दो जवान दिल एक हुए

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मेरे माता-पिता अब मुझसे परेशान रहने लगे थे दरअसल उन्हें लगता था कि मेरे कदम भटकने लगे हैं

और वह चाहते थे कि मैं उनकी बात मानूं लेकिन मेरी भी शायद कोई गलती ना थी मैंने भी जवानी की दहलीज पर कदम रखा दिया था। मेरी उम्र अभी 22 वर्ष थी

लेकिन मेरे माता-पिता का दबाव मुझ पर कुछ ज्यादा ही बढ़ता जा रहा था जो कि मुझे उनसे दूर करता जा रहा था। मैं अपने जीवन में उड़ना चाहता था

मुझे ऐसा लगता कि सब मेरे कदमों के नीचे है। यह दिन मैं दबे पांव रात के 12:00 बजे घर आ रहा था तभी अचानक से कमरे की लाइट जल पड़ी मैंने इधर उधर नजर दौड़ाई तो सामने मेरी मां बैठी हुई थी वह मुझे देखते ही कहने लगी अजीत तुम इतनी रात को कहां से आ रहे हो।

मेरे पास भी शायद कोई जवाब नहीं था कुछ देर तक तो मैं भी चुप हो गया सन्नाटा सा छा गया तभी मैं बोल पड़ा कि मम्मी मैं अपनी दोस्त की पार्टी से आ रहा हूं।

यह सुनते ही मम्मी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और वह चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी क्या हमने तुम्हें इसी दिन के लिए बड़ा किया था तुम्हें मैंने कितनी बार समझाया है

तुम देर रात को घर मत आया करो अब तुम बड़े हो चुके हो तुम्हें अपनी जिम्मेदारियों को खुद ही समझना चाहिए।

मैंने अपनी मम्मी से माफी मांगी और कहा आइंदा से ऐसा कभी नहीं होगा मेरे पास माफी मांगने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।

मेरी मम्मी मुझ पर चिल्लाये जा रही थी यह सुन पापा की नींद भी खुल गई और वह मेरे कमरे में आ गए पापा ने मुझे कुछ नहीं कहा उन्होंने मम्मी से कहा कि शकुंतला तुम थोड़ा शांत हो जाओ।

पाप के कहते ही जैसे मां ने अपने गुस्से पर थोड़ा काबू कर लिया था और वह शांत हो गई लेकिन मैं अब भी वहीं खड़ा था और मेरा सर मैंने नीचे झुकाया हुआ था। मैं अपने मम्मी पापा से नजरे ना मिला सका पापा ने बड़े ही शांत स्वर में कहा अभी तुम सो जाओ हम लोग काल इस बारे में बात करेंगे।

पापा ने मम्मी से कहा तुम भी अपने कमरे में चलो यह बात सुन मुझे थोड़ा तसल्ली हुई की कम से कम पापा ने तो मेरी बात सुन ली। मैंने भी अपने 22वें वर्ष में कदम रखा ही था लेकिन मुझसे भी कहीं ना कहीं गलतियां होती जा रही थी लेकिन मेरे पापा ने उसे मुझे कुछ नहीं कहा और वह चले गए।

जब मैं सोने की कोशिश करने लगा तो मेरी आंखों से नींद गायब थी और मेरे सामने सिर्फ मेरे पापा मम्मी का चेहरा आ रहा था।

उनका मेरे सिवा कोई भी तो नहीं था और उन्होंने मुझे कितने अरमानों से पाला है उनके भी कुछ सपने हैं लेकिन शायद उनके सपने मेरी वजह से अधूरे रह जाएंगे।

यह कसक मेरे दिल में आने लगी और मुझे अंदर से एक अलग भावना पैदा होने लगी मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था मुझे नींद भी नहीं आई मैं बार-बार घड़ी की तरफ देख रहा था मुझे सिर्फ मेरे पापा मम्मी का चेहरा सामने नजर आ रहा था।

मैं अपने बेड के साइड में लगी हुई टेबल लैंप को बार बार खोलता और बंद करता मैं पूरी रात भर सो नहीं पाया उस दिन मैंने अपने दोस्तों के साथ पहली बार शराब भी पी थी इसलिए

मैं अपनी नजरें शायद पापा मम्मी से मिला ना सका। अगले दिन सुबह 8:00 बजे मां की आवाज से मेरी नींद खुली मुझे हल्की सी झपकी आई थी कि तभी मां ने आवाज लगाते हुए कहा लाड साहब क्या अभी तक सोते रहोगे घड़ी में समय देखो कितना हुआ है।

पापा भी अपने ऑफिस जाने के लिए तैयारी करने लगे थे और मैं अपने रूम से बाहर आया तो देखा पापा मम्मी डाइनिंग टेबल पर मेरा इंतजार कर रहे हैं और मैं भी उनके पास आकर बैठ गया।

मेरा नशा तो उतर चुका था लेकिन मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था मां ने मुझे पानी का गिलास दिया और कहा लो पानी पी लो।

मैंने वह पानी पी लिया था और उसके बाद मुझे थोड़ा अच्छा सा महसूस हुआ पापा मुझे समझाते हुए कहने लगे देखो बेटा अब तुम बड़े हो चुके हो तुम्हारी उम्र भी अब 22 वर्ष की हो चुकी है

तुम्हें भी अपनी जिम्मेदारियों को समझ लेना चाहिए। मैंने पापा से कहा पापा मुझे मालूम है कि आप लोग मेरे लिए कितनी चिंता करते हैं लेकिन क्या मैं अपने दोस्तों के साथ कहीं पार्टी में नहीं जा सकता।

पापा कहने लगे बेटा यह सब गलत नहीं है लेकिन क्या तुमने एक बार भी मम्मी से इस बारे में बात की थी या फिर तुमने मुझे बताया। मैंने अपनी गर्दन हिला कर ना कहा और पापा कह उठे की देखो यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन तुम गलत रास्ते पर चल पड़ोगे और हमें इस चीज का ही डर है

क्योंकि अभी तुम्हारी उम्र इतनी भी ज्यादा नहीं है कि तुम अच्छे या बुरे में फरक कर सको। मैं पापा की बात से पूरी तरह से संतुष्ट था मैंने उसके बाद मम्मी से कहा मैं नहा लेता हूं मैं नहाने के लिए चला गया।

जब मैं नहा कर बाहर निकला तो पापा भी अपने ऑफिस जा चुके थे लेकिन मुझे अपनी गलती पर शर्मिंदा महसूस हो रही थी उससे पहले मैंने कभी भी पापा मम्मी को कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया था।

मैं अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देता था लेकिन कुछ समय से मैं अपनी पढ़ाई से दूर जा चुका था और मेरा पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था लेकिन अब मैं पहले की तरह ही अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने लगा था।

मैं सब कुछ पहले जैसा ही सामान्य करने की कोशिश करने लगा मुझे लगता था कि मैं सब कुछ पहले जैसा ही सामान्य कर दूंगा और मैं अब कॉलेज में अपनी क्लास हमेशा अटेंड करने लगा था।

मेरी यह बात मेरे उन दोस्तों को बिल्कुल भी रास ना आई और गुस्से में वह मुझसे कहने लगे कि तुम आजकल हम से बचने की कोशिश कर रहे हो लगता है तुम्हारे सर पर दोबारा से पढ़ाई का भूत सवार हो गया है।

वह लोग मुझे अपनी ओर खींचने की कोशिश करते लेकिन मैं अब समझ चुका था कि वह रास्ता मेरे लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है इसलिए मैंने उन्हें साफ तौर पर कह दिया कि मैं अब आप लोगों के साथ कभी नहीं आऊंगा।

मैंने उन लोगों की दोस्ती छोड़ दी और अब मेरे कुछ नये दोस्त बनने शुरू हो गए थे रोहन से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो चुकी थी। रोहन हालांकि हमारे साथ पहले से ही पड़ता था परंतु उससे मेरी इतनी बातचीत नहीं हुआ करती थी

परंतु कुछ समय से रोहन और मेरे बीच में दोस्ती होने लगी थी हम लोगों का एक दूसरे के घर पर भी आना जाना हो गया था। जब मैं रोहन के घर पर पहली बार गया तो उसके मम्मी मुझसे मेरे बारे में पूछने लगी मैंने उसकी मम्मी को अपने और अपने परिवार के बारे में बता दिया था

उसकी मम्मी मुझ में और रोहन में बिल्कुल भी अंतर नहीं करती थी। मेरा रोहन के घर पर आना जाना तो लगा ही रहता था लेकिन मुझे नहीं पता था कि उसकी बहन भी है। उसकी बहन अपने मामा जी के पास ही रहती थी

हो उन्होंने ही उसके पालन पोषण की जिम्मेदारी ली थी। रोहन ने मुझे अंतरा से मिलवाया तो मुझे उससे मिलकर बहुत अच्छा लगा लेकिन अंतरा ने भी मुझे पहली नजर में ही अपना दीवाना बना दिया था

और शायद उसके दिल में भी मेरे लिए कुछ चल रहा था। मैं जब अंतरा को देखता तो उसके साथ मुझे समय बिताने का मन करता, मैंने अंतरा का नंबर ले लिया हम दोनों की फोन पर बातें होने लगी हम दोनों की बातें

अब काफी आगे बढ़ चुकी थी। मैं भी अंतरा को बहुत पसंद करता था मैंने अंतरा से मिलने का फैसला कर लिया था और एक दिन हम दोनों की फोन पर बात हुई तो हम दोनों के बीच मिलने को लेकर सहमति बन चुकी थी। अंतरा को मैंने अपने घर पर बुला लिया पापा मम्मी शादी में गए हुए थे तो घर पर कोई ना था।

जब अंतरा घर पर आई तो मैंने अंतरा से कहा आज तुम्हें देखकर बहुत अच्छा लग रहा है इतनी समय से तुमसे अकेले में मिलने के बारे में सोच रहा था लेकिन कभी मौका ही नहीं मिल पाता था।

अंतरा भी मुझसे मिलकर बहुत खुश थी हम दोनों एक दूसरे से बड़े ही अच्छे तरीके से बात करते और हम दोनों को एक दूसरे के साथ समय बिताना अच्छा लग रहा था।

मै अंतरा को बड़े ध्यान से देखता लेकिन जब मैंने अंतरा के होठों को चूमना शुरू किया तो वह भी मुझसे दूर ना रह सकी और मैंने उसके होंठों को बहुत देर से चूसा अंतरा बेचैन होने लगी थी अंतरा मुझे कहने लगी

मुझे बहुत अच्छा लग रहा है और यह कहती ही उसने मेरे लंड को दबाना शुरू किया तो मेरे अंदर से भी अब जवानी बाहर की तरफ को निकलने लगी थी। हम दोनों के बीच पहली बार सेक्स संबंध बनने जा रहा था

मैंने जब अंतरा के कपड़े उतारे तो मुझे एक नौजवान होने की फीलिंग अंदर से आने लगी। मैंने अंतरा के स्तनों को अपने मुंह में लेना शुरू किया और उसे भी बड़ा अच्छा लग रहा था।

मैं अंतरा के स्तनों को बहुत देर तक चुसता रहा जब मैंने अंतरा की चिकनी और कोमल योनि पर जीभ का स्पर्श किया तो वह पूरी तरीके से मचलने लगी थी।

जैसे ही मैंने उसकी योनि के अंदर धक्का देते हुए अपने लंड को प्रवेश करवा दिया तो वह चिल्ला उठी। वह इतनी ज्यादा चिल्ला रही थी कि मैं भी उसे और तेज गति से धक्का मारता जाता लेकिन जब मैंने उसकी योनि की तरफ नजर मारी तो उसकी योनि से खून का बहाव हो रहा था।

मैं यह देख कर थोड़ा घबरा सा गया था क्योंकि पहली बार ही मैंने किसी की योनि से खून निकलते हुए देखा था।

मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुका था इसलिए मैं अंतरा को छोड़ नहीं पा रहा था और ना ही अंतरा का मन मुझे छोडने का कर रहा था उसने मुझे कसकर पकड़ लिया था। हम दोनों जवान दिल एक हो चुके थे

अंतरा की योनि से गर्मी बाहर निकलने लगी मेरे लंड से भी अब मेरा वीर्य बाहर आने ही वाला था और कुछ ही देर बाद मेरे वीर्य की धार अंतरा की योनि में गिरी तो वह घबराकर मुझे कहने लगी कहीं कुछ होगा तो नहीं? मैंने उसे कहा कुछ नहीं होगा तुम मुझ पर भरोसा रखो।

1 thought on “दो जवान दिल एक हुए”

  1. Maharashtra me kisi girl, bhabhi, aunty, badi ourat ya kisi vidhava ko maze karni ho to connect my whatsapp number 7058516117 only ladies

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