारे और अखिल के रिश्ते में दूरियां बढ़ा देगा लेकिन नीता को तो इससे कुछ भी फर्क नहीं पड़ रहा था

वह मुझे कहने लगी सोनिया तुम्हें तुम्हारे पति बहुत प्यार करते हैं जब तुम्हें पता चलेगा कि वह तुम से प्रेम नहीं करते तो तुम्हें भी कितना बुरा लगेगा।

मुझे लगा कि मुझे नीता को इस बारे में कुछ भी नहीं बोलना चाहिए क्योंकि यह उसका निजी मामला था और मैंने नीता को कुछ भी नहीं कहा मैं वहां से अपने घर चली गई लेकिन मुझे अखिल की भी बहुत चिंता होने लगी क्योंकि अखिल अच्छे व्यक्ति हैं और यदि नीता उनके साथ ऐसा करेगी तो अखिल को बहुत बुरा लगेगा

इसलिए मैंने इस बारे में अखिल से बात करना ही उचित समझा, वैसे तो मैं उन दोनों के बीच में नहीं पड़ना चाहती थी लेकिन जिस प्रकार से नीता और अखिल के बीच रिश्ते को लेकर खटास पैदा हो गई थी

मैं उन दोनों के रिश्ते को सुधारना चाहती थी इसलिए मैंने इस बारे में अखिल से बात की, जब मैंने इस बारे में अखिल से बात की तो अखिल मुझे कहने लगा सोनिया मैं तुम्हें क्या बताऊं बस अब नीता और मेरे बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा,

मैंने आखिल से कहा देखो अखिल नीता को तुम्हारे प्यार का एहसास नहीं है तो तुम्हें उसे यह एहसास दिलाना पड़ेगा लेकिन तुम दोनों को एक दूसरे से बात करनी ही पड़ेगी बिना बात किये हुए शायद तुम दोनों एक दूसरे के नजदीक कभी नहीं आ पाओगे। इस बात से शायद अखिल को भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि अखिल को भी मालूम था

कि नीता उससे दूर जा चुकी थी। मैं उन दोनों के रिश्ते को इस प्रकार से टूटता हुआ नहीं देख सकती थी इसलिए मैंने एक दिन उन दोनों से इस बारे में बात की उन दोनों ने ही मुझे कहा कि सोनिया तुम हम दोनों की चिंता ना करो अब हम दोनों ही एक दूसरे से बिल्कुल भी प्यार नहीं करते

लेकिन मुझे क्या पता था कि एक दिन मेरा भी झगड़ा मेरे पति से हो जाएगा और उनकी असलियत से मुझे बहुत सदमा पहुंचेगा। मेरा साथ भी शायद उस वक्त कोई देने वाला नहीं था मुझे अखिल का फोन आ गया और उस दिन मैने अखिल से बात की अखिल से बात करके मुझे बहुत हल्का महसूस हुआ।

उसके बाद तो मैं अखिल से ही बात करने लगी मैं जब भी अखिल से बात करती तो मुझे ऐसा लगता शायद वह मुझे बहुत अच्छी तरीके से समझता है। मेरे पति और मेरे बीच में भी झगडे होने शुरू हो चुके थे और हम दोनों के बीच दूरियां आ चुकी थी परंतु उस वक्त अखिल ने मेरा बहुत साथ दिया।

नीता और अखिल के बीच तो पहले से ही कोई संबंध था ही नहीं मैंने एक दिन अखिल से मिलने की सोची उस दिन शायद नीता कहीं बाहर गई हुई थी।

मैं जब अखिल से मिली तो अखिल मुझे कहने लगा सोनिया तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारे साथ हूं।

अखिल का साथ पाकर में खुश थी क्योंकि मुझे भी किसी का तो साथ चाहिए ही था तब मुझे पता चला कि नीता शायद अपनी जगह बिल्कुल सही है क्योंकि नीता और अखिल के बीच तो कभी प्यार था ही नहीं परंतु आखिल

मेरा बहुत ध्यान रखता और उस दिन जब मैं अखिल से मिलने गई थी तो अखिल ने मुझे अपने पास बैठा लिया और मेरे हाथ को पकड़ने लगा।

मैंने कभी किसी अन्य पुरुष के साथ मैं ऐसा नहीं किया था लेकिन उस दिन मेरा मन मचलने लगा और मैंने निखिल के होठों को किस कर लिया। जब मैंने अखिल के होठों को चूमना शुरू किया तो उसे भी मजा आता। मैंने उसके सामने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसके सामने नग्न अवस्था में खड़ी हो गई।

वह मेरे बदन को देखकर अपने आपको ना रोक सका उसने भी अपने लंड को बाहर निकाल लिया मैंने उसके लंड को अपने हाथ में लेते हुए हिलाना शुरू किया और उसके लंड को मैं सकिंग करने लगी।

उसके लंड को अपने मुंह में लेने में मुझे बड़ा मजा आया और उसे भी आनंद आने लगा। जब उसने मेरी योनि में अपने लिंग को प्रवेश करवा दिया तो मुझे और भी ज्यादा मजा आया क्योंकि अखिल का लंड बहुत ज्यादा मोटा था और वह मुझे तेजी से धक्के मारता जाता।

उसके धक्के से मैं भी पूरी तरीके से उत्तेजित हो जाती और उसका पूरा साथ देती अखिल के साथ सेक्स करने में मुझे जो मजा आया वह मुझे अपने पति के साथ कभी भी नहीं आया था। उसके बाद अखिल और मैंने अपने रिश्ते को पूरी दुनिया से छुपा कर रखा लेकिन अखिल मेरे हर एक सपनों को पूरा करता।

नीता को अखिल से कोई लेना देना नहीं था इसलिए उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता था अखिल और मैं जब एक दूसरे से मिलते तो हम दोनों को बहुत अच्छा लगता।

1 thought on “सहेली के पति के साथ रंगरलिया की कहानी”

  1. Maharashtra me kisi girl, bhabhi, aunty, badi ourat ya kisi vidhava ko maze karni ho to connect my whatsapp number 7058516117 only ladies

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