मैने अपनी इच्छा से सील पैक चूत मरवाई

4/5 - (6 votes)

मेरा नाम शालिनी है मैं फरीदाबाद की रहने वाली हूं, मेरी उम्र 24 वर्ष है, मैं घर से बहुत कम बाहर निकलती हूं।

अब मेरा कॉलेज भी पूरा हो चुका है लेकिन मेरे लिए मेरी सुंदरता ही मेरे अभिशाप का कारण है और इसी वजह से मैं ज्यादातर कहीं भी बाहर नहीं निकलती क्योंकि मैं जब भी बाहर निकलती हूं तो सब लोग मुझे बहुत घूर कर देखते हैं और मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता लेकिन मैं जब भी अपने दोस्तों से मिलती हूं तो वह लोग मुझे कहते हैं

तुम्हारी सुंदरता तो बहुत ही बेमिसाल है, तुम्हें तो मॉडलिंग करनी चाहिए। मुझे भी लगता है कि क्यों ना मैं मॉडलिंग करूं परंतु मुझे कभी भी ऐसा मौका नहीं मिल पाया कि मैं भी मॉडलिंग कर पाऊँ।

स्कूल और कॉलेज में तो हमारे काफी प्रोग्राम होते थे लेकिन मेरा नेचर थोड़ा शर्मीला किस्म का है इसलिए मैं कहीं पर भी हिस्सा नहीं लेती थी और सिर्फ मैं अपने तक ही सीमित  रह गई इसी वजह से मेरे सारे दोस्त आगे बढ़ चुके हैं थे, वह लोग हमेशा मुझे कहते कि तुम तो देखने में भी अच्छी हो और बात भी तुम बहुत अच्छे से करती हो लेकिन उसके बावजूद भी तुम कभी भी इन चीजों में ध्यान नहीं देती।

मेरे माता-पिता का भी मुझे कोई सपोर्ट नहीं था क्योंकि वह लोग सिर्फ मुझे अच्छी जगह पढ़ाना चाहते थे और उसके अलावा उन्होंने कभी भी मुझसे कुछ नहीं पूछा क्योंकि वह दोनों ही अपनी जॉब में बिजी हैं और बिल्कुल भी मेरे लिए उनके पास वक्त नहीं होता परंतु जब से मैं घर में रहने लगी हूं

तब से मैं भी कुछ करने की सोच रही हूं परन्तु मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसी दौरान मेरी मुलाकात हमारे पड़ोस के अंकल से हुई, अंकल बहुत ही क्रिएटिव है और उन्हें पेंटिंग बनाने का बहुत अच्छा शौक है।

मैं कभी कबार उनके पास चली जाती और वह मुझे कहते कि तुम भी पेंटिंग बनाने की ट्राई करो तुम्हें अच्छा लगेगा क्योंकि तुम्हारे अंदर के भाव जब बाहर निकलेंगे तो उसे पूरी दुनिया देखेगी।

तुम जितनी सुंदर हो उतने ही सुंदर तुम्हारे अंदर भाव है, तुम उसे पेंटिंग के रूप में दिखा सकती हो। मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं भी पेंटिंग करने की कोशिश करूं।

शुरुआत में तो मुझे पेंटिंग करने में बहुत दिक्कत हुई क्योंकि मुझे पेंटिंग करनी बिल्कुल भी नहीं आती थी। जब मैंने चित्र बनाने शुरू करे तो धीरे धीरे मेरे अंदर भी बदलाव आने लगे और मैं अच्छे से पेंटिंग करने लगी।

हमारे पड़ोस के अंकल का नाम मोहन है, उनके बच्चे भी मेरी उम्र से ही है लेकिन वह लोग अच्छी जगह नौकरी करते हैं इसलिए वह उनके साथ नहीं रहते, उनके लड़के की शादी हो चुकी है, उनका छोटा लड़का बेंगलुरू में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, उनका बड़ा लड़का भी दिल्ली में रहता है और वह हफ्ते में कभी उनसे मिलने आ जाया करता है।

वह मुझसे कहते हैं की तुम अच्छी पेंटिंग बनाने लगी हो, तुम और भी अच्छा कर सकती हो। उन्होंने ही मेरे अंदर कुछ करने की इच्छा जगाई और मैंने भी उसके बाद से पेंटिंग बनाने की सोच ली।

मैं जितनी भी पेंटिंग बनाती हूं, वह अब उसे एग्जिबीशंस में लगाने लग, धीरे-धीरे मेरी पेंटिंग की बहुत तारीफ होने लगी और मैं अब एक अच्छी आर्टिस्ट्री बन चुकी थी इसलिए मेरे पास भी अब कस्टमर हो चुके थे। मैं जब भी कोई पेंटिंग अपनी एग्जिबिशन में लगाती तो वह पेंटिंग हाथों हाथ ही बिक जाती।

मैं मोहन अंकल की बहुत ही शुक्रगुजार थी, मैंने एक दिन उन अंकल को कहा कि आपकी वजह से ही मेरे जीवन में इतना परिवर्तन आ पाया और मैं अब अच्छी  पेंटिंग भी बना लेती हूं, शायद यह आप के बिना संभव नहीं हो पाता लेकिन आपकी वजह से ही मैं अच्छी पेंटिंग कर पाई हूं और अब मेरे अंदर बहुत ही कॉन्फिडेंस भी आ चुका है।

मोहन अंकल मेरी हर फीलिंग को समझते थे और वह मुझे कहने लगे यह पेंटिंग तुम्हारी मेहनत से बनाई हुई है क्योंकि अब तुम इन चीजों को समझने लगी हो यदि तुम इसी प्रकार से और मेहनत करोगे तो शायद तुम्हें एक अच्छा मौका मिल जाएगा। उन्होंने मुझे अपने एक पुराने दोस्त से मिलाया।

उन्होंने जब मेरी पेंटिंग देखी तो वह मेरी बहुत तारीफ करने लगे और कहने लगे तुम तो बड़ी ही जबरदस्त पेंटिंग बनाती हो, मेरे टच में काफी अच्छे कस्टमर्स है और यदि हम लोग वहां पर तुम्हारी पेंटिंग्स भी लगवाए तो तुम्हारी पेंटिंग वहां पर काफी अच्छे दामों पर निकल जाएंगे।

मैंने उनसे कहा सर आप मेरी पेंटिंग्स वहां पर लगवा दीजिए, उन्होंने मुझे कहा ठीक है मैं तुम्हें कुछ दिनों बाद फोन करूंगा या फिर मैं मोहन जी को फोन कर के बता दूंगा, मैंने उन्हें कहा ठीक है आप बता दीजिएगा।

कुछ दिनों बाद उनका मुझे फोन आया और वह कहने लगे मैं आपको मोहन जी के घर पर हीं मिलता हूं, आप मुझे वहीं पर मिलना। मैं अब उनसे मिलने के लिए उनके घर चली गई तो वह मुझे कहने लगे कि मैं अगले महीने तुम्हारी पेंटिंग्स लगवा देता हूं, मैं बहुत ही खुश थी।

हम लोग काफी देर तक एक दूसरे के साथ बैठे हुए थे, जब वह चले गए तो मैंने मोहन अंकल का शुक्रिया कहा मैंने उन्हें कहा आपकी वजह से ही मुझे आज इतना अच्छा काम मिल पाया है मैं आपकी बहुत ही एहसान मंद हूं, वह मुझे कहने लगे तुम इस प्रकार की बातें कर के मुझे शर्मिंदा मत करो।

मुझे ऐसा लगा आज तक मैंने कभी भी अपने इस सुंदर बदन का जाम किसी को भी नहीं पिलाया है लेकिन मोहन जी से मैं इतना ज्यादा प्रभावित हो गई कि मैं उनसे अपनी सील पैक चूत मरवाने के लिए तैयार थी।

मैं मोहन जी को अपने गोरे स्तन दिखा रही थी, जब वह ज्यादा देर तक अपने आप को काबू में नहीं रख पाए तो उन्होंने जैसे ही मेरे स्तनों हाथ लगाया तो मैं उत्तेजित हो गई, वह भी बड़े गरम हो चुके थे।

उन्होंने जैसे ही अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने भी उनके लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू कर दिया। मैंने उनके लंड को इतने अच्छे से सकिंग किया कि वह भी बहुत खुश थे और मुझे भी बहुत खुशी हो रही थी।

जिस प्रकार से मैं उनके लंड को चूस रही थी वह मुझे कहने लगे शालिनी तुम्हारा तो जवाब ही नहीं है, तुम जैसी सुंदर हुस्न की लड़की मेरा लंड चूस रही है मैंने आज तक कभी भी कल्पना नहीं की थी।

मैंने जब अपने दूध जैसे शरीर को उनके सामने पेश किया तो वह भी अपने आप को बिल्कुल नहीं रोक पाए, उन्होंने मेरी योनि चाटा, वह अपने आप को बहुत ही तरोताजा महसूस करने लगे। मेरी योनि पर एक भी बाल नहीं है और जिस प्रकार से वह मेरी चूत को चाट रहे थे, वह मेरे लिए बड़ा अच्छा अनुभव था।

उन्होंने मेरी योनि का पानी बाहर निकाल दिया, जब मेरे पानी का रिसाव बड़ी तेजी से होने लगा तो उन्होंने भी अपने कड़क और लंबे लंड को मेरी योनि से सटा दिया। जैसे ही उनका लंड मेरी योनि के अंदर घुसा तो मैं चिल्ला उठी और मेरे खून की धार उनके लंड पर गिरने लगी।

मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं मोहन जी से अपनी चूत मरवाऊंगी और अपनी सील उनसे तुड़वाऊंगी। जब उन्होंने मेरी सील तोड़ दी तो मैंने भी उन्हें किस करना शुरू कर दिया, वह मेरे दोनों पैरों को चौड़ा कर के मुझे चोदने लगे उन्होंने मुझे इतनी तेजी से चोदा उनका अनुभव मुझे दिखाई दे रहा था और उनका लंड भी मेरे पेट तक जाने लगा।

उन्होंने जिस प्रकार से मुझे झटके दिए मैं बिल्कुल भी अपने आप को रोक नहीं पा रही थी, मेरी योनि से लगातार खून बहने पर लगा हुआ था। जब उनका वीर्य पतन होने वाला था तो उन्होंने मुझे कहा शालिनी तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो ताकि तुम मेरे वीर्य का स्वाद चख सको यह सेहत के लिए  बहुत अच्छा होता है।

उन्होंने जब मेरे मुंह के अंदर अपने लंड को डाला तो मैंने उनके लंड को 10 सेकंड तक चूसा और 10 सेकंड में जैसे ही उनका गरमा गरम वीर्य मेरे मुंह के अंदर गिरा तो मैंने उसे अपने गले से नीचे उतार लिया, वह वाकई में बड़ा स्वादिष्ट था। जिस प्रकार से उन्होंने मुझे सेक्स का सुख दिया मैं तो उनकी और भी दीवानी हो गई।

मै मनोज जी से अपनी चूत मरवाने के लिए हमेशा उतारु रहने लगी मैं उनके बिना अब एक भी पल नहीं रह सकती इसलिए मैं अधिक समय उनके साथ ही बिताने लगी थी। उनसे मुझे काफी कुछ सीखने को मिलता, मेरे अंदर का जो दबा हुआ टैलेंट था वह भी बाहर आने लगा।

Leave a comment