तुमने कहा था मुझे चोदोगे

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मेरा नाम रमेश है मैं बिहार का रहने वाला हूं। आज मैं आपको अपनी भाभी से  चुदाई  के बारे में बताने जा रहा हूं। हमारे परिवार का भरण-पोषण अच्छे से नहीं हो पा रहा था इसलिए हम लोग बिहार से इलाहाबाद रहने चले आए।

क्योंकि उस समय लोग इतने संपन्न हुआ नहीं करते थे। इसलिए मेरे पिता बिहार से इलाहाबाद आकर बस गए थे। उस समय इलाहाबाद भी कोई शहर जैसा नहीं था। जैसा हमें आज दिखाई देता है।

हम लोगों की भी पढ़ाई चल रही थी। पहले शादी का जल्दी रिवाज हुआ करता था। तो हम लोगों के आस पास जितने भी परिचित थे जिनकी उम्र 17 18 वर्ष की रही होगी उन सबकी शादी हो चुकी थी। मेरी उम्र भी करीबन 16 वर्ष के करीब थी। मेरा पढ़ाई में मन लगता नहीं था। मुझे सिर्फ नंगी भाभीयों को देखना अच्छा लगता था।

कुछ वर्षों बाद हमारे एक चचेरे भाई की भी शादी हो गई। वह उम्र में मुझसे छह माह बड़ा था। हम सब लोग साथ ही रहा करते थे। क्योंकि मेरे पिताजी सरकारी कर्मचारी थे। तो वह काफी सख्त किस्म के आदमी थे।

अब हमारी भी बात शादी के लिए चलने लगी थी। और शायद हमारे लिए जरूरी भी था क्योंकि जो हमारे चचेरे भाई की बीवी थी उसको देख कर हमारा मन खराब होता था। हमने कई बार उससे नग्नावस्था में भी देखा था।

क्योंकि हमारे भाइयों और हमारा कमरा सटा हुआ था तुम्हारे कमरे पर उसकी करहाने की आवाज आ ही जाती थी। तो हमारा भी पप्पू हमें आवाज दे रहा था कि बेटा अब शादी कर लो बहुत हो गया भाभियों को नंगा देखना उनको ब्रा को चुराना और उस पर मुठ मारकर फेंक देना।

जो हमारी भाभी थी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी। आठवीं पास ही थी। हमारी भाभी के उभार उनके बदन से झाकते थे। हो एकदम गोरी चिकनी थी कुरान का बदन मसाले से भरपूर था।

हमने भी एक आद बार अपनी भाभी के बदन पर हाथ फेर ही दिया था। उनके गोरे चिकने बदन को हाथ लगाकर ऐसा लगता था। जैसे रूई को छू लिया हो।

वह कुछ बोल तो नहीं थी और वो हंस देती थी। उम्र का तकाजा ही ऐसा था। अब हम भी भाभी से काफी खुल चुके थे। हमारी भाभी का नाम कामिनी था। फिर हमारे चचेरे भाई ठेकेदारी का काम शुरू कर दिया था तो वह अक्सर गोरखपुर बनारस जाया करते थे। हमारे भाई की नई-नई शादी थी तो भाभी को तो बुरा लगना ही था।

भाभी भी काफी उदास हो गई थी। क्योंकि उनकी चूत भी रगड़ मार रही थी। 1 दिन ऐसा भी आया जब हमारी भाभी हमसे लिपट कर बैठ गई। और बोलने लगी अब तो रहा ही नहीं जाता। हम भी समझ गए थे।

इनको भी डंडे की जरूरत पड़ रही है। वह भी तेल लगा हुआ। इतने में भाभी ने भी हमारे लंड को रगड़ना शुरू कर दिया। अब तो हमारा मन भी कामनी भाभी को चोदने का पूरा पूरा हो गया था। जब हमारी लंड को सहला रही थी।

हमारे घर में एक एकांत कमरा भी था जहां पर कोई जाता नहीं था। क्योंकि वहां पर घर का फालतू सामान रखा रहता था। कभी कबार हम लोग गर्मियों में वहां सो जाया करते थे। पर अब हम सब बड़े हो गए थे तो वहां पर कम ही जाया करते थे। भाभी के मन में भी चुदवाने की इच्छा जग गई थी और जगह भी हमारे पास थी।

और हम भाभी को उस कमरे में ले गए। उस समय दोपहर की बात है सब लोग सोए हुए थे। फिर हमने कमरे में थोड़ा साफ सफाई की और बैठने की जगह बनाई। जब बैठने की जगह हो गई भाभी हमारा लोड़ा हिलाने लगी और

हम भी उनकी चूत पर रगड़ फेरने लगे। जिससे उनकी चूत रिसने लग गई थी। और मैंने भी उनकी बुर को दबाना शुरू कर दिया। भाभी मदहोश होने लगी थी। क्योंकि की नई-नई शादी थी इसलिए उन्हें इसकी जरूरत थी।

मैंने भाभी से कहा अब तुम्हारी चूत लंड मांगने लगी है। भाभी ने भी बड़े प्यार से बोलो तेरा मन भी करने लगा है क्या मैंने जवाब दिया हां पर मुझे डर लग रहा है क्या यह सब ठीक रहेगा। आज तुम मेरे भाई की बीवी हो। इतने में भाभी ने मेरे को लोडो और दबाना शुरू कर दिया। एक समय उन्होंने मेरी गोटियों को भी इतना तेज दबा दिया।

हमारे तो नीचे लगा आज गया काम से इतना मैं शायद हमारे पिताजी के उठने की आवाज़ आ रही थी। हम लोग जल्दी से उठ है और वहां से निकल गये। और उसदिन कुछ हो नहीं पाया। अधूरी ही रह गई हमारी ख्वाहिश।

हमें भाभी को चोदने का सपना सपना ही रह गया। फिर हम भाभी को दूर से देखा करते थे और भाभी हमें दूर से देखकर चली जाती थी।

और फिर ऐसी कई दिन निकलते चले गए। कहते हैं ना जहां चाहा वहां रहा जरूर होती है। इसलिए कोई ना कोई रास्ता निकल कर आ ही जाता है। लगता है हमारे लिए भी रास्ता निकल चुका था। हमें बहुत तेज बुखार हुआ था।

बुखार इतना तेज था कि हमें चूत के सपने भी बंद हो गए थे। लेकिन जो होता है अच्छे के लिए ही होता है और शायद उस दिन भी अच्छा ही होगा कि हम बीमार पड़ गए। हम बीमार क्या पढ़े मानो हमारी तो किस्मत ही खुल गई जैसे क्योंकि हमारी मां और पिताजी किसी शादी मैं गए हुए थे। और हमारी चाची चाचा का देहांत हो चुका था।

इसलिए मेरी मां जाते जाते कामिनी भाभी को कह गई थी कि बचवा का ध्यान रखना। इसको कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। खाना वाना सब समय पर खिला देना। हमारी भाभी हमारे कमरे में खाना लेकर आई।

उस दिन तो हालत काफी नाजुक थी। भाभी ने हमारे घोड़े को जगाने का काफी प्रयास किया पर वह जगा ही नहीं। फिर धीरे-धीरे हमारी तबीयत में थोड़ा सुधार होता गया। हमें भी भाभी के चूत के सपने होने लगे थे।

अगले दिन सुबह जब भाभी हमारे लिए नाश्ता लेकर आई। तो हमने भाभी का हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ जोर से खींचा। भाभी हमारी बाहों में आ गई हमने भी जोर से उन्हें पकड़ लिया और वह भी हमसे लिपट गई। हमने भाभी को अपनी बाहों में जकड़ लिया और जोरदार प्यार करना शुरु कर दिया।

हमने भाभी से कहा तुमने उस दिन हमारा टेटुआ इतना जोर से दबाया कि हमारे तो गले में ही आ गया था। हमने भी आज भाभी के साथ वैसा ही किया। हमने भी उनकी चूत जोर से दबा दी। जिससे कि वह थोड़ा शर्म आने लगी।

पर हमने छोड़ो नहीं। हमने भी कहा उस दिन का बदला आज लेकर रहेंगे। उन्होंने शरमाते हुए कहा  लेते क्यों नहीं रमेश बाबू हमारे तन-बदन में आग से लग गई थी। हमने भी उनके होठों को अपने होठों से सटाकर चूसना शुरु कर दिया। हमने भाभी  को पूरे बिस्तर पर लेटा दिया। जिससे वह हमारे बगल में आ गई और हमसे तेजी से लिपट गई।

हमने भाभी से बोला कितने दिनों से इस दिन का इंतजार कर रहा था। भाभी ने भी हमसे कहा हमें तो इतने दिन से इसी दिन का इंतजार कर रहे थे। तुम्हारे दिल पर क्या बीत रही है यह हमसे ज्यादा कौन समझ सकता है।

हमने भी भाभी का पूरा सूट निकाल फेंका। और अपना लंड भाभी की चूत से सटा दिया। जोरदार झटके से एक ही बार में हमने अपना लंड घुसा दिया था। उनकी जोरदार चिल्लाने की आवाज निकल पड़ी।

घर में कोई था नहीं इसलिए कोई डर था नहीं हमने भी जोर अंदर तक समा दिया था अपना उसके बाद तो जो कामिनी भाभी तड़पने लगी हमने और जोर-जोर से पेलना शुरु कर दिया।

हम पहले से रहे और गर्मी बढ़ती जा रही थी। तकरीबन 15 मिनट बाद हमारा झड़ने को हुआ। भाभी भी बोलने लगी अब तो हमारा भी झड़ने वाला है। हमने भी अपना पानी भाभी के अंदर ही समा दीया। उसके बाद 1 घंटे तक हम ऐसे ही नंगे पड़े रहे। फिर हम लोग अपने अपने कपड़े पहन कर बाहर निकले।

भाभी ने खाना बनाया हुआ था हमें भी जोरदार भूख लगी हुई थी। हमारा बुखार भी आप ठीक हो गया था। लगता है सारा बुखार हमने भाभी के अंदर उतार दिया। मैंने भाभी से पूछा अभी तुम्हारी उम्र कितनी है।

भाभी बोली 16 साल बहन चोद हमारा तो दिमाग ही खराब हो गया। तभी बोले इतना जल्दी झड़ कैसे गया। हमने खाना खाने के बाद दोबारा से भाभी को कमरे में ले गए और सैलाना शुरु कर दिया।

उसके बाद हमने भाभी को दोबारा से पलंग पर लेटा दिया। हमने उन्हें पूरा नंगा किया। उसके बाद करीबन 200 चोट मारकर झड़ गया। उसके बाद हमने अपना लोड़ा भाभी के हाथों में पकड़ा दिया।

भाभी से खेलती रही कभी मुंह में लेती थी कभी हाथ से हिला रही थी। मुझे पता ही नहीं चला कब नींद आ गई। उसके बाद मेरी भाभी मैं इस बात को हमेशा के लिए राज ही रखा और मेरी रखैल बन गई।

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