चूतडो से अंडकोष टकराने लगे

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मेरा कॉलेज का पहला ही दिन था इसलिए पापा मुझे छोड़ने के लिए कॉलेज आए थे। जब पापा मुझे छोड़ कर चले गए तो मैं कॉलेज के अंदर गई और कॉलेज के अंदर जाते ही मुझे कॉलेज का कैंपस बहुत ही अच्छा लगा वहां पर काफी लोग बैठे हुए थे और मैं अपनी क्लास पूछते हुए अपनी क्लास तक पहुंची।

पहले दिन मैंने अपनी क्लास अटेंड की पहले दिन जब मैं हर्षिता से मिली तो हर्षिता से मेरी बातचीत अच्छी होने लगी और अब हम दोनों की बातचीत काफी अच्छी होने लगी थी। सब लोग एक दूसरे को जानने लगे थे

लेकिन जब हमारी क्लास में निखिल आया तो निखिल की तरफ ना चाहते हुए भी मैं खींची चली गई और मेरे दिल की धड़कन निखिल के लिए बढ़ने लगी थी। निखिल बहुत ही कम बात किया करता था

वह काफी ज्यादा शर्मिले नेचर का था इसीलिए मैं निखिल से ज्यादा बात नहीं करती थी। अब हम लोग कॉलेज के सेकंड ईयर में आ चुके थे और हम लोगों की अब बातें होने लगी थी निखिल हम लोगों का अच्छा दोस्त बन चुका था।

निखिल ज्यादातर मेरे साथ और हर्षिता के साथ ही रहा करता था लेकिन शायद उसके दिल में मेरे लिए कभी प्यार था ही नहीं और इसी वजह से कभी भी मैं निखिल को प्रपोज नहीं कर पाई।

जब हम लोगों का ग्रेजुएशन पूरा हो गया उसके बाद निखिल से मेरी मुलाकात भी नहीं हुई लेकिन जब एक दिन मुझे पता चला कि निखिल और हर्षिता का रिलेशन चल रहा है तो इस बात से मुझे बहुत ही गुस्सा आया।

हर्षिता मेरी बहुत अच्छी दोस्त है और उसको यह बात भी पता थी कि मैं निखिल को पसंद करती हूं लेकिन उसके बावजूद भी उसने मुझे धोखा दिया जो कि मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था।

मैंने उस दिन के बाद कभी हर्षिता से बात नहीं की और निखिल भी मेरी जिंदगी से दूर जा चुका था। मेरे ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद मैं कुछ समय के लिए अपने मामा जी के पास इंग्लैंड चली गई

जब मैं इंग्लैंड से वापस लौटी तो मैं अपने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी इंग्लैंड से पूरी कर चुकी थी और अब मैं बेंगलुरु में ही पापा मम्मी के साथ रहना चाहती थी।

मैं ज्यादातर समय घर पर ही रहती थी और आस पड़ोस में मैं ज्यादा किसी से बात नहीं किया करती थी इसलिए मैं किसी से मिलने भी नहीं जाती थी। एक दिन मुझे हर्षिता का फोन आया और उसने मुझे कहा कि राधिका मुझे तुमसे मिलना है मैंने हर्षिता से कहा कि मैं तुमसे मिलना नहीं चाहती लेकिन हर्षिता की जिद के आगे मेरी एक ना चली और मुझे उससे मिलने जाना पड़ा। मैं जब हर्षिता को मिलने के लिए गई तो उसने मुझे देखते ही मुझसे माफी मांगी और कहने लगी की राधिका मुझे माफ कर दो मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।

जब उसने मुझे बताया कि उसके और निखिल के बीच रिलेशन कैसे शुरू हुआ तो मैंने उसे कहा देखो हर्षिता अब यह बात काफी पुरानी हो चुकी है इस बात को भूलना ही बेहतर होगा और हम लोग इस बात को भूलकर आगे बढ़ जाए तो ज्यादा ठीक होगा। मैंने हर्षिता को कहा हर्षिता मैं अब यह सब बातें भूल चुकी हूं और मैं अपनी जिंदगी में खुश हूं। उस दिन मैं हर्षिता के साथ काफी देर तक रही और उसके बाद मैं वापस अपने घर लौट आई थी।

जब मैं अपने घर लौटी तो उस दिन मेरा मूड बिल्कुल भी अच्छा नहीं था इसलिए मैं अपने रूम में ही बैठी हुई थी। मैं सोच रही थी की हर्षिता ने मेरे साथ गलत किया और मुझे इस बात का बहुत ही बुरा लगा लेकिन उसे भी काफी बुरा लगा था और उसने मुझसे माफी मांग ली थी पर मैं उसे दिल से कभी माफ नहीं कर पाई और ना ही कभी मैं

उसे माफ करना चाहती थी। एक दिन पापा और मम्मी के कहने पर मैं उनके साथ उनके एक दोस्त के घर पार्टी में गई जब हम लोग उनके घर पार्टी में गए तो उनका घर काफी बड़ा था

उनके लॉन में ही उन्होंने पार्टी का अरेंजमेंट किया था और उसी पार्टी के दौरान मैं अपने आपको काफी अकेला महसूस कर रही थी तभी मुझे वहां पर रजत मिला। जब मैं रजत से मिली तो रजत को देखते ही मुझे ऐसा लगा कि मैं जिस लड़के को ढूंढ रही थी शायद यह वही है।

पहली नजर में ही रजत को अपने दिल की बात कहना बहुत ही मुश्किल था रजत के साथ मैंने काफी अच्छा समय बिताया और उसके बाद हम लोग घर लौट आए थे। मेरी काफी समय तक रजत से कोई बात नहीं हुई

क्योंकि मेरे पास उसका कोई नंबर नहीं था और ना ही मैं उसे अच्छे से जानती थी। एक दिन रजत हमारे घर पर आया और जब वह हमारे घर पर आया तो उस दिन पापा ने मुझे यह बात बताई कि वह उनके दोस्त का बेटा है।

अब रजत और मेरी अच्छी बातचीत होने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे थे। मैं जब भी रजत के साथ होती तो मुझे काफी अच्छा लगता और उसके साथ समय बिता कर मुझे ऐसा लगता

जैसे कि मैं सिर्फ रजत के साथ ही रहूं। मैं बहुत खुश थी क्योंकि रजत मेरा बहुत ध्यान भी रखता था और मुझे अपनी जिंदगी में कोई ऐसा चाहिए था जिससे कि मैं अपने दिल की बात शेयर कर पाऊं और रजत वही था। मुझे जब भी अकेलापन महसूस होता या कभी ऐसा कुछ लगता तो मैं रजत से बात कर लिया करती।

हम दोनों की बात अब बहुत ही अधिक होने लगी थी हम दोनों एक दूसरे से हर रोज मिला करते। एक दिन रजत मुझसे मिलने के लिए घर पर आया उस दिन मैं घर पर अकेली ही थी रजत को ना जाने क्या हुआ

उसने मेरे होठों को चूम लिया लेकिन मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा पर मैंने जब रात को इस बारे में सोचा तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे भी राजत के साथ किस करना चाहिए था। उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो किस कर लिया करते और हमें बहुत ही अच्छा लगता लेकिन अब रजत उससे आगे बढ़ चुका था।

उस दिन जब उसने मेरे स्तनो को दबाना शुरू किया तो मुझे अच्छा लगने लगा वह मेरे स्तनों को बड़े ही अच्छे से दबा रहा था। उसने मेरे स्तनों को इतने अच्छे से दबाया कि मेरे अंदर की आग बढ़ने लगी थी

मैं अपने बदन को उसको सौप चुकी थी मैंने अपने बदन को उसके सामने पेश किया और जब उसने मेरा कपड़ों को उतारे तो मैने उसके लंड को चूसना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा। मैं बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी

मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं कुछ बयां नहीं कर पा रही थी लेकिन जब मेरे गले के अंदर तक उसका लंड जा रहा था तो मुझे और भी मज़ा आ रहा था। जब उसने मेरे बालों को पकड़ते हुए मेरे मुंह के अंदर तक अपने लंड को घुसाया तो और भी मजा आ गया।

वह मेरी चूत को सहलाने लगा मुझे अच्छा लगने लगा वह मेरी चूत को बड़े अच्छे से सहला रहा था और उसने काफी देर तक मेरी चूत का रसपान किया मेरी गर्मी को उसने इस कदर बढ़ा दिया था कि अब मैं एक पल भी नहीं रह पा रही थी और मेरी गर्मी कुछ ज्यादा ही अधिक बढ़ने लगी थी। मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है

तो वह भी खुश हो चुका था अब मेरी चूत के अंदर वह अपने मोटे लंड को डालना चाहता था मैं भी उसके लंड को चूत में लेने के लिए बहुत ही ज्यादा तड़प रही थी। जब मैंने उसके लंड को अपनी चूत के अंदर लिया था

तो वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गया था वह मुझे कहने लगा तुम्हारी चूत बहुत टाइट है मैंने जब अपनी चूत की तरफ देखा तो मेरी योनि से खून निकलने लगा था और मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था।

मेरी योनि से इतना खून निकलने लगा था कि मैं उसे कहने लगी तुम और भी तेजी से मुझे चोदते रहो और वह मुझे बड़ी तेज गति से धक्के दिए जा रहा था उसने मुझे इतनी तेज गति से धक्के दिए कि मेरे अंदर की आग अब और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी मेरी आग इतनी बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी।

मैंने उसे कहा मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही हूं तो वह कहने लगा तुम अपने पैरों को मेरे कंधे पर रख लो मैंने अपने पैरों को उसके कंधे पर रख लिया जिसके बाद मैंने उसे कहा तुम और भी तेजी से चोदो।

उसने बड़ी तीव्र गति से धक्के देने शुरू कर दिए मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे अंदर की आग बहुत बढ़ती ही जा रही थी मेरे अंदर की आग लगातार बढ़ती जा रही थी मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारे ऊपर से आना है और वह मेरे नीचे लेटा हुआ था।

मैंने उसके लंड को अपनी चूत में लिया तो मुझे दर्द हुआ मेरी चूत से खून बाहर निकल रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था और वह अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहा था। जब वह ऐसा कर रहा था

तो मेरी चूतडो से एक अलग आवाज पैदा हो रही थी जिससे कि मेरे अंदर की गर्मी बढने लगी। मेरे अंदर की गर्मी अब इतने बढने लगी थी कि मुझे मजा आने लगा था और मैंने उसे कहा मुझे अपनी चूत मरवाने में मजा आ रहा है।

मैंने रजत को कहा तुम और तेजी से धक्के मारो और वह मेरी चूतड़ों पर प्रहार कर रहा था उसने मेरी चूतडो का रंग भी लाल कर दिया था अब मैं पूरी तरीके से खुश हो चुकी थी और मेरे अंदर की गर्मी भी बढ़ चुकी थी।

मैंने उसे कहा मैं अब ज्यादा देर तक तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊंगी और मैंने उसे जब यह कह तो उसने भी मेरी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिरा कर मेरी इच्छा को पूरा कर दिया और मेरी गर्मी को शांत कर दिया।

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