मेरे गांड का आनंद मुंबई के व्यक्ति ने उठाया

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मेरा नाम कमल है मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 25 वर्ष है। 

सब लोग मुझे बहुत ही सीधा कहते हैं और कहते हैं तुम बहुत ही ज्यादा सीधे हो, मुझे आज तक समझ नहीं आ पाया कि सब लोग मुझे इस प्रकार से क्यों कहते हैं।

मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता हूं लेकिन उसके बावजूद भी मै अन्य लड़कों की तरह नहीं हूं, कई बार मुझे लगता है शायद मेरे अंदर कुछ कमी है और मैं शारीरिक रूप से भी बहुत ज्यादा कमजोर हूं। एक बार मैंने सोचा कि क्यों ना मैं जिम चले जाऊं।

जब मैं कुछ दिनों के लिए जिम में गया तो मुझे लगा शायद मेरे अंदर कुछ बदलाव आ रहे हैं और मैं अब जिम करने लगा। मेरे पिताजी कहने लगे क्या तुम्हें अब जिम का शौक चढ़ गया है, मैंने उन्हें कहा हां मुझे जिम का शौक चढ़ चुका है क्योंकि मुझे जिम जाना अच्छा लगने लगा है और जिम में ही मेरी कई लोगों से दोस्ती भी होने लगी थी, मेरा शरीर भी अब थोड़ा बदलने लगा था, धीरे धीरे मेरी बॉडी भी अच्छी होने लगी थी।

मेरी मम्मी भी कहने लगी की अब तुम अच्छे लगने लगे हो, पहले तुम कितने दुबले पतले देखते थे लेकिन जब से तुमने जिम जाना शुरु किया है तबसे तुम्हारे अंदर थोड़े बहुत बदलाव आने लगे हैं।

मैंने अपनी मम्मी से कहा हां मुझे भी यही लगता है इसी वजह से मैंने जिम जाने का निर्णय लिया था।

मेरी मम्मी मुझसे बहुत खुश थी, मेरी मम्मी थोड़ा मॉडर्न ख्यालातो की है क्योंकि वह मुंबई की रहने वाली हैं और वह पहले से ही बहुत खुले विचारों की हैं।

मेरे पापा और मेरी मम्मी ने लव मैरिज की थी।

एक दिन मुझे मेरे पिताजी कहने लगे अब तुम मेरे साथ मेरे काम में हाथ बटा लिया करो तुम्हें ही मेरा कारोबार आगे संभालना है, मैंने पिताजी से कहा ठीक है मैं कुछ समय बाद आपके साथ ही आपके कारोबार में हाथ बटा लूंगा, मुझे आप थोड़ा और समय दीजिए।

उस दिन मेरी मम्मी भी साथ में ही बैठी हुई थी, मेरी मम्मी ने भी मुझे कहा हां बेटा अब तुम अपने पिताजी के साथ काम सीख लो क्योंकि तुम्हें ही आगे कारोबार संभालना है कब तक वह अकेले ही काम करते रहेंगे, अब तुम्हारी उम्र भी हो चुकी है।

उन्होंने मुझे इससे पहले कभी यह बात नहीं कही थी लेकिन जब उन्होंने यह बात कही तो मुझे लगा कि शायद मुझे भी अपने पिताजी के साथ काम कर लेना चाहिए। मेरे पिताजी का डायमंड का कारोबार है और वह काफी सालों से ही काम कर रहे हैं। मेरे पापा के कई क्लाइंट मुंबई में भी हैं और इसीलिए वह अक्सर मुंबई आते जाते रहते हैं।

मैंने भी अपने पिताजी के साथ काम करने का निर्णय कर लिया और मैं अपने पिताजी के साथ ही काम करने लगा।

वह धीरे धीरे मुझे सब लोगों से मिलवाने लगे और उनके जितने भी क्लाइंट थे अब उनसे मेरा थोड़ा बहुत परिचय होने लगा था। मुंबई में मेरे चाचा भी यही काम करते हैं और एक बार मेरे पिताजी ने मुझसे कहा की तुम अपने चाचा के पास चले जाओ, वहां पर हमारे एक पुराने क्लाइंट है

उनसे तुम मुलाकात कर लेना और उन्हें सारी डिटेल दे देना, मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं मुंबई चला जाता हूं। मैंने अपने पापा से पूछा कि मुझे मुंबई कब जाना है, वह कहने लगे तुम थोड़े समय बाद मुंबई चले जाना, मैं तुम्हें बता दूंगा जब तुम्हें जाना होगा।

मेरा जिम का शौक बढ़ता ही जा रहा था और मैं जिम एक दिन भी मिस नहीं करता था, मैं हमेशा ही जिम में जाता था और वहां जमकर कसरत करने लगा था, मेरी बॉडी भी अब अच्छी बनने लगी थी।

मेरी लंबाई काफी ज्यादा है इस वजह से मेरा शरीर और अच्छा दिखने लगा था। एक बार हमारी शॉप पर मेरी मामा की लड़की आई, वह मुझे देखकर हैरान रह गई।

वह कहने लगी भैया आप तो पूरी तरीके से बदल चुके हैं, मैंने उसे कहा कि मैं बहुत ज्यादा मेहनत कर रहा हूं और शायद यह मेरी मेहनत का ही नतीजा है कि मैं इतना ज्यादा अच्छा दिख पा रहा हूं। मेरे मामा की लड़की भी काफी फैशनेबल है और वह बहुत ही मॉडल ख्यालातों की है।

वह मुझे कहने लगी भैया मैं आपसे एक बात कहूंगी तो आपको बुरा तो नहीं लगेगा, मैंने उसे कहा कि हां कहो तुम्हे क्या कहना है, वह मुझे कहने लगी पहले आप बहुत अजीब लगते थे लेकिन अब आप बहुत अच्छे लगने लगे हो, मैं इसी वजह से कई बार आपको अपने दोस्तों से भी नहीं मिला पाती थी।

मुझे उसकी बात थोड़ा बुरी भी लगी लेकिन मैंने सच्चाई को स्वीकार किया और उसे कहा कि अब तो तुम अपने दोस्तों से मुझे मिला सकती हो, वह कहने लगी हां बिल्कुल अब मैं अपने दोस्तों से आपको मिला सकती हूं।

उसके बाद वह हमारी दुकान से चली गई और कुछ दिन बाद मेरे पिताजी ने कहा कि तुम मुंबई चले जाओ। मैं जब मुंबई जा रहा था तो मेरी मुलाकात ट्रेन में रविंद्र जी से हुई, वह अपने परिवार के साथ जा रहे थे और मै उनके बगल वाली सीट में ही बैठा हुआ था। काफी देर तक तो हम लोगों ने बात नहीं की लेकिन धीरे-धीरे हम दोनों की बात शुरू होने लगी और हम दोनों के बीच में परिचय हो गया।

उन्होंने मुझे अपने परिवार वालों से भी मिलवाया,  वह दिखने में बड़े ही सज्जन लग रहे थे इसलिए मैंने भी उन्हें अपना नंबर दे दिया। जब हम लोग मुंबई पहुंचे तो वह कहने लगे तुम मुझे जरूर मिलना, मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं आपको जरूर मिलूंगा। जब मुझे कुछ दिन बाद रविंद्र जी का फोन आया तो उन्होंने मुझे कहा तुम मेरे घर पर आ जाओ।

मैं जब उनसे मिलने उनके घर पर गया तो उस दिन उनके घर पर कोई भी नहीं था।

उन्होंने मुझे अपने पास बैठा लिया उन्होंने जब मेरे लंड पर हाथ रखा तो मुझे पहले अटपटा सा लगा उसके बाद उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया और दबाने लगे।

मुझे बहुत ही गंदा लग रहा था लेकिन मेरे अंदर से अच्छी भावना भी पैदा हो रही थी। वह मुझे कहने लगे मैं तुम्हें देखते ही पहचान गया था तुम्हें क्या चाहिए।

उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उन्होंने मुझे कहा कि तुम मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस लो। मुझे उनका लंड देखकर बहुत ही गंदा लग रहा था उनके लंड से बहुत बदबू निकल रही थी लेकिन मैंने भी कोशिश करते हुए अपने मुंह में उनका लंड समा लिया।

मुझे उनका लंड चूसने में बड़ा मजा आ रहा था मैंने काफी देर तक उनके लंड को सकिंग किया। जब उन्होंने मेरी पैंट को खोला तो मेरी गांड को चाटना शुरू कर दिया मुझे बहुत अच्छा लग रहा था वह मेरी गांड को चाट रहे थे।

उन्होंने जब अपने लंड पर सरसों का तेल लगाया और मुझे कहा कि तुम थोड़ा नीचे झुक जाओ। मैं थोड़ा सा नीचे की तरफ झुक गया और उन्होंने भी मेरी गांड के अंदर उंगली डाल दी मुझे भी एक अलग एहसास हो रहा था और मुझे अच्छा भी लग रहा था। मुझे समझ आने लगा शायद इसी वजह से मैं पहले से ही ऐसा हूं।

उन्होंने जब अपने लंड को मेरी गांड पर रखा तो मुझे एक करंट सा महसूस होने लगा और उन्होंने धीरे धीरे कोशिश करते हुए मेरी गांड के अंदर अपने लंड को डाल दिया।

जब उनका लंड मेरी गांड के अंदर घुसा तो मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ लेकिन मुझे अच्छा भी लग रहा था। पहले वह मुझे धीरे से झटका दे रहे थे लेकिन उन्होंने अब मुझे तेजी से धक्का देना शुरू कर दिया था, मेरी गांड से खून भी बाहर की तरफ को निकलने लगा था।

मेरी गांड बहुत ज्यादा दर्द हो रही थी मैंने रविंद्र जी से पूछा कि आपको कैसे पता चला कि मुझे किसी लंड की जरूरत है। वह कहने लगे मैं तुम्हें देखते ही समझ गया था कि तुम्हें किसी लंड की जरूरत है

वह कहने लगे मुझे गांड मारने में बड़ा मजा आता है। वह कहने लगे तुम अपनी गांड को मेरी तरफ मिलाओ। मैंने भी उनकी तरफ अपनी गांड को  मिलाना शुरू किया। मेरी गांड चिकनी हो चुकी थी और वह मुझे बड़ी तेजी से धक्के मार रहे थे।

उन्हीं झटको के बीच में जब उनका वीर्य मेरी गांड के अंदर घुसा तो मुझे उनका वीर्य बड़ा गरम गरम लगा। उन्होंने अपने लंड को मेरे गांड से निकाल लिया और मैंने भी अपनी गांड को साफ कर लिया। मुझे तब एहसास हुआ कि मेरा जीवन इसीलिए अधूरा था अब मैं समझ चुका था कि मुझे गांड मरवाना अच्छा लगता है। मैं जब अहमदाबाद वापस गया तो मैंने जिम में भी कई लड़कों से अपनी गांड मरवाई अब मुझे गांड मरवाने का ही शौक है।

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