भाभी से प्यार की शुरुवात

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bhabhi or meri hindi sex story : हैल्लो फ्रेंड्स.. मेरा नाम निखिल है और मेरी उम्र 28 साल है। में मुंबई का रहने वाला हूँ और में कामुकता डॉट कॉम का बहुत शौकीन हूँ और मुझे यहाँ पर कहानियाँ पढने में बहुत आनन्द आता हैं।

आज में आप सभी के सामने मेरी जिंदगी की पहली सुखद घटना का विश्लेषण करने जा रहा हूँ।

यह कहानी जब में 22 साल का था तब की है और यह मेरी पहली कहानी है जो में लिख रहा हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि यह आप सभी को बहुत पसंद आएगी।

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अब में कुछ अपने बारे में बता दूँ.. में पेशे से कलाकार हूँ.. लेकिन काम भी करता हूँ और में दिखने में बहुत नहीं लेकिन आप सभी थोड़ा स्मार्ट कह सकते है और मेरा लंड बहुत ही तगड़ा और जवान है।

दोस्तों वैसे तो मेरे लाईफ में बहुत सी घटना घटी हुई है और उसमे से एक आपके सामने पेश कर रहा हूँ।

में अब कहानी की शुरुवात करता हूँ.. यह कहानी मेरी भाभी जो कि मेरे आंटी के लड़के की वाईफ है उनकी है। भाभी का नाम मोनिका है और वो दिखने में सावलीं सुंदर तनी हुई छाती, उभरते हुए गाल, गदराया हुआ बदन, नशीली आँखें, कोई भी उनमे खो जाए और उसके लम्बे बाल गांड के नीचे लटकते रहते है।

मेरी आंटी मुंबई में रहती है और फिर भी वो हमारे पास रहती थी और हमारा घर उनके बहुत करीब था सिर्फ एक रास्ते का फासला था। फिर एक दिन मेरा भाई मुंबई से बाहर नौकरी करता था.. वो कुछ नये काम से मुंबई आया हुआ था और भाभी भी उसके साथ आई थी।

वो लोग कभी कभी मुंबई आया करते थे और फिर भाभी से मेरी मुलाकात हुई तो हमने बहुत बातें हंसी मजाक किए और फिर अचानक से मैंने उसके हाथ छुए और मुझे कुछ अलग महसूस हुआ.. इतने कोमल हाथ जैसे मखमल हो। उसे देखकर मेरा जोर जोर से दिल धड़क रहा था और में उसकी कातिल नजरों से घायल हो गया था।

तो उसके बाद में हमेशा उनके घर जाया करता था कुछ काम से भी और मुलाकात के लिए भी। भैया, भाभी बहुत ज़्यादा लड़ाई करते क्योंकि नया काम होने के कारण भैया को हमेशा देर हो जाता थी। तो भाभी हमेशा हमारे घर पर आया करती थी। हमारी बातचीत और मस्ती बहुत ज्यादा बढ़ गई थी।

फिर एक दिन भैया को ऑफिस में कुछ ज्यादा काम था और वो रात को थोड़ा लेट आने वाले थे। तभी भाभी हमारे घर पर सो गई और हमारा घर छोटा होने के कारण हम एक दूसरे से नज़दीक सोते थे। फिर रात हो गयी थी और मुझे नींद आने लगी और में हमेशा की तरह अपना बिस्तर लगाकर सो गया और मुझे जल्दी ही गहरी नींद आ गई।

फिर राटी को नींद खुली तो घर में अंधेरा था क्योंकि हम लोग सोते समय हमेशा लाईट बंद किया करते थे। तो मैंने तकिए के नीचे से मोबाईल उठाया और टॉर्च चालू किया तो देखा सब लोग सोए हुए थे और सभी के बीच में भाभी सोई हुई थी और उसकी छाती (बूब्स) पूरे दिख रहे थे

और उसे देखकर दिल जोर जोर से धड़कने लगा और फिर में से सो गया.. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और अचानक भाभी का हाथ मेरे मुहं पर गिर पड़ा और मेरे होंठो से छू रहा था और फिर में भी मौका देखकर उसे चूमने लगा और चूमते चूमते उनकी उँगलियाँ चूसने लगा.. लेकिन भाभी की तरफ से कोई हलचल नहीं हुई।

अब मुझे और जोश आया और फिर थोड़ी देर बाद मेरे हाथ उसके बूब्स को छूने को मजबूर हो रह थे.. लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था और बहुत वक़्त रुकने के बावजूद भी मेरे हाथ उसके बूब्स छूते रहे।

तभी भाभी ने हाथ खींच लिया और मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने झट से हाथ छुड़ा लिया और बिस्तर में घुसा लिया में बहुत डर गया था और मेरा पूरा शरीर ठंडा हो गया था।

फिर सुबह हो गयी और में हमेशा से ज़्यादा समय तक सोता हूँ और फिर में उठा तो सब काम कर रहे थे और मैंने देखा तो भाभी घर पर नहीं थी और में बहुत डरा हुआ था। फिर में नहा धोकर काम पर चला गया और जब शाम को वापस घर पर आया तो भाभी घर पर थी और उसने मुझे गुस्से से देखा और मेरे पास आकर कहा कि सोते समय हाथ अपने काबू में रखा करो।

में और डर गया और वो वहाँ से चली गयी। फिर मैंने उनके घर जाना, उनसे बातें करना, उनको देखना बंद कर दिया और बहुत दिन ऐसे ही चलता रहा। फिर एक दिन मेरी आंटी ने कहा कि तुझे भाभी ने बुलाया जा देख क्यों बुलाए है? और में थोड़ी देर में चला गया.. लेकिन मेरी उनके सामने जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी.. लेकिन फिर भी गया और उन्हें आवाज़ दी।

तो भाभी ने अंदर बुलाया और मुझे बैठने को कहा और मुझे चिकन तन्दूरी के लेग पीस खाने को दिया। तो मैंने भी ज़्यादा बात ना करते हुए खाना शुरू किया और अचानक भाभी ने मुझसे पूछा कि तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या? में तो उसे देखते ही रह या और कभी मैंने सोचा भी नहीं था कि भाभी ऐसी बात करेगी और फिर मैंने कहा कि नहीं।

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तो वो कहने लगी कि क्यों मुझसे झूठ बोल रहे हो? फिर मैंने कहा कि नहीं मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। तो भाभी बोली कि इतना स्मार्ट होकर कोई गर्लफ्रेंड नहीं यह कैसा हो गया? फिर मैंने कहा कि में समझा नहीं? तो भाभी ने कहा कि तू जल्दी ही समझ जाएगा। फिर में थोड़ी देर बाद वहाँ से चला आया।

तभी एक दिन घर के सभी लोग एक रिश्तेदार के घर पर शादी में गये हुए थे और घर पर कोई नहीं था.. सिर्फ में अकेला था। तो भाभी घर पर सोने आई और थोड़ी देर के बाद भैया का फोन आया कि मुझे आज काम में थोड़ी देर हो जाएगी और सुबह भी हो सकती तू भाभी का ख्याल रखना।

फिर मैंने कहा कि ठीक है। फिर आंटी ने कहा कि भाभी को कहना कि इधर ही सोने आ जाए और उस रात भाभी हमारे घर सोने आई। हम लोगों ने खाना खाने के बाद सोने के लिए बिस्तर लगा दिए.. आंटी ऊपर खाट पर सो गयी और में और भाभी नीचे सोए हुए थे और हम दोनों में 3 फिट की दूरी थी और सब लोग सो गये। फिर रात के करीब 1 बजे भैया का दोबारा फोन आया और उन्होंने कहा कि में आज नहीं आ सकता। तो मैंने कहा कि ठीक है और मैंने भाभी को उठाकर कहा कि भैया सुबह तक आएगें। तो भाभी के चहरे पर एक नशीली मुस्कराहट और उन्होंने पलके झुकाकर कहा कि ठीक है।

तभी में सो गया और थोड़े टाईम के बाद मैंने देखा कि भाभी मेरे बहुत करीब आई हुई थी लगता है नींद में सोते हुए आई होगी.. लेकिन मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था और मैंने भी अपना मुहं भाभी के सामने कर दिया.. लेकिन दिल में घबराहट हो रही थी कि कुछ ग़लत नहीं हो ज़ाये और में बहुत कंट्रोल कर रहा था.. लेकिन मेरा लंड अंडरवियर के एक कोने से बाहर आ रहा था और में भाभी के पास खींचा चला जा रहा था। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे हैं।

आँखें खुली की खुली थी, साँसे तेज हो रही थी, मैंने उसके हाथों को छूते छूते उसे चूमना शुरू किया और उसकी रसीली उँगलियों को चूसता रहा और फिर भाभी की कोई आहट नहीं हुई तो में बहुत करीब चला गया और एक हाथ भाभी की कमर और एक हाथ बूब्स पर रख दिया और फिर भी कोई हलचल नहीं हुई।

फिर में बूब्स को धीरे धीरे छूने और दबाने की कोशिश करता रहा और कुछ देर बाद भाभी के मुहं से नशीली आवाज़ आ रही थी और अब महसूस हुआ कि आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई है और में गरम हो रहा था और ज़ोर ज़ोर से बूब्स दबाने लगा। भाभी मुझसे पूरी चिपक गयी और बूब्स दबा रही थी।

तभी में समझ गया कि भाभी का पूरा पूरा साथ है तो मैंने उसका ब्लाउज जोर से खींचा और हुक टूट गये और में ब्रा के अंदर हाथ घुसाए जा रहा था कि.. तभी भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और दबाने लगी में तो पागल हो रहा तो मैंने आगे पीछे कुछ नहीं देखा और सीधा उस पर सो गया। उसे चूमता रहा ब्रा ऊपर उठाकर बूब्स अपने मुहं में लेने लगा। प्यार से जीभ से सहलाने लगा.. भाभी भी तो पूरी पागल हो रही थी।

फिर मैंने पूरा बूब्स अपने मुहं में लिया और चूसने लगा तो उसने जल्दी से मेरे होंठ पर होंठ रख दिए और चूसने लगी और पूरा मुहं का पानी छोड़ रही थी में भी पूरा मज़ा ले रहा था।

तो 10 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठो से होंठ चूसते रहे। फिर होंठो से होंठ, छाती से छाती, लंड से चूत का मिलन हो रहा था और मेरे हाथ उसके बूब्स पर और उसके हाथ मेरा लंड पकड़े जा रहे थे। तभी मैंने जल्दी से उसे लेटा दिया और एक हाथ से उसकी पेंटी को ऊपर किया और चूत को सहलाने लगा।

पेंटी पूरी गीली हो गई थी और फिर पेंटी को और नीचे किया और लंड चूत पर रखकर एक जोर का धक्का दिया। लंड चूत को चीरता हुआ गहराइयों में चला गया और वो जोर जोर से चीखने चिल्लाने लगी और कहने लगी कि प्लीज धीरे धीरे करो मुझे बहुत दर्द हो रहा है। फिर मैंने उसका मुहं अपने एक हाथ से बंद किया और थोड़ा रुका।

फिर धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा.. भाभी को अब थोड़ा आराम था और वो भी चुदाई के मजे ले रही थी। धीरे से उंगली उसकी चूत में डाली पूरा पानी हाथ पर आ गया।

लगता था कि शायद उसने पानी छोड़ दिया था और वो झड़ गई। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और चूत को रगड़ने लगा। भाभी मुझे जोर से नाख़ून मारने लगी.. लेकिन चुदाई के नशे में हम दोनों खो गए और दर्द समझ ही नहीं आ रहा था।

फिर मैंने लंड गांड पर रखकर एक जोर का धक्का दिया तो मुझे थोड़ा दर्द हुआ क्योंकि उसकी गांड से ज्यादा बड़ा मेरा लंड था और दूसरे धक्के में आधा लंड गांड में घुस गया और वो मुझे काटने लगी।

उसके इशारे समझकर मैंने पूरा लंड उसकी गांड में घुसा दिया और उसके मुहं से धीरे से चीख निकली बैचारी चिल्लाएगी भी कैसे ऊपर खाट पर उसकी सास जो सो रही थी.. मैंने फिर से जोर जोर से धक्के देने शुरू कर दिए उसकी आँखों से पानी बह रहा था.. लेकिन मुझ पर तो चोदने का जोश चड़ा था।

मैंने चोदने की स्पीड बड़ा दी और वो धीरे धीरे कहने लगी प्लीज धीरे करो मेरी गांड गई काम से.. मेरी गांड फटने वाली है। फिर 15 मिनट बाद में भी झड़ गया और उसकी गांड में पूरा वीर्य छोड़ दिया।

दोस्तों जीवन के सभी सुख एक जगह पर और औरत कि चुदाई का सुख एक जगह पर। फिर हम 5 मिनट एक दूसरे पर सोए रहे और फिर थोड़ी देर बाद भाभी उठकर बाथरूम में चली गयी। दोस्तों उस रात भाभी से प्यार की शुरुवात हो चुकी थी जो कि आज तक भी जारी है ।।

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