फ्लैट में लड़की की सील तोड़ी

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हाय दोस्तों! मेरा नाम विरेन्द्र है। मैं 28 साल हूँ और यूपी के एक गाॅव से हूँ और मुंबई में एक टेलीकाम कंपनी में एरिया मैनेजर हूँ। मैं वर्सोवा के अपार्टमेंट में रेंट पर रहता हूँं।

आज मैं आपको मेरे साथ पिछले दिसम्बर में घटा एक सेक्सी और यादगार किस्सा बताने जा रहा हूँ, जो पूरी तरह से सच है। और उन दिनों मैंने अपने फ्लैट में एक ताजी जवान हुयी लड़की की सील तोड़कर पूरी रात उसकी जमकर चूत मारी।

तो दोस्तों, बात ऐसी है कि मैं अपार्टमेंट के सातवें फ्लोर पर रह रहा था। मेरे ठीक सामने वाले फ्लैट में एक यूपी के लखनऊ का परिवार रहता था। उनके परिवार में करीब 50 वर्ष बूढ़े के माता पिता और उनका बेटा जो करीब मेरे ही उम्र का था जो मुंबई के ही किसी कालेज में टीचर था। मैं भी अपने जाॅब में ज्यादातर व्यस्त रहता था।

यूपी के होने के कारण कुछ ही दिनों में हम दोनों में दोस्ती हो गई, और हमने साथ में पार्टी व मौज मस्ती शुरू कर दी। अब अंकल आंटी भी मुझसे काफी घुल मिल गये थे। कुछ दिनों बाद उनके बेटे को अमेरिका के किसी काॅलेज में पढ़ाने का आॅफर आ गया और वह अमेरिका चला गया। अब अंकल और आंटी अकेले हो गये।

और छोटे मोटे कामों के लिये मुझे बुला लेते थे। मेरी इस कहानी में रोमांचक मोड़ तब आया, जब आंटी ने गाॅव से अपने छोटे भाई की बेटी को मुंबई बुला लिया, क्योंकि बेटे के जाने के बाद वे अकेले घर में उबने लगे थे। जब पहली बार मैंने आंटी की भांजी को देखा तो मेरे होश उड़ गये।

वह गोरे रंग और पतले छरहरे शरीर की बला की खूबसूरत थी। उसका नाम शशि था और शायद ही वह अपने 18वें सावन को पार कर पायी होगी, क्योंकि उसके चेहरे की मासूमियत और आँखों की शर्म उसके यौवन को और भी निखार रही थी। और उसको देखकर मेरे वासनाओं के सांपों ने अपने आप ही फुॅफकारना शुरू कर दिया।

अब मैं जब भी अंकल के यहाँ जाता तो बातों में कम और शशि को ताड़ने में ज्यादा समय बिताने लगा और उससे बातें करने के बहाने खोजने लगा। पहले तो उसने मुझपर जरा भी ध्यान न दिया, लेकिन फिर धीरे धीरे हमारी नजरें लड़ने लगी और बातों का सिलसिला बढ़ने लगा।

और मैं उसे तरह तरह की बातें और किस्से सुनाकर रिझाने की कोशिश करने लगा। जल्द ही मैं समझ चुका था कि शशि को मेरा उसके पास होना भाने लगा था, क्योंकि वह आस पास बहुत ही कम बात करती थी और शायद ही कभी अपार्टमेंट के बाहर जाती थी। मैंे भी उसके अकेलेपन का फायदा उठाने लगा और जैसे ही जाॅब से फ्री होता, शशि के पास पहुंच जाता। अब उसकी शर्म भी खुलने लगी थी और हम दोनों में हर तरह की बातें होने लगी।

अंकल आंटी को मुझ पर पूरा भरोसा था, इस कारण वे मुझपर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे। दिसम्बर में महीने में ठंड अपने चरम पर थी और इसी समय मेरे व शशि के बीच नजदीकियाँ बढ़ने लगी।

एक बार संडे की शाम को मैं अंकल और आंटी का हाल चाल लेने उनके फ्लैट में गया, क्योंकि उस दिन ठंड बहुत अधिक थी। मैंने अंदर जाकर देखा वे खाना खाकर अपने बेडरूम में सोने के लिये जा रहे थे,

इस कारण मैंने उनसे ज्यादा बात नहीं की और उन्हें आराम करने के लिये छोड़ दिया। अब मैं शशि को ढूढने लगा जो कि किचेन में बर्तन साफ कर रही थी। उसे देखकर न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि आज मेरे पास उसकी चूत मारने का फुल चांस है। और मन में यही ख्याल लिये मैंने शरारत के बहाने पीछे से उसके गाल पर हाथ फेर दिया तो वह सिहर उठी और मेरी ओर देखते हुए बोली कि आज तो आप बड़े मूड में लग रहे हैं।

मैंने उसकी आखों को जल्द ही पढ़ लिया जो कि मुझे शरारत करने की पूरी छूट दे रही थी और शायद मौसम की नजाकत भी इसी ओर इशारा कर रही थी। अब वह फिर से अपने काम में लग गयी और मैंने भी अपना इरादा मजबूत कर लिया। फिर मैंने धीरे से उसके पिछवाड़े पर हाथ फेरना शुरू कर दिया, इस बार उसने कुछ भी नहीं कहा तो मुझमें भी हिम्मत आ गयी और मैं उसके पुट्ठो को दबाने लगा और उसकी गांड में उंगली करने लगा।

शशि का पूरा बदन कांपने लगा और उसने भी मजा लेना शुरू कर दिया। मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसकी कुर्ती में डालकर उसे छाती तक ले गया। और ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स दबाने लगा, जो कि भरपूर उभरे हुए और गोल थे। फिर धीरे से मैं साइड से उसके गालों को चाटने लगा। फिर अपने दूसरे हाथ को उसकी सलवार में डाल कर चूत पर ले गया और पैंटी के ऊपर से ही उंगली से उसकी चूत को खोदने की कोशिश करने लगा,

उसकी चूत इतनी सख्त थी कि मेरी उंगली बड़ी मुश्किल से उसकी चूत में जा सकी और मुझे यह समझने में जरा भी देर नहीं कि अभी उसकी सील नहीं टूटी है और आज उसकी सील तोड़ने का सुख मुझे ही प्राप्त होगा।

जैसे ही मैंने उसकी चूत में उंगली करने लगा, शशि के मुँह स आहहहह आइइइइइइ की आवाजें तेज होने लगी क्योंकि उसे सह अहसास पहली बार हो रहे थे। अब उसने अपना काम बीच में ही छोड़ दिया और मुझपर निढाल हो कर गिरने लगी। उसकी आहें तेज होने लगी और मैं समझ गया कि शशि अब पूरी तरह से गरम हो चुकी है।

मैंने बिना इंतजार किये उसको गोद में उठा लिया और उसके कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया। और जल्दी से पहले उसके कपडे़ उतारे और फिर उसकी सफेद ब्रा उतार कर उसके रसीले बूब्स पर टूट पड़ा, फिर एक एक करके उनको चूसने लगा। उसकी पैंटी भी गीली हो गयी इसलिए मैंने उसे खीच कर उतार दिया। पैंटी हटाते ही उसकी हल्के बालों से भरी चूत मेरे सामने थी,

जिसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया और अपनी मोटाई को बढ़ाने लगा। मैंने भी झटपट अपने सारे उतार दिए और अपने खड़े लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। जब मेरा लंड थोड़ा गीला हो गया तो फिर हलके से लंड के अगले हिस्से को शशि की चूत में डाल दिया तो वह बोली कि उसे बाहर निकाल दो, बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाउगी।

मैं उसे समझाते हुए बोला कि थोड़ा सा दर्द होगा फिर बहुत मजा आयेगा। पर तेज तेज आहहहह उउउउउ मां मैं मर गयी चिल्लाने लगी। अब मैंने उसके मुँह को हाथ से दबा लिया और तेज झटके के साथ ताकत का इस्तेमाल करते हुये उसकी सील को तोड़ते हुये पूरा चूत में डाल दिया और उसकी चूत फट गयी। शशि की आँखों में आंसू भरे थे और वह दर्द से कराह रही थी, मैंने धीरे से उसके मुँह से हाथ हटाया और धीरे से उसके चेहरे को सहलाने लगा।

और चूत में धीरे से आगे पीछे करने लगा। और जल्द ही उसने आंसू पोछते हुये इस अहसास को महसूस करते हुए मेरा साथ देने लगी। जब मैंने देखा कि उसे भी मजा आने लगा तो मैंने अपने झटके बड़ा दिये और उछल उछल कर उसकी चुदाई करने लगा। शशि बराबर आवाजें कर रही थी पर अब खुश थी।

और इस तरह मैंने शशि की रात 3 बजे तक खूब चुदाई की और रात सर्दी में गर्मी का मजा लेते रहे। और इसके बाद मैं चुपके से अपने फ्लैट में आ गया। तो दोस्तों, इस तरह मैंने चूत चुदाई का मजा लिया। मेरी कहानी पढ़ने के लिये आप को धन्यवाद। इसे ज्यादा से ज्यादा लाइक और शेयर करें।

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